राजपथ - जनपथ
भगत को लेकर पार्टी गंभीर
डीएमएफ के मसले पर वित्त मंत्री ओपी चौधरी के खिलाफ मोर्चा खोलने पर भाजयुमो नेता रवि भगत को पार्टी से निष्कासन की नोटिस तो थमा दी गई है लेकिन पार्टी उनके खिलाफ कार्रवाई के मूड में नहीं है। अलबत्ता, पार्टी उन्हें पुचकार भी रही है। इसका अंदाजा उस वक्त लगा, जब नए भाजयुमो अध्यक्ष राहुल टिकरिया का पदभार कार्यक्रम था। कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में हुए कार्यक्रम में रवि भगत मंच पर थे।
रवि भगत ने न सिर्फ अपने उत्तराधिकारी का स्वागत किया बल्कि उन्होंने भाषण भी दिया। उस वक्त मंच पर महामंत्री (संगठन) पवन साय भी थे। इसके बाद भगत ने रायगढ़ के प्रभारी मंत्री रामविचार नेताम को चि_ी भी लिखी है। इसमें उन्होंने डीएमएफ की राशि प्रभावित इलाके में खर्च करने का सुझाव दिया है। चर्चा है कि पार्टी भगत के सुझावों को गंभीरता से ले रही है।
कलेक्टर का पत्र और नाराजगी

कबीरधाम कलेक्टर गोपाल वर्मा की एसपी को लिखी एक चि_ी सोशल मीडिया मीडिया पर वायरल हो रही है, जिसमें उन्होंने कलेक्टर बंगले के पास आधी रात को धरना-प्रदर्शन पर नाराजगी जताई है। उन्होंने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए। खास बात ये है कि कलेक्टर और एसपी का बंगला अगल बगल है। बावजूद इसके उन्हें चि_ी लिखना पड़ गया।
कांग्रेस के नेता, कलेक्टर की चि_ी को लेकर राज्य सरकार को आड़े हाथों ले रहे हैं। साथ पुलिस और प्रशासन के बीच तालमेल पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। कलेक्टर गोपाल वर्मा पहले भी सुर्खियों में रहे हैं। उन्होंने विलंब से दफ्तर आने वाले कर्मचारियों को उठक बैठक करवाई थी इसके बाद प्रदेश भर के कर्मचारी आंदोलित हो गए थे बाद कलेक्टर को खेद प्रकट करना पड़ा।

कवर्धा डिप्टी सीएम विजय शर्मा का गृह जिला है और गोपाल वर्मा की पोस्टिंग में डिप्टी सीएम की अहम भूमिका रही है। गोपाल वर्मा, डिप्टी सीएम के विश्वविद्यालय के दिनों के साथी रहे हैं। हालांकि गोपाल वर्मा को आईएएस अवार्ड दिलाने में तत्कालीन सीएम भूपेश बघेल की भूमिका रही है। अब जब पत्र वायरल हुआ है, तो सरकार में नाराजगी है। देखना है आगे क्या कुछ होता है।
गोह के शिकारियों की नजर मोहनभाठा पर

कोटा ब्लॉक के मोहनभाठा का अपने आप तैयार जंगल दुर्लभ वन्य जीवों, प्रवासी पक्षियों का अद्भुत ठिकाना है। यहां बीते दिनों गोह का शिकार करने वाले दो गिरोह रंगे हाथ पकड़े गए। ये लोग लंबे समय से गोह को पकडक़र उसकी गर्दन पूंछ से बांध ले जाते थे। इसके बावजूद यह सुकून की बात है कि गोह आज भी यहां दिखाई देती है। हां, संख्या पहले जैसी नहीं रही, लेकिन उम्मीद है कि यह अपनी अगली पीढिय़ों को बढ़ा रही है।
मोहनभाठा के सागौन प्लांटेशन में वन्यजीव प्रेमी पत्रकार प्राण चड्ढा के कैमरे में कैद हुई यह मजबूत और शानदार गोह इसकी जीवटता की कहानी कहती है। तंदरुस्त बदन, लंबाई और रौबदार चाल देखकर लगता है कि यह अब भी अपनी दुनिया को संभाले हुए है। गोह का वैज्ञानिक नाम से मॉनिटर लिजर्ड़ है। बड़ी छिपकली प्रजातियों में गिनी जाती है। उम्र लगभग 15 से 20 साल तक होती है। लंबाई 1 से 1.8 मीटर और वजऩ 7 से 20 किलो तक हो सकता है। इसकी दो-शाखाओं वाली जीभ सांप जैसी दिखती है, लेकिन यह विषैली नहीं होती। मज़बूत नाखून और लंबी पूंछ इसे और भी खास बनाते हैं।
गोह अक्सर जंगल, खेत, नदी किनारे और यहां तक कि गांवों के आसपास भी देखी जा सकती है। ये बेहतरीन तैराक होते हैं और पानी के पास रहना पसंद करते हैं। इनका आहार पूरी तरह मांसाहारी है, जिसमें छिपकलियां, मेंढक, सांप, पक्षियों के अंडे, चूहे और छोटे जीव शामिल हैं।
भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची-एक में गोह को विशेष सुरक्षा प्राप्त है। इसका शिकार या व्यापार पूरी तरह प्रतिबंधित है। मगर बात वही है कि शिकारी इन पर नजर गड़ाए रहते हैं।


