सरगुजा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अम्बिकापुर, 15 जुलाई। विगत दिवस कला एवं साहित्य की अखिल भारतीय संस्था संस्कार भारती, सरगुजा इकाई के द्वारा गुरु पूर्णिमा पर गुरु पूजन सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस क्रम में साहित्य गुरु बीडी लाल और शायर-ए-शहर यादव विकास तथा सरगुजा के अन्य कला गुरुओं में जवाहिर राम, कृष्णाराम, शांति बाई और पार्वती बाई को संस्कार भारती के प्रांतीय उपाध्यक्ष एवं जिला अध्यक्ष सरगुजा रंजीत सारथी, कार्यकारी अध्यक्ष पंकज गुप्ता, पूर्व जिलाध्यक्ष एवं कला धरोहर पुरातत्व विभाग संयोजक आनंद सिंह यादव, संस्कार मित्र व कवि मुकुंदलाल साहू, वरिष्ठ साहित्यकार मोहनलाल मयंक के द्वारा उनके निवास स्थान पर जाकर शाल, श्रीफल, प्रशस्ति-पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया।
उल्लेखनीय है कि बीडी लाल सेवानिवृत्त प्राचार्य होने के अलावा सरगुजा के एक वरिष्ठ साहित्यकार हैं जिन्होंने सरगुजिहा रामायण की रचना की है। उनके द्वारा सीतायन, सरगुजा गीतों के गावाक्षों से, बात आम आदमी, ओ धृतराष्ट्र, श्रीकृष्ण चरित्र, भारत के लाल, गुलदस्ता गीत और गज़़ल आदि कृतियों का सृजन किया गया है। उन्हें मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है। शायर-ए-शहर यादव विकास सरगुजा के प्रतिष्ठित गज़़लकार हैं जो सरगुजिहा के साथ हिन्दी भाषा में गज़़लें लिखते हैं। उनके तीन काव्य-संकलन प्रकाशित हो चुके हैं। कला गुरुओं में जवाहिर राम ग्राम सरईटिकरा के द्वारा सरगुजा की संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन हेतु सरगुजिहा तीज-त्योहारों में गाए जानेवाले लोकगीतों को स्वरबद्ध किया गया है।
उन्हें जिला व राज्य स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है।
कला गुरु शांतिबाई ग्राम गोर्रापारा की निवासी हैं जो उम्र दराज होने के बाद भी आज की नई पीढ़ी को सुआ व बायर नृत्य गीतों में पारंगत कर रही हैं। उनके द्वारा राज्य में कई कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी गई है। कला गुरु पार्वती बाई रामपुर की निवासी हैं जो नृत्य व गीत गायन में अत्यंत निपुण हैं। कला गुरु कृष्णाराम जमगला के निवासी हैं। वे भी नृत्य गीत में अत्यंत माहिर हैं और सरगुजिहा संस्कृति को बचाने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं।
विगत दिनों नवा रायपुर में आयोजित राज्योत्सव में सरगुजिहा लोकगीत गायन में इन्हें प्रथम स्थान भी प्राप्त हो चुका है। वे विकलांग होने के बाद भी युवा पीढ़ी को आगे बढ़ाने का निरंतर काम कर रहे हैं। इनके अलावा गायक रामनारायण सिंह, तिवारी सिंह पैकरा और फलेन्द्र सिंह भी अपनी लोककला-प्रतिभा के प्रदर्शन में संलग्न हैं। संस्कार भारती एवं ‘मोर माटी के फूल’ लोककलामंच, जमगला के सदस्यों के द्वारा बालक आश्रम जमगला के प्रांगण में वृक्षारोपण भी किया गया।