सरगुजा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अंबिकापुर, 2 मार्च। नवनिर्वाचित महापौर के एक बयान को लेकर कांग्रेस के कथन पर भाजपा जिला अध्यक्ष भरत सिंह सिसोदिया ने कहा कि लोकतंत्र की सुंदरता इसी में है कि हर नागरिक और हर जनप्रतिनिधि को अपनी आस्था, विचार और कार्यशैली के अनुरूप कार्य करने की स्वतंत्रता होती है। हाल ही में नवनिर्वाचित महापौर के एक बयान को लेकर जिस प्रकार कांग्रेस ने विरोध प्रकट किया और इसे ‘नफरत भरा’ करार दिया, वह स्वयं में एक असहिष्णुता का उदाहरण है। यह घटनाक्रम दर्शाता है कि कैसे कुछ राजनीतिक दल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को अपनी सुविधा के अनुसार परिभाषित करते हैं।
उन्होंने कहा कि महापौर का निर्णय नगर निगम में गंगाजल का छिडक़ाव करने और नई कार्यसंस्कृति स्थापित करने का था। यह एक व्यक्तिगत और सांस्कृतिक पहल है, जिसे धार्मिक कट्टरता या द्वेष की संज्ञा देना पूरी तरह अनुचित है। यदि कोई नेता अपने कार्यस्थल को शुद्ध करने के लिए गंगाजल का उपयोग करता है, तो इसे किसी विशेष समुदाय के विरुद्ध कैसे माना जा सकता है? यह केवल एक सांस्कृतिक परंपरा का पालन करने का प्रयास है, न कि किसी के विरुद्ध घृणा का संदेश।
कांग्रेस का यह तर्क कि पूर्व महापौर अत्यंत सौम्य और जनता के प्रति संवेदनशील थे, नवनिर्वाचित महापौर की नीयत को गलत ठहराने का एक प्रयास मात्र है। किसी भी प्रशासनिक इकाई में नई व्यवस्था लागू करना आम बात है। महापौर का यह निर्णय नगर निगम में व्याप्त अव्यवस्था को सुधारने और एक नई कार्यसंस्कृति स्थापित करने की दिशा में एक कदम है। इसे नफरत फैलाने वाला बताकर कांग्रेस सिर्फ अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेंकने का प्रयास कर रही है।
कांग्रेस जिस बयान को ‘नफरत’ कह रही है, वह कहीं से भी किसी समुदाय के विरुद्ध कोई आपत्तिजनक टिप्पणी नहीं है। वास्तव में, इस बयान को तोड़-मरोडक़र प्रस्तुत करना और कानूनी कार्रवाई की धमकी देना दर्शाता है कि वास्तविक असहिष्णुता कहाँ है। यदि कोई व्यक्ति अपनी आस्था के अनुरूप निर्णय लेता है, तो उस पर आपत्ति जताने का क्या औचित्य है?
आगे उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सभी को अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं के साथ जीने का अधिकार है। यदि कांग्रेस को वास्तव में सामाजिक सौहार्द बनाए रखना है, तो उसे बेवजह के मुद्दे उठाने के बजाय वास्तविक समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए। महापौर का निर्णय न केवल उनकी आस्था की अभिव्यक्ति है, बल्कि प्रशासनिक सुधार की दिशा में भी एक प्रयास है।
इसे नफरत से जोडऩा कांग्रेस की तुष्टिकरण नीति और असहिष्णुता का परिचायक है। सनातन संस्कृति का विरोध करने में कांग्रेस सबसे आगे रही है, प्रयागराज के कुंभ स्नान पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े के विवादित बयान का मामला हो या अयोध्या के श्री राम मंदिर में रामलला प्राण प्रतिष्ठा पर कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह द्वारा अशोभनीय भाषा का प्रयोग कर संपूर्ण सनातन धर्म को आहत करने की बात हो, कांग्रेस के नेताओं ने कई बार सनातन धर्म विरोधी बयान देकर आमजन के आस्था को चोट पहुंचाया है।
उन्होंने कहा कि समाज में नफरत फैलाने का काम शुरू से कांग्रेसियों ने किया है, भाजपा ने सदा से सभी धर्म के लिए समान भाव का संदेश दिया है।
उन्होंने कहा है कि भाजपा ने अनुसूचित जनजाति वर्ग से महिला महापौर बना कर महिला वर्ग समेत समाज के सभी वर्गों का मान बढ़ाया है , जाति-वर्ग-समुदाय को मुद्दा बना कर समाज में वैमनस्य फैलाने का काम कांग्रेसियों का है।