राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : आठ करोड़ रुपये के जाली नोट
04-Mar-2021 6:08 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : आठ करोड़ रुपये के जाली नोट

आठ करोड़ रुपये के जाली नोट

वैसे प्रधानमंत्री कभी भुलाये नहीं जाते हैं क्योंकि जैसे ही कोई न्यूज़ चैनल खोलें, उनकी ख़बर या तस्वीर आ जाती है। पर, आज उनका वह बयान याद आ रहा है जिसमें नोटबंदी करते वक्त उन्होंने कहा था कि अब नकली नोट बाजार में लाने वालों का खेल खत्म। कुछ नहीं, केवल 8 करोड़ रुपये के नकली नोट हमारी सजग पुलिस ने आंध्रप्रदेश, ओडिशा की सीमा पर जांच के दौरान एक कार से जब्त कर लिये। आज, एक न्यूज़ चैनल की एंकर भी याद आ रही हैं जिन्होंने रहस्योद्घाटन किया था कि असली नोटों में चिप लगी होती हैं।

हैरानी यह है कि जांजगीर-चाम्पा से रायपुर आकर के जिन लोगों ने नकली नोट छापे, वे बेरोजगार नहीं हैं बल्कि उनमें एक फैक्ट्री का इंजीनियर भी है।

आपको क्या लगता है कि क्या ये लोग पहली बार में ही धरे गये। इससे पहले इन्होंने दूसरे राज्यों में  या अपने प्रदेश में नकली नोट नहीं खपाये होंगे? असली-नकली नोट पता नहीं किन-किन राज्यों से गुजर कर आपके हाथ में भी वापस आ गये होंगे। ज्यादा तनाव लेने की जरूरत नहीं है। यदि आप एक साथ तीन नकली नोट किसी को थमाते हैं, तभी आप पर केस बन सकता है। अनजाने में एक या दो नकली नोट आपके व्यवहार में आ गया होगा, तो आपका दोष नहीं। बस आशंका हो तो शिकायत कर दें।

मान गये सिंहदेव

को-वैक्सीन के 72 हजार से ज्यादा टीके स्वास्थ्य विभाग के गोदाम में पड़े हुए हैं। इसे इस्तेमाल नहीं करने की घोषणा स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कर दी थी। राज्य टीकाकरण अधिकारी समेत स्वास्थ्य विभाग के दूसरे अफसरों ने भी मंत्री की हां में हां मिलाई। इस बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके बाद केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन से सपत्नीक को-वैक्सीन टीका ही लगवाया। एक तरह से यह भी तो तीसरे चरण का ट्रायल था। जब शीर्ष नेता बेखौफ हैं तो बाकी की क्या बिसात कि विरोध करें। उनके टीका लगवाने पर कोई प्रतिक्रिया दी जाती, इसके पहले ही तीसरे चरण के ट्रायल के नतीजे भी आ गये। इसी की तो दरकार थी। जैसी जानकारी निकली है, 80 फीसदी से ज्यादा सफलता तीसरे चरण के ट्रायल में मिली है। इस आंकड़े के बाद सिंहदेव का बयान आया है कि वे न केवल को-वैक्सीन के इस्तेमाल की इजाजत देंगे बल्कि पहला टीका भी वे ही लगवायेंगे।

अच्छा है इस मामले में राजनीति खत्म हो गई।

मीडिया के लिये बड़ा संकट

वैसे भी अधिकारी पत्रकारों से कन्नी काटते हैं। राजनीति से जुड़े लोग पत्रकारों की तब खिदमत करते हैं जब उन्हें भरोसा होता है कि इनके लिखने, छापने से उनका वजन बढ़ेगा। पर अब आम लोगों का भरोसा टूटने के दौर में हैं हम। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के दौर में कुछ सीमायें थीं पर वेब पोर्टल आने के बाद हर शहर, गांव में हर दूसरे चौथे घर में एक पत्रकार पैदा हो चुका है। इनमें बहुत से लोग गंभीर हैं और अपने दायित्व को समझते हैं। पर कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने इसकी आड़ में न केवल अफसरों, जनप्रतिनिधियों और आम नागरिकों की नाक में दम कर रखा है बल्कि मुख्य धारा मे रहकर पत्रकारिता करने वालों को शर्मसार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। बीते माह मुंगेली के एक फारेस्ट रेंजर से एक करोड़ 40 लाख रुपये वसूल करने के आरोप में एक युवती सहित दो लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया। दोनों को जेल भेजा गया। अब जांजगीर-चाम्पा में कांग्रेस नेता को मारने के लिये दो कथित पत्रकारों ने 10 लाख रुपये की सुपारी ली। जिसे मारने के लिये सुपारी ली गई, उनसे भी वसूली की गई। दोनों व्यक्ति गिरफ्तार कर लिये गये हैं। जो लोग पत्रकारिता से जुड़े हैं उन्हें भी समझना मुश्किल है कि कोई व्यक्ति इस पेशे में आ रहा है उसकी नीयत, नजरिया क्या है फिर आम लोग इसे कैसे समझेंगे? छत्तीसगढ़ सरकार इस पेशे से जुड़े लोगों को बड़ी उदारता से मान्यता देने की नीति पर काम कर रही है। आने वाले दिन इसके क्या खतरे हैं इन घटनाओं से समझ सकते हैं।

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