सरगुजा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
उदयपुर, 17 अप्रैल। सरगुजा जिला के उदयपुर थाना क्षेत्र के ग्राम मिर्गाडांड की विशेष संरक्षित पंडो जनजाति की एक गर्भवती महिला को अचानक प्रसव पीड़ा शुरू हुई। परिजनों ने तत्काल 102 एम्बुलेंस सेवा को कॉल किया, लेकिन एम्बुलेंस के पहुंचने से पहले दर्द बढऩे पर महिला ने घर में ही दाई की मदद से एक स्वस्थ शिशु को जन्म दिया।
जन्म के तुरंत बाद नवजात को 102 एम्बुलेंस से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) उदयपुर लाया गया। शिशु का वजन करीब ढाई किलो था। सीएचसी में नाल काटने के बाद कुछ समय तक सब सामान्य था, लेकिन फिर शिशु को सांस लेने में परेशानी होने लगी।
सीएचसी में ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर ने नवजात की स्थिति को गंभीर बताते हुए दोपहर करीब 3 बजे उसे जिला चिकित्सालय रेफर कर दिया। परंतु, शाम तक 108 एम्बुलेंस नहीं पहुंच सकी। परिजन लगातार एम्बुलेंस सेवा से संपर्क करते रहे, लेकिन कोई समाधान नहीं मिला।
शाम 6 बजे तक शिशु की सांसें थम गईं। और तो और, रात 8 बजे एम्बुलेंस कर्मियों का कॉल आया कि वे रवाना हो रहे हैं और तैयार रहें। इस पर गमगीन परिजनों ने कहा, अब क्या करेंगे आकर, हमारा बच्चा तो चला गया।
आखिरकार, रात 11 बजे परिजन बाइक से मां और मृत नवजात को लेकर घर रवाना हुए।
सीएचसी उदयपुर के बीएमओ डॉ. योगेंद्र पैकरा ने कहा, मामले की जांच के बाद ही कार्रवाई की जाएगी। यह देखा जाएगा कि लापरवाही कहां हुई। वहीं, मितानिन मानकुंवर ने पूरी घटना का ब्यौरा देते हुए एम्बुलेंस सेवा की देरी को नवजात की मौत का कारण बताया। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।