विचार / लेख
-अश्विन बटावीया
जब भी गरमी समाप्ति की ओर होती है, और थोड़ा पानी गिर कर रूकता है, उमस अपनी चरम सीमा पर होती है, तभी ईश्वर मेरी सुनता है और मेरी पीठ पर घमोरियां होती हैं। ईश्वर हर वर्ष मुझे आशीर्वाद देता है-घमोरियों के रूप में। मेरा मुंह मांगा ईनाम। घमोरियों के बहुत से फायदे हैं।
आप अपनी धर्मपत्नी को नहाते समय बुलाकर कह सकते हो। आओ, तो थोड़ी पीठ देख लो। घमोरियों के बीच साफ-सफाई कर दो। पर थोड़ा उलाहना भी मिलेगा, अनुभव से कह रहा हूं।
आते ही पत्नी बोलेगी गर्दन कितनी काली है-अच्छे से रोज रगड़ते क्यों नहीं?
आप कह देना, पसीने से थोड़ा कालापन आ जाता है। पहले जैसे साबुन भी अब कहां रहे, और अब मेरी तरफ देखता भी कौन है? पसीने से थोड़ा कालापन आ जाता है।
पत्नी दया दिखाती हुई तुरंत गर्दन रगड़ देगी। फिर यह आप पर है कि उसके अनचाहे मन से बाक़ी बदन साफ करवा सको तो करवा लो।
वैसे एक बात बता दूं-मैं और मेरी घमोरियां आपस में बात करते हैं। वो कहती है यदि मैं पाँव के तलवे में होती, तो मैं कहता चल नहीं पाता, वो कहती हथेली पर होती तो? मैं कहता दाईं पर होना, सुना है दाईं हथेली पर खाज आने से धन मिलता है। मैं यह भी कहता हूं उदर पर होने से लोग मुझको दामोदर तो कहेंगे नहीं, घमोरी उदर जरूर कहेंगे, पर घमोरियां तुम वहां भी न होना और मेरी 56 इंच चौड़ी छाती पर हरगिज नहीं क्योंकि लड़कियां जेम्सबांड और रणजीत खलनायक के बाद मेरी ही छाती पसंद करती हैं, तुम्हारी जगह पीठ पर ही ठीक है।
पत्नी रोज 10-15 वर्षों से पीठ दिखाती है, आमने-सामने खुशी-खुशी तो हो नहीं पाते हैं, तुम्हारे बहाने पीठ मैं भी दिखा देता हूं।
वैसे घमोरियों वाली पीठ, पीठ नहीं होतीं, होती हैं-पूरा तारामंडल।
इन्हीं घमोरियों की तुलना आसमान के तारों से कर सकते हैं। ध्यान से देखेंगे तो इसी में सप्तऋषी तारे दिखेंगे और सप्तऋषी तारे के आखिरी दो तारों के बीच से सीधा ऊपर की ओर देखेंगे, तो ध्रुव तारों जैसी-एक बड़ी घमोरी दिखाई देगी।
इसमें सूरज (जो कि एक तारा है) पक गई एक घमोरी में नजर आयेगा। जो बड़ी और लाल हो गई होगी। सूरज के लावे की तरह इसमें मवाद जैसा भी भरा नजर आएगा।
एक तारा क्षमा करें, एक-दो घमोरी पक कर फूट भी जाएगी और उसमें से निकलने वाला पस पुच्छल तारे के जैसा दिखेगा। अंत में यही कहूंगा यह सब मेरी पीठ पर है और आपकी पीठ पर?


