सुकमा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सुकमा, 12 अगस्त। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष कवासी हरीश ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर शासन के द्वारा न कोई कार्यक्रम न कोई बधाई संदेश। ये हैरानी की बात है कि खुद को आदिवासी कहने वाले मुख्यमंत्री विष्णु देव साय जी आदिवासी दिवस पर एक शब्द तक नहीं बोले। जिस दिन हमारे संघर्ष और पहचान का सम्मान होता है, उस दिन उनका मौन बहुत कुछ कह देता है।
लगता है भाजपा संगठन की सोच और दिल्ली से आया आदेश, अपने ही समाज के उत्सव से भी ऊपर है। अगर अपने समाज के सबसे बड़े दिन पर साथ नहीं खड़े हो सके, तो भलाई के काम में इनसे कितनी उम्मीद की जाए — ये लोग खुद सोच लें।
वहीं दूसरी और बस्तर के सबसे बड़े भाजपा नेता केदार कश्यप जी सुकमा पहुंचते है। बैठक में भाग लेते है और वापस जगदलपुर चले जाते है, जबकि जिला मुख्यालय में आदिवासी समाज का सबसे बड़ा कार्यक्रम चल रहा था वो वहां आ सकते थे लेकिन नहीं आए, क्या वो केंद्र या राज्य नेतृत्व से डर रहे थे ?
एक और मंत्री विजय शर्मा जी सुकमा आए, मंत्री जी आए उसका विरोध नहीं है लेकिन विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर क्यों आए, हमारे अधिकांश आदिवासी भाई और बहन जो कर्मचारी अधिकारी थे वो दिनभर अपनी ड्यूटी करते रहे, उन्हें कार्यक्रम में शामिल होने की उत्सुकता थी लेकिन ड्यूटी की मजबूरी उन्हें रोकने शर्मा जी ने जानबूझकर ये दिन चुना, ताकि कार्यक्रम में लोग ना जाए, साथ हुए । क्या ये सब साजिश है या फिर संयोगमात्र ये आपको तय करना है।
खासकर में बस्तर और सरगुजा के आदिवासी समाज के सदस्यों से कहना चाहूंगा कि इन दो संभाग के आदिवासी समुदाय ने भाजपा पर विश्वास किया ।
और उन्हें सत्ता तक पहुंचाया, लेकिन मात्र दो साल में ही आदिवासी समुदाय को नेता भूल गए, अब समाज के लोगों को तय करना है कि समाज के हित और भविष्य के बारे में कौन बेहतर सोचेगा।


