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सखी सेंटर की केंद्र प्रशासक पर युवती से अभद्रता और रुपए मांगने का आरोप
28-Apr-2025 10:52 PM
  सखी सेंटर की केंद्र प्रशासक पर युवती से अभद्रता और रुपए मांगने का आरोप

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

कोण्डागांव, 28 अप्रैल। सखी वन स्टॉप सेंटर कोण्डागांव की केंद्र प्रशासक के खिलाफ एक युवती और एक नाबालिग लडक़ी ने जिला कलेक्टर और महिला एवं बाल विकास विभाग से शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत में केंद्र प्रशासक पर अभद्रता करने और एक लाख रुपए मांगने का आरोप लगाया गया है। मामले को गंभीरता से लेते हुए जिला प्रशासन ने जांच कर उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है। जानकारी के अनुसार, केंद्र प्रशासक पर पूर्व में भी एक प्रकरण में जांच चल रही है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, युवती को सखी सेंटर द्वारा 18 मार्च 2025 को काउंसलिंग के लिए बुलाया गया था। युवती का आरोप है कि उसे एक कमरे में बंद कर एक से डेढ़ घंटे तक रखा गया और जब अभिभावकों ने पूछताछ की तो उन्हें कार्यवाही चल रही है, कहकर रोक दिया गया। बाद में युवती से काउंसलिंग के दौरान कथित तौर पर अभद्र भाषा में बातचीत की गई और दबाव बनाकर एक पत्र पर हस्ताक्षर कराए गए। युवती ने आरोप लगाया है कि उसे बार-बार बुलाकर घंटों बैठाया गया और अभद्र व्यवहार किया गया।

शिकायत के अनुसार, केंद्र प्रशासक और एक अन्य महिला कर्मचारी ने एक लाख रुपए की मांग करते हुए मामला निपटाने का प्रस्ताव दिया। युवती द्वारा रकम नहीं दिए जाने पर जेल भेजने की धमकी दी गई।

गौरतलब है कि सखी सेंटर की कार्यप्रणाली को लेकर पूर्व में भी गंभीर सवाल उठ चुके हैं। वर्ष 2024 में एक नाबालिक लडक़ी ने आरोप लगाया था कि उसे गर्भवती होने के बावजूद सखी सेंटर ने कथित तौर पर आरोपी युवक के साथ भेज दिया था। इस मामले में पुलिस द्वारा युवक के खिलाफ कार्रवाई की गई थी जबकि सखी सेंटर की भूमिका की जांच अभी भी जारी है।

महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी अवनी बिस्वाल ने कहा कि, शिकायतों की जांच कराई जाएगी। उन्होंने यह स्वीकार किया कि यदि नाबालिक लडक़ी को आरोपी युवक के साथ भेजा गया था तो यह गंभीर चूक है। वहीं, कोण्डागांव कलेक्टर नूपुर राशि पन्ना ने कहा कि मामला संज्ञान में लिया गया है और शीघ्र आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

कानूनी विशेषज्ञों का मत

कानूनविदों का कहना है कि नाबालिक पीडि़ता की सुरक्षा सुनिश्चित करना सखी सेंटर का प्राथमिक दायित्व होता है। ऐसी परिस्थितियों में पीडि़ता को बाल संरक्षण इकाई को सौंपना चाहिए था। आरोपी युवक के साथ भेजना कानूनन गलत है और इस तरह की लापरवाही के लिए संस्थान भी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।

 


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