सरगुजा

बिना वैध पूर्ण दस्तावेजों के हो रहा डायवर्सन का खेल, करोड़ों के मुआवजा घोटाले की आशंका
14-May-2025 10:15 PM
बिना वैध पूर्ण दस्तावेजों के हो रहा डायवर्सन का खेल, करोड़ों के मुआवजा घोटाले की आशंका

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

प्रतापपुर, 14 मई। सूरजपुर जिला के प्रतापपुर क्षेत्र में प्रस्तावित एसईसीएल की खुली खदान परियोजना से जुड़े ज़मीन अधिग्रहण के मामलों ने एक बार फिर सरकारी प्रक्रिया पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि राजस्व विभाग के लिपिक और बाबुओं की मिलीभगत से जमकर डायवर्सन का खेल खेला जा रहा है तथा बड़ी संख्या में ज़मीनों का डायवर्सन बिना वैध और पूर्ण दस्तावेज़ों के किया गया है। इससे करोड़ों रुपए के मुआवज़ा घोटाले की आशंका गहरा गई है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार,प्रतापपुर राजस्व क्षेत्र में अनेक भूखंडों को कृषि से खनन प्रयोजन में परिवर्तित कर दिया गया। परन्तु जिन ज़मीनों का डायवर्सन किया गया, उनके पास न तो पूर्ण खतियान था, न स्पष्ट खसरा नंबर, और न ही अद्यतन नक्शा। नामांतरण या स्वामित्व प्रमाण जैसे दस्तावेज भी कई मामलों में अपूर्ण थे। इसके बावजूद ज़मीनों को खनन प्रयोजन हेतु स्वीकृति दे दी गई।

विशेषज्ञ मानते हैं कि यह प्रक्रिया राजस्व संहिता और डायवर्सन नियमों की खुली अवहेलना है। इससे न केवल सरकारी नियमों को ताक पर रखा गया बल्कि कुछ प्रभावशाली लोगों को भारी मुआवज़ा दिलवाने का रास्ता भी साफ किया गया। ज़मीन डायवर्सन प्रक्रिया की पड़ताल करने पर यह समझना कठिन नहीं कि कहीं न कहीं प्रशासनिक मशीनरी में मिलीभगत रही है। ग्रामीणों का आरोप है कि डायवर्जन में कुछ पटवारी और राजस्व कर्मचारी ऐसे भूखंडों को खनन प्रयोजन में चढ़ा रहे हैं जिनके दस्तावेज आज भी अपूर्ण हैं, और उसके बदले मुआवज़ा उन्हीं को मिला जो ‘तंत्र’ से जुड़े हैं।

यह भी आशंका जताई जा रही है कि फर्जीवाड़े के जरिए कुछ जमीनों को खनन योग्य बताकर करोड़ों का मुआवज़ा डकार लिया गया है, वो भी असली मालिकों को अंधेरे में रखकर। घटना की जानकारी फैलते ही स्थानीय लोगों  और जागरूक ग्रामीणों ने पूरे मामले की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की माँग की है। उन्होंने कहा कि अगर जांच नहीं की गई, तो यह घोटाला आने वाले समय में और विकराल रूप ले सकता है।

कुछ ग्रामीणों ने प्रत्यक्ष रूप से यह भी आरोप लगाया कि यह खनन परियोजना के नाम पर चल रहा एक सुनियोजित अनियमितता है जिसमें सरकारी ज़मीनों को भी निजी बता कर मुआवज़ा उठाया गया तथा कुछ भूमि शासकीय होने के बाद पूर्व एवं अब के नक्शे में भारी छेड़छाड़ हुई है।

इस विषय में एसडीएम ललिता भगत ने कहा कि मामले की गंभीरता से जांच की जाएगी, इसमें जो भी कार्यालय के लिपिक की संदिग्ध भूमिका है, उस पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करते हुए कलेक्टर को अवगत कराई जाएगी, और कहां-कहां जमीन फर्जीवाड़ा हुआ है, जांच के लिए पटवारी को निर्देशित करती हूं।


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