राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : रामगमन पथ का वक्त?
08-Apr-2020
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : रामगमन पथ का वक्त?

कोरोना संक्रमण से निपटने में अब तक भूपेश सरकार कामयाब दिख रही है। प्रशासन की धमक दूर-दराज गांवों से लेकर मजरेटोलों तक में नजर आई है। छत्तीसगढ़ में दो दिन पहले ही लॉक डाउन कर दिया गया था। इससे बहुत कम समय में न सिर्फ शहरी बल्कि ग्रामीणों में भी जागरूकता लाने की सरकार की कोशिश सफल रही है। 

दूर दराज के गांवों में कोरोना को लेकर कितनी जागरूकता आई है, इसका अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि सीएस आरपी मंडल, पीसीसीएफ राकेश चतुर्वेदी के साथ 18 मार्च को सुकमा गए थे। इस दौरे का एक मकसद रामगमन परिपथ को विकसित करने के लिए योजना तैयार करना भी था। मान्यता है कि भगवान राम वनवास के दौरान दंडकारण्य (बस्तर) होते  तेलंगाना गए थे। सुकमा से करीब 20 किमी की दूरी पर रामोराम गांव है। यहां भगवान राम रूके थे। इस गांव को पर्यटन के लिहाज से विकसित करने की योजना बनाई गई है। 

दोनों अफसर जब सुकमा में बैठक लेने के बाद रामोराम गांव पहुंचे। तब  छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण को लेकर जागरूकता अभियान चल रहा था। दोनों अफसरों यह देखकर सुखद आश्चर्य हुआ कि इस बीहड़-सुविधाविहीन गांव के सरपंच और ग्रामीणों को कोरोना से बचाव के उपायों की पूरी जानकारी थी। ग्रामीण मुंह पर कपड़ा लपेटे हुए थे और सामाजिक दूरी का पालन कर रहे थे। गांव से बाहर से आने वाले लोगों की जानकारी स्वास्थ्य केन्द्र और पुलिस को दे रहे हैं। सरकार की कोशिशों का नतीजा यह रहा कि कोरोना छत्तीसगढ़ में अब तक पांव नहीं पसार पाया है। 

लेकिन जब फेसबुक पर इन लोगों की रामपथ गमन की तस्वीरें देखीं तो लोग हैरान हुए कि, धान के मौसम में, वनोपज के मौसम में, कोरोना के खतरे के बीच प्रदेश के सबसे बड़े अफसरों को रामपथ गमन की पडी है? लेकिन हिंदुस्तान के लोगों को मुसीबत में भगवान ही सूझते हैं, यह एक अलग बात है कि आज देश के सबसे बड़े मंदिरों में भी पुजारियों को मास्क की पहले सूझ रही है, फिर जाकर पूजा-आरती की।

एक धमकी का असर 
मलेरिया की एक दवाई से कोरोना का इलाज होते की ख़बरों को उस वक़्त और बढ़ाया मिल गया जब हिंदुस्तान के महान दोस्त अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने टीवी पर हिंदुस्तान की कनपटी पर बन्दूक टिकाई और गब्बर के अंदाज़ में कहा कि ये दवा हमका दे-दे ठाकुर (वरना हाथ काट डालूँगा). नतीजा यह हुआ कि  मलेरिया की दवा जो कि हिंदुस्तानी बाजार से पहले से गायब हो गयी, वह और भी ख़त्म हो गयी. लोगों ने इस अंदाज़ में अपने घर में इकठ्ठी कर ली कि पूरे परिवार के लायक मलेरिया के इलाज का कोर्स घर पर रहे, कोरोना के इलाज के लिए. होना यह है कि कोरोना हुआ तो जाकर अस्पताल में ही भर्ती होना है, लेकिन मलेरिया की दवाई सबने घर में भर ली. बाकी लोग ढूंढ रहे हैं कि वे पीछे न रह जाएँ. 

दरअसल दहशत की खरीददारी ऐसी ही होती है. गैरमरीज लोग जरूरी दवा भर लेंगे, तो मरीजों को दवा मिलेगी नहीं. लोगों को यह समझना चाहिए कि कोरोना का इलाज करने वाले अस्पताल घर से लाई गयी दवा को खिलाएंगे भी नहीं. इसलिए मूर्ख और गुंडे अमरीकी राष्ट्रपति की धमकी-चमकी से लोग दवा खरीदने की अंधीदौड़ में शामिल ना हों। ([email protected])

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