राजपथ - जनपथ
ननकीराम की निशानेबाजी
पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर की शिकायतों की अब तक जांच पूरी नहीं हो पाई है। कंवर ने कोरबा कलेक्टर अजीत बसंत के खिलाफ 14 बिन्दुओं पर शिकायत की थी। उन्होंने कोरबा कलेक्टर की हटाने की मांग को लेकर धरना-प्रदर्शन भी किया था। सीएम विष्णुदेव साय की दखल के बाद कंवर की शिकायतों की जांच का जिम्मा बिलासपुर कमिश्नर सुनील जैन को दिया गया है। वैसे तो हफ्ते भर के भीतर जांच प्रतिवेदन देना था, लेकिन जांच अब तक जारी है।
बताते हैं कि बिलासपुर कमिश्नर बिंदुवार जांच कर रिपोर्ट देने वाले थे। उन्होंने कुछ शिकायतों की पड़ताल के लिए अलग से टीम भी गठित की। पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर से भी आरोपों से जुड़े दस्तावेज मांगे थे। चर्चा है कि कंवर ने कुछ दस्तावेजी सुबूत भी दिए हैं। बिलासपुर कमिश्नर अगले दो-तीन दिनों में जांच प्रतिवेदन सरकार को सौंप देंगे। फिर भी जांच प्रतिवेदन मिलने के बाद भी सरकार, कोरबा कलेक्टर को हटाने कंवर की जिद पूरी कर पाएगी, इसको लेकर संशय है। यदि शिकायत जांच में गलत पाए जाते हैं, तो हटाने का सवाल पैदा नहीं होता। मगर सही पाए जाने पर भी हटाना आसान नहीं है।
इसकी बड़ी वजह यह है कि प्रदेश में एसआईआर का काम तेजी से चल रहा है। इस पूरी प्रक्रिया में कलेक्टर सीधे जुड़े हुए हैं। भारत निर्वाचन आयोग ने एसआईआर की प्रक्रिया से जुड़े अफसरों के तबादले पर रोक लगा रखी है। तबादले के लिए आयोग की अनुमति जरूरी है। इन सबको देखते हुए कोरबा कलेक्टर को राहत मिलती दिख रही है। फिर भी जांच प्रतिवेदन का इंतजार हो रहा है। देखना है आगे क्या होता है।
वफ़ादारी अभी जि़ंदा है...
इस बार जशपुर और छत्तीसगढ़ के टमाटर वाले किसानों के चेहरे पर सच्ची मुस्कान है। पिछले कई सालों से नवंबर-दिसंबर में टमाटर का दाम चारों खाने चित्त होता था। एक रुपया, दो रुपया, पांच रुपया। कई बार तो खेत में ही सड़ाने या फेंकने की नौबत आ जाती थी। पिछले साल दुर्ग में जब टमाटर एक रुपये किलो पहुंच गया तो किसानों ने इसे सडक़ों पर लाकर फेंक दिया था। लुड़ेग में ही टमाटर के खेत को ट्रैक्टर से रौंदा जा चुका है। लेकिन इस नवंबर में लुड़ेग, पत्थलगांव जैसे इलाकों में टमाटर थोक में ही 50-60 रुपए किलो तक बिक रहा है। सुबह दस बजते-बजते मंडी खाली, दोपहर में सन्नाटा। बाहर के व्यापारी रात में ही गाडिय़ां लगाकर खड़े हो रहे हैं। माल हाथों-हाथ उठ रहा है।
जशपुरिहा टमाटर अपने नाम से पूरे उत्तर भारत में मशहूर है। ओडिशा, झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल – इन राज्यों की मंडियों में लोग खास तौर पर जशपुर का लाल रसीला टमाटर मांगते हैं। यहां की मिट्टी, मौसम और किसानों की मेहनत की वजह से इस साल लुड़ेग क्षेत्र में ही 15 हजार टन से ज्यादा उत्पादन हुआ है। पूरे जशपुर जिले में करीब 10 हजार हेक्टेयर में टमाटर की खेती होती है और एक सीजन में एक लाख 90 हजार मीट्रिक टन तक पैदावार होती है। दुलदुला, मनोरा, सन्ना जैसे नए इलाकों में भी कृषि विभाग की मदद से टमाटर की खेती तेजी से फैल रही है।
पहले नवंबर-दिसंबर में खरीफ का टमाटर एक साथ इतना आता था कि दाम धड़ाम से गिर जाते थे। लेकिन इस सीजन में मौसम की कुछ अनुकूलता और किसानों ने थोड़ी सावधानी बरती। फसल का पीक एक साथ नहीं आया। नतीजा, इस बार सप्लाई कम और डिमांड ज्यादा है। झारखंड, बंगाल, बिहार में वहां के स्थानीय टमाटर की फसल या तो देर से आई या कमजोर हुई, इसलिए सारी नजरें जशपुर पर टिक गईं।
स्थानीय बाजारों में जो टमाटर दिख रहा है, वो छोटी बाडिय़ों का है। मगर, वह भी 50-60 रुपए किलो आसानी से बिक रहा है। छत्तीसगढ़ के दूसरे जिलों रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग के आसपास के किसान भी इसी मौके का फायदा उठा रहे हैं।
ज़मीन कारोबारी सदमे में
सरकार ने सात साल बाद संपत्ति की गाइड लाईन दरों में भारी वृद्धि की है। शहरों में तो 40 फीसदी तक और ग्रामीण इलाकों में तीन सौ फीसदी तक की वृद्धि की गई है। इससे रियल एस्टेट कारोबारियों में हडक़म्प मचा हुआ है। कारोबारी रियल एस्टेट कारोबार ठप्प पडऩे की आशंका जता रहे हैं। फिलहाल तो रियल एस्टेट कारोबार से जुड़े लोगों ने रजिस्ट्री नहीं कराने का फैसला लिया है।
रियल एस्टेट के कारोबारियों की एक बैठक हो चुकी है। चैम्बर ऑफ कॉमर्स से भी समर्थन मांगा गया है। कारोबारियों को सबसे ज्यादा परेशानी रायपुर शहर की सीमा से सटे ग्रामीण इलाकों की गाइड लाईन दरों में बढ़ोत्तरी से हो रही है। रायपुर और आसपास के इलाकों में सैकड़ों करोड़ का निवेश हो चुका है। ऐसे में आवासीय परियोजना की लागत बढऩे से कारोबार पर असर पडऩे की संभावना जताई जा रही है।
बताते हैं कि कुछ प्रमुख बिल्डर्स ने तीन माह पहले आवास पर्यावरण मंत्री ओ.पी.चौधरी से मुलाकात की थी। चौधरी ने उन्हें साफ तौर पर संकेत दे दिए थे कि गाइड लाईन की दरों में बड़ी वृद्धि की जाएगी। सरकार की तरफ से यह तर्क दिया जा रहा है कि किसानों को गाइड लाईन दर बढऩे पर मुआवजा ज्यादा मिलेगा। मगर जमीन अधिग्रहण शहर के आसपास नहीं के बराबर है। क्योंकि कोई बड़ा सरकारी प्रोजेक्ट फिलहाल नहीं चल रहा है।
कारोबारी इस मसले पर सरकार से लड़ाई लडऩे की योजना बना रहे हैं। कानूनी विकल्प भी तलाशे जा रहे हैं। ऐसे में सरकार के फैसले का क्या असर होता है, यह आने वाले दिनों में पता चलेगा।


