सरगुजा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
लखनपुर, 8 जनवरी। विकासखंड लखनपुर के कुंवरपुर समेत सरगुजा के अनेक ग्राम पंचायतों में इन दिनों डंडा नृत्य समारोह पारंपरिक तौर तरीकों से किसान मना रहे हैं। आकर्षक साज सज्जा एवं उत्साह के साथ ग्रामवासी अपने ग्रामों में सैला नृत्य से लोगों का मनोरंजन कर रहे हैं।
किसानों का कामकाज खत्म होते ही सब किसान प्रेम पूर्वक नाच गान कर रहे हैं एवं आपस में भाईचारा बना हुआ है। जिसकी तैयारी कई दिनों से करने के बाद पूरी साज-सज्जा एवं गीतों की सुमधुर आगाज से लोगों का भरपूर मनोरंजन किया जा रहा है। इसे एक अच्छा संदेश दिया जा रहा है।
तकरीबन 40 से ऊपर सैला नृत्य कलाकारों द्वारा नृत्या किया जा रहा है। सैला नृत्य टीम को अलग-अलग घरों से चावल धान एवं यथासंभव पैसा से ग्रामवासियों द्वारा सम्मानित किया जाता है।
इन दिनों धान विक्रय के साथ ही वर्ष में एक बार सैला नृत्य का अपना एक अलग ही महत्व होता है। जिसे गांव के किसान बंधु बखूबी निभाते हुए अपने दायित्व का निर्वहन करते रहे हैं, भाईचारे तथा एकता का प्रतीक माना जाने वाला यह उत्सव परंपराओं की एक कड़ी के साथ ही वर्तमान समय में भी इसका उतना ही महत्व है।
इस उत्सव में एकरूपता तथा भाईचारे का संदेश देते हुए पूरे गांव को मनोरंजन से भरपूर गांव की आम आदमी की समृद्धि के लिए अपने गीतों के माध्यम से ईश्वर से प्रार्थना करते हैं।
ज्ञातव्य हो कि स्थानीय कुंवरपुर ग्रामीण समिति पिछले कई वर्षों से डंडा नहीं खेले थे। इसके बाद अभी 2023 में नए वर्ष के शुरुआत में खेल रहे हैं,तो किसान भाईयों को थोड़ा बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
कलाकारों ने बताया कि हमें बहुत ही अच्छा लग रहा है। ऐसा नृत्य होते रहना चाहिए जिसे हमारी परंपरा जीवित रहे। डंडा सैला कलाकार टीम के मुखिया से मिलकर इन्हें एक रंग रूप व परिधान के संदर्भ में उत्साहित किया जाता रहा है। जिसको लोगों ने बखूबी अमल करते हुए एक समान वेशभूषा के महत्व को समझा व अमल करते हुए एक नई जागृति का परिचय दिए। ग्राम पंचायत कुंवरपुर सहित आसपास अनेक ऐसे गांव हैं जहां एक ही वेशभूषा में सैला नृत्य देखने को मिलता है। उक्त संदर्भ में संबंधित पंचायत से ऐसे कलाकारों को पंचायत स्तर पर प्रोत्साहित करने व छोटी मोटी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु ग्राम पंचायत के मूलभूत मद से सहयोग दिया जाना चाहिए, जिससे सैला नृत्य करने वाले किसान भाइयों को प्रोत्साहन मिले।
इस दौरान कुंवरपुर बैगा आलम साय, चंदन सिंह, रामचरण सिंह, भुनेश्वर पैकरा, झमल, सुखू, खोरी, मनु, हीरा साय सहित सैकड़ों ग्रामीणजन मौजूद रहे।