सरगुजा

घर से बाहर रतजगा करते रहे ग्रामीण, वन अमला के नहीं पहुंचने से रोष
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अम्बिकापुर,8 जून। छत्तीसगढ़ का शिमला मैनपाट में हाथियों का तांडव जारी है। सोमवार की रात 9 हाथियों के दल ने मांझी समुदाय के 3 लोगों व एक अन्य ग्रामीण के मकान को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया। यही नहीं हाथियों ने ग्रामीणों के घर में रखे अनाज को भी खा गए और गांव में लगे एक समर्सिबल हैंडपंप को तोडफ़ोड़ करते हुए तहस-नहस कर दिया। क्षेत्र में आए दिन हाथियों के द्वारा उत्पात मचाने से ग्रामीण भयभीत हैं।
ग्रामीणों का आरोप है कि वन अमला हाथियों को खदेडऩे कुछ विशेष रूचि नहीं दिखा रहा है, जिसके कारण हाथी क्षेत्र में लगातार डेरा डाले हुए हैं और उत्पात मचाते हुए मकान को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
सोमवार की रात 11 बजे हाथियों का दल मेहता पॉइंट से लगे बरिमा के बरडाड़ गांव में पहुंचा, ग्रामीणों में अफरा-तफरी मच गयी। ग्रामीण अपनी जान बचाते हुए अपने-अपने घर को छोड़ जंगल में ही सुरक्षित स्थल पर पहुंचकर रतजगा करते हुए रात बितायी। जब हाथी उत्पात मचा कर चले गए, तब ग्रामीण मौके पर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि चार मकानों को हाथियों के दल ने बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया है।
हाथियों ने पेथऊ मांझी, ठुईयां मांझी, मणिअस मांझी एवं प्राणनाथ यादव के घर को तोड़ते हुए उनके घर में रखे अनाज को बड़े आराम के साथ चट कर गए, उसके बाद वहां से निकल गए।
प्रभावित ग्रामीणों ने बताया कि रात में वन विभाग के एक-दो बीट गार्ड आए हुए थे, उसके बाद वह चले गए। आज दूसरे दिन ग्रामीणों को कितना नुकसान हुआ है, इसकी सुध लेने वाला वन विभाग का कोई भी अमला मौके पर नहीं पहुंचा।
बहरहाल हाथियों का दल अभी भी बरिमा के जंगल में डेरा जमाए हुए हैं। ग्रामीण काफी भी भयभीत है और हाथियों के क्षेत्र में रोज-रोज उपस्थिति व उनके द्वारा नुकसान पहुंचाने से काफी परेशान हैं। ग्रामीणों ने हाथियों को खदेडऩे वन विभाग पर केवल खानापूर्ति करने का आरोप लगाया है। ग्रामीणों का कहना था कि वन विभाग जब पहले से जानता है कि क्षेत्र में हाथियों की मौजूदगी है तो उन्हें क्यों नहीं किसी सुरक्षित स्थान पर रखा गया, अब तो स्थिति ऐसी हो गई है कि वन विभाग हाथियों को खदेडऩे तो छोड़ मुआवजा प्रकरण बनाने भी नहीं पहुंच रहा है।