राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : सहकारी बैंक कर्मी सुप्रीम कोर्ट तक!
16-Nov-2025 6:19 PM
राजपथ-जनपथ : सहकारी बैंक कर्मी सुप्रीम कोर्ट तक!

सहकारी बैंक कर्मी सुप्रीम कोर्ट तक!

प्रदेश के जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के अधिकारी-कर्मचारी, और सरकार वेतन वृद्धि के मामले आमने-सामने आ गए हैं। कर्मचारी यूनियन वेतन वृद्धि के लिए आंदोलन भी किया था।इस मसले पर हाईकोर्ट का फैसला भी कर्मचारियों के पक्ष में आया है। मगर सरकार ने सालाना वेतन वृद्धि को गैरवाजिब मानते हुए हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी है।

सुप्रीम कोर्ट में याचिका स्वीकृत भी हो गई है। इस पर जल्द सुनवाई होने की उम्मीद है। पहले बैंक कर्मचारियों ने हाईकोर्ट का आदेश का पालन नहीं होने पर आंदोलन का रुख अख्तियार किया था। एक दिन सारे बंद भी रहे। अगले चरण में धान खरीदी काम ठप करने की रणनीति बनाई थी। धान खरीदी की सारी व्यवस्था जिला सहकारी बैंकों के माध्यम से संचालित होती है। मगर सरकार ने धान खरीदी कार्य को अत्यावश्यक सेवा घोषित कर दिया है। इसके चलते यूनियन ने एक कदम पीछे हटते ही सुप्रीम कोर्ट में ही अपना पक्ष रखने की फैसला किया है। खास बात ये है कि ऐसा पहली बार हुआ है जब राज्य सरकार और कर्मचारी यूनियन के बीच का विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा है। देखना है आगे क्या होता है।

देवेंद्र यादव निशाने पर

बिहार चुनाव नतीजे आने के बाद छत्तीसगढ़ भाजपा में जश्न का माहौल है, तो कांग्रेस में मायूसी है। बिहार में भिलाई के विधायक देवेंद्र यादव को अहम जिम्मेदारी संभाल रहे थे, और नतीजे उलट आए, तो बिहार कांग्रेस के नेताओं का गुस्सा देवेन्द्र यादव पर फट पड़ा है।

बिहार कांग्रेस के प्रवक्ता आदित्य पासवान पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लावारू, और प्रभारी सचिव देवेंद्र यादव को सीधे-सीधे निशाने पर लिया है। उन्होंने कह दिया कि पार्टी की टिकट बेच दी गई थी। पासवान ने देवेन्द्र यादव को फ्राड तक करार दिया है। पार्टी के प्रवक्ता के आरोपों से हलचल मची है।  देवेन्द्र यादव तो नतीजे आने से एक दिन पहले तक महागठबंधन की सरकार बनने का दावा कर रहे थे, और अब उन्हें बिहार के नेता कटघरे में खड़ा कर रहे हैं।

बिहार में में कांग्रेस मात्र 6 सीट जीत पाई है। जबकि इससे पहले के चुनाव में 19 विधायक चुनकर आए थे। जहां तक देवेन्द्र यादव का सवाल है, तो उन्हें छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा रही है, लेकिन बिहार में पार्टी के प्रदर्शन से उनकी उम्मीदों को झटका लग सकता है।  देखना है आगे क्या होता है।

मंत्री को पसंद का निज सहायक नहीं मिला

मंत्रियों के आसपास रहने वालों और उनके परिवारों को कई तरह से लाभ पहुंचाया जा सकता है। स्वेच्छानुदान की राशि वास्तव में जरूरतमंदों को मिलनी चाहिए, लेकिन कई मंत्री–विधायक इस सुविधा का उपयोग अपने नजदीकी लोगों के लिए करते आए हैं। यह तो अस्थायी व्यवस्था होती है, लेकिन कई बार स्थायी रूप से उपकृत करने के प्रयास भी सामने आ जाते हैं। इसी दौरान कभी–कभी मंत्री के दफ्तर से ऐसे फरमान भी जारी हो जाते हैं, जो नियमों के दायरे में नहीं आते और अफसरों के सामने असमंजस की स्थिति पैदा हो जाती है।

हाल ही में ऐसा ही मामला मंत्री राजेश अग्रवाल की एक सिफारिश को लेकर सामने आया। मंत्री ने अपने निजी सहायक के रूप में तबरेज आलम की संविदा नियुक्ति के लिए सामान्य प्रशासन विभाग को पत्र भेजा। लगभग 15 दिन की समीक्षा के बाद विभाग ने पाया कि यह नियुक्ति नियमों के अनुसार संभव नहीं है। विभाग ने मंत्री के विशेष सहायक को पत्र भेजकर स्पष्ट किया कि इस पद पर कम से कम 12वीं पास व्यक्ति ही रखा जा सकता है, जबकि आलम केवल आठवीं पास हैं। अवर सचिव की ओर से बता दिया गया कि यह नियुक्ति नहीं हो सकती, कृपया मंत्री को अवगत कराएं।

प्रदेश में बेरोजगारी की हालत यह है कि ड्राइवर और भृत्य जैसे पदों के लिए भी उच्च शिक्षित युवा कतार में खड़े हैं। इसके बावजूद मंत्री ने न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता न रखने वाले युवक को निजी सहायक बनाने की अनुशंसा कर दी। बताया जा रहा है कि वह युवक मंत्री का ड्राइवर है।

ऐसा मामला पहले भी सामने आ चुका है। पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान, फरवरी 2019 में, मंत्री बनने के कुछ ही दिनों बाद डॉ. प्रेमसाय टेकाम ने अपनी पत्नी डॉ. रमा सिंह को विशेष सहायक नियुक्त करने का आदेश जारी करा दिया था। जब आलोचना बढ़ी तो वह नियुक्ति रद्द कर दी गई और उन्हें मूल विभाग वापस भेज दिया गया। लेकिन इस बार मामला अलग इसलिए है क्योंकि अफसरों ने पहले ही मंत्री की मांग मानने से मना कर दिया।

हजार रुपये में एक लीटर दूध !

छत्तीसगढ़ के जशपुर में इन दिनों एक अनोखी बछिया चर्चा का केंद्र बनी हुई है। कृत्रिम गर्भाधान प्रक्रिया से पैदा हुई पुंगनूर नस्ल की इस बछिया को देखने लोग लगातार पहुंच रहे हैं। पुंगनूर दुनिया की सबसे छोटी गाय मानी जाती है। इसी नस्ल की गाय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास भी है।

जशपुर जिले के गोढ़ीकला और करमीटिकरा–करूमहुआ गांव में यह बछिया एक नवंबर को जन्मी। पशुपालक खगेश्वर यादव बताते हैं कि उन्होंने पीएम मोदी के पास यह नस्ल देखकर प्रेरित होकर अपनी देशी गाय में ब्रीडिंग कराई थी।

पुंगनूर नस्ल आंध्रप्रदेश के चित्तूर क्षेत्र की है और कभी खत्म होने के कगार पर थी। 1997 में सिर्फ 21 गायें बची पाई थीं। अब सरकारी प्रयासों के बाद इनकी संख्या बढक़र 13,000 से ज्यादा हो चुकी है। यह नस्ल जितनी दुर्लभ है, उतनी ही लोकप्रिय और महंगी भी। इसकी ऊंचाई केवल 3 फीट के आसपास होती है और वजन 115-200 किलो तक। सींग छोटे, कान पीछे की ओर झुके हुए और पूंछ जमीन तक। यही इसकी खूबसूरती मानी जाती है। इन गायों की कीमत 2 से 10 लाख रुपये के बीच होती है। कारण भी खास है। इनका दूध ए-2 कैटेगरी का होता है, जिसमें वसा लगभग 8 प्रतिशत पाया जाता है। यही वजह है कि इसका दूध 1000 रुपये लीटर में और घी 50,000 रुपये किलो तक बिकता है। दूध कम मिलता है, लेकिन पोषण और औषधीय गुण बेहद अधिक। इस नस्ल के गोमूत्र में भी एंटी-बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, जिसे किसान फसल पर छिडक़ते हैं। गोबर भी अच्छी कीमत में बिक जाता है। यानी यह गाय दिखने में भले छोटी हो, लेकिन कमाई के मामले में पूरी पावरहाउस है। जशपुर में पैदा हुई यह बछिया ने छत्तीसगढ़ के पशुपालकों के लिए नई संभावना का रास्ता खोला है।


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