सूरजपुर
तमोर पिंगला का रेस्क्यू सेंटर बना सो पीस, करोड़ों खर्च फिर भी हाथी गांवों में
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
प्रतापपुर, 27 अगस्त। प्रतापपुर ब्लॉक के ग्राम पंचायत मसगा, सोनपुर, ट्रूकुडाड़, नवाडीह और पेंडारी सहित दर्जनों गांव इन दिनों दो दंतैल जंगली हाथियों के आतंक से दहशत में हैं। पिछले पांच दिनों से हाथियों ने ग्रामीण इलाकों में घुसकर खड़ी फसलों को चौपट कर दिया है और लोगों का घर से निकलना भी मुश्किल बना दिया है। किसान दिन-रात अपनी फसलों की रखवाली करने को मजबूर हैं। बरसात में यह पहरेदारी और भी खतरनाक साबित हो रही है क्योंकि अंधेरे में सर्प-बिच्छू और अन्य जानवरों का डर हमेशा बना रहता है।
हाथियों के आतंक से विजय जायसवाल पिता शिवनारायण जायसवाल, रतीराम सीताराम, भजन सोनपुर, धनेश्वर पिता शिव टहल, सतीश प्रजापति, वृक्ष प्रजापति सोनपुर, हरिहर सीताराम चरण मसगा सहित कई किसानों की फसलें बर्बाद हो चुकी हैं।पीडि़त किसान बताते हैं कि हमारी खून-पसीने की मेहनत एक रात में चौपट हो रही है। दिन में सडक़ पर हाथियों का डर, रात में खेत की रखवाली आखिर कब तक हम करेंगे।रतीराम सीताराम, सोनपुर ने बताया कि
हम अपनी फसल बचाएं या अपनी जान, यह समझ नहीं आता। हाथी इतने आक्रामक हैं कि कभी भी हमला कर सकते हैं।
ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग के कर्मचारी मौके पर कभी नजर नहीं आते। विभाग केवल यह दिखाने के लिए कि कार्रवाई हो रही है, कागजों में रिपोर्ट बना देता है। कुछ स्थानों पर सडक़ पर बैरिकेड लगा दिए गए हैं ताकि ग्रामीण आवाजाही न कर सकें, जिससे आम लोगों को और परेशानी झेलनी पड़ रही है। ग्रामीण कहते हैं कि असल में हाथियों को खदेडऩे की कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही, बल्कि उन्हें अकेला छोड़ दिया जाता है जिससे जान-माल का खतरा और बढ़ जाता है।
तमोर पिंगला रेस्क्यू सेंटर की पोल खुली-
ग्रामीणों ने खुलासा किया कि रमकोला स्थित तमोर पिंगला अभ्यारण्य में बना हाथी रेस्क्यू सेंटर महज़ एक ‘सो पीस’ है। वहां कुछ पालतू हाथियों को रखकर करोड़ों रुपए की बंदरबांट की जा रही है। हाथियों के नाम पर सरकार से हर साल करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन असल में न तो हाथियों को सुरक्षा मिल पा रही है और न ही ग्रामीणों को राहत।
ग्रामीणों का कहना है कि सरकार ने सही मायने में पहल करनी है तो इन दंतैल हाथियों को बेहोश करके रेस्क्यू सेंटर में रखा जाए। नहीं तो हमें अपनी जान-माल का भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।
ग्रामीणों ने कहा कि इन आक्रामक हाथियों के कारण गांवों में हडक़ंप मचा हुआ है। लोग न तो खेत जा पा रहे हैं और न ही रात को चैन की नींद सो पा रहे हैं।
किसानों ने स्पष्ट कहा है कि अगर समय रहते प्रशासन ने कदम नहीं उठाया तो बड़ी जनहानि हो सकती है।


