सरगुजा

सडक़ दुर्घटनाओं में प्राथमिक उपचार और जीवनरक्षक तकनीकों पर दी जानकारी
29-Jun-2025 8:52 PM
सडक़ दुर्घटनाओं में प्राथमिक उपचार और जीवनरक्षक तकनीकों पर दी जानकारी

आपातकालीन चिकित्सा सेवा व सडक़ सुरक्षा प्रशिक्षण सह जागरूकता कार्यशाला

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

अम्बिकापुर, 29 जून। कलेक्टर विलास भोसकर के निर्देशानुसार स्वास्थ्य विभाग द्वारा आज जिला मुख्यालय में पुलिस विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों हेतु आपातकालीन चिकित्सा सेवा एवं सडक़ सुरक्षा संबंधी प्रशिक्षण सह जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य सडक़ दुर्घटनाओं एवं अन्य आपातकालीन स्थितियों में त्वरित प्राथमिक उपचार और जीवनरक्षक तकनीकों की जानकारी प्रदान करना था।

कार्यक्रम में सीएमएचओ डॉ. पी.एस. मार्को, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अमोलक सिंह ढिल्लो, सिविल सर्जन डॉ. जे.के. रेलवानी, डीपीएम डॉ. पुष्पेन्द्र राम, प्रशिक्षक डॉ. श्रीकांत सिंह चौहान, नीतू केसरी, प्रशांत कश्यप, यातायात विभाग, 112 और 108 वाहन सेवा के अधिकारी-कर्मचारी तथा जिले के सभी विकासखंडों से आए पुलिस दल उपस्थित रहे।

आपात चिकित्सा सेवा की जानकारी से बच सकती हैं अनमोल जानें

कार्यशाला को संबोधित करते हुए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अमोलक सिंह ढिल्लो ने कहा कि सडक़ दुर्घटनाओं और अन्य आपातकालीन स्थितियों में त्वरित चिकित्सकीय सहायता न मिलने के कारण कई बार लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है। ऐसे में पुलिस विभाग का प्रशिक्षण और जागरूकता बेहद जरूरी है ताकि हादसों के समय सही प्राथमिक उपचार देकर लोगों की जान बचाई जा सके। उन्होंने नागरिकों से यातायात नियमों का पालन करने, हेलमेट और सीट बेल्ट का उपयोग करने, नशे में वाहन न चलाने तथा सडक़ सुरक्षा अभियान में भाग लेने की अपील की।

सडक़ सुरक्षा में प्राथमिक उपचार का महत्व

सिविल सर्जन डॉ. जे.के. रेलवानी ने कहा कि आज सडक़ और परिवहन हर व्यक्ति के जीवन का हिस्सा बन चुका है। परिवहन व्यवस्था ने जहां दूरी घटाई है, वहीं जीवन के जोखिम को भी बढ़ा दिया है। हर साल लाखों लोग सडक़ दुर्घटनाओं में जान गंवाते हैं।

हमारा प्रयास है कि इस तरह के प्रशिक्षणों से पुलिस और अन्य विभागों के लोग सडक़ सुरक्षा और आपातकालीन स्थितियों में जीवनरक्षक उपायों को अपनाएं और दूसरों को भी जागरूक करें।

सीपीआर तकनीक पर विस्तार से प्रशिक्षण

प्रशिक्षक डॉ. श्रीकांत सिंह चौहान ने सडक़ दुर्घटना, शर्पदंश, बिजली गिरना जैसी घटनाओं में आपातकालीन प्राथमिक उपचार और सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन) तकनीक की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हृदय गति रुकने, डूबने, बिजली का झटका लगने या सांस रुकने की स्थिति में सीपीआर देने से जीवन बचाया जा सकता है। उन्होंने सीपीआर के मुख्य चरण छाती पर दबाव देना,वायुमार्ग खोलना और कृत्रिम सांस देना की विस्तार से जानकारी दी और इसका व्यावहारिक प्रदर्शन भी किया।

मानसिक स्वास्थ्य और सडक़ सुरक्षा का गहरा संबंध

मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ नीतू केसरी ने कहा कि वाहन चलाते समय मानसिक स्थिरता और इमोशनल इंटेलिजेंस जरूरी है।नशे,गुस्से या तनाव की स्थिति में वाहन चलाना दुर्घटनाओं का बड़ा कारण बनता है।

उन्होंने कहा कि योग, मेडिटेशन और डीप ब्रीदिंग जैसी तकनीकें मानसिक संतुलन बनाए रखने में मददगार हैं। कार्यशाला के अंत में अधिकारियों ने आमजन को सडक़ सुरक्षा के प्रति जागरूक करने और प्रशिक्षण में प्राप्त जानकारी का अधिकतम उपयोग करने का आह्वान किया।


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