राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : जस्टिस सुदर्शन रेड्डी और छत्तीसगढ़
21-Aug-2025 7:01 PM
राजपथ-जनपथ : जस्टिस सुदर्शन रेड्डी और छत्तीसगढ़

जस्टिस सुदर्शन रेड्डी और छत्तीसगढ़

इंडिया गठबंधन के उपराष्ट्रपति प्रत्याशी सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी छत्तीसगढ़ से जुड़े कुछ फैसलों को लेकर सुर्खियों में रहे हैं। जस्टिस रेड्डी की बैंच ने ही सरकार पोषित नक्सलियों के खिलाफ संचालित सलवा जुडूम को असंवैधानिक करार दिया था।

जस्टिस रेड्डी ने तत्कालीन रमन सिंह सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि राज्य की जिम्मेदारी है कि वह नागरिकों की रक्षा करे, न कि  उन्हें हिंसा में झोंके। खास बात ये है कि रिटायरमेंट के आखिरी दिन जस्टिस रेड्डी ने छत्तीसगढ़ सरकार को बड़ा झटका दिया था, और सुकमा जिले में वर्ष-2011 में आदिवासी गांवों में आगजनी, और हिंसा के मामले की सीबीआई जांच की आदेश दिए थे। इस घटना में सुरक्षा बलों की कार्रवाई से कई लोग घायल हुए थे। मानवाधिकार कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश ने घटना को लेकर तत्कालीन आईजी एसआरपी कल्लूरी की भूमिका पर सवाल खड़े किए थे। कल्लूरी के खिलाफ अब भी जांच चल रही है।

अब बतौर उपराष्ट्रपति प्रत्याशी जस्टिस सुदर्शन रेड्डी को छत्तीसगढ़ से समर्थन की बात करें, तो वो संख्याबल के आधार पर यहां से पीछे रह सकते हैं। उन्हें कांग्रेस के पांच सांसदों का समर्थन मिलने की उम्मीद है। उपराष्ट्रपति चुनाव में केवल लोकसभा, और राज्यसभा के सदस्य को वोटिंग की पात्रता होती है। छत्तीसगढ़ से राज्यसभा में कांग्रेस के चार सदस्य हैं, और लोकसभा में एक सदस्य हैं। जबकि भाजपा के 10 लोकसभा सदस्यों के वोट जस्टिस सुदर्शन के खिलाफ जा सकते हैं। एनडीए ने बी राधाकृष्णन को प्रत्याशी बनाया है। कुल मिलाकर छत्तीसगढ़ से एनडीए प्रत्याशी राधाकृष्णन, एनडीए गठबंधन सुदर्शन रेड्डी पर भारी पड़ेंगे।

ब्रह्मकुमारी आश्रम

पीएम नरेंद्र मोदी का राज्य स्थापना दिवस समारोह के मौके पर आगमन तय हो गया है। मोदी ने नवा रायपुर में नए विधानसभा भवन के लोकार्पण के लिए सहमति दे दी है। लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला करेंगे। अब नवा रायपुर में एक और कार्यक्रम जुड़ गया है। पीएम, और लोकसभा स्पीकर नवा रायपुर में प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी विश्वविद्यालय का भी उद्घाटन करेंगे।

नवा रायपुर में कई आध्यात्मिक संस्थाओं को जमीन आबंटित की गई है। इनमें प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी विश्वविद्यालय भी हैं। यह विश्वविद्यालय  बनकर तैयार हो गया है। करीब 66 हजार वर्गफीट क्षेत्र में फैले पांच मंजिला विवि भवन में ध्यान केन्द्र, और सेमीनार हॉल आदि है। यहां चरित्र निर्माण के साथ-साथ नशामुक्ति की ट्रेनिंग भी दी जाएगी।

 विवि से जुड़े बाहर से आने वाले के सौ लोगों के ठहरने के लिए कक्ष का निर्माण किया गया है।  विवि के प्रबंधन से जुड़े लोगों ने पीएम से चर्चा की थी। स्पीकर डॉ. रमन सिंह ने भी पीएम नरेंद्र मोदी से चर्चा की। मोदी ने उद्घाटन करने के लिए सहमति दे दी है। मोदी पहले भी प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी के कार्यक्रमों में शामिल होते रहे हैं।

बृजमोहन ने संसद में वह कहा, जो आम तौर नहीं बोला जाता

रायपुर के सांसद और वरिष्ठ भाजपा नेता बृजमोहन अग्रवाल ने हाल ही में लोकसभा में छत्तीसगढ़ में बढ़ते प्रदूषण का मुद्दा उठाया है। यह एक ऐसा विषय है, जिस पर राजनेता अक्सर चुप्पी साध लेते हैं, लेकिन अग्रवाल ने न केवल इस समस्या को संसद के पटल पर रखा, बल्कि इसके समाधान के लिए ठोस और त्वरित कार्रवाई की मांग भी की। छत्तीसगढ़ जैसे औद्योगिक रूप से विकसित होते राज्य में प्रदूषण का यह मसला न केवल पर्यावरण, बल्कि जनस्वास्थ्य और आजीविका के लिए भी गंभीर चुनौती बन चुका है।

अग्रवाल ने अपने संबोधन में रायपुर, कोरबा और भिलाई को उन 131 शहरों में शामिल बताया, जो राष्ट्रीय प्रदूषण मानकों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। रायगढ़ और जांजगीर-चांपा की स्थिति भी कम चिंताजनक नहीं है। रायपुर के बाहरी इलाकों जैसे, सिलतरा और उरला में औद्योगिक गतिविधियों के कारण हवा और पानी का प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है। यह स्थिति न केवल स्थानीय निवासियों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही है, बल्कि उनकी आजीविका पर भी प्रतिकूल असर डाल रही है।

यह भी बता दें कि अग्रवाल ने नेशनल एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी) द्वारा रायपुर के 142 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में किए गए व्यापक अध्ययन का जिक्र किया है और इसकी रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग की है। हैरानी हो सकती है कि एक सत्तारूढ़ दल के सांसद को अपने ही इलाके की प्रदूषण से संबंधित जानकारी हासिल करने के लिए संसद में आवाज उठानी पड़ रही है।

बृजमोहन अग्रवाल ने संसद में यह मांग भी की, कि पूरे राज्य में पर्यावरणीय मूल्यांकन के लिए एक नई और व्यापक स्टडी होनी चाहिए, जो 2025 तक प्रदूषण के स्तर और पर्यावरणीय मानकों को स्पष्ट रूप से मैप कर सके। यह सुझाव दूरदर्शी है, क्योंकि इसके बिना दीर्घकालिक समाधान की दिशा में कदम उठाना मुश्किल होगा।

पता नहीं, किसी विशेषज्ञ से पूछकर यह बात की, या खुद अध्ययन किया लेकिन बृजमोहन अग्रवाल ने बड़े-बड़े तथ्य रखे। उन्होंने जैव विविधता पुनर्स्थापन की बात की, पौधारोपण पर जोर दिया। कृषि को इको फ्रैंडली बनाने की बात की, बागवानी पर जोर दिया।

 हालांकि, यह सवाल उठता है कि क्या केंद्र और राज्य सरकारें इस मांग को गंभीरता से लेंगी? नीरी की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाएगा? बृजमोहन अग्रवाल का यह कदम छत्तीसगढ़ के लोगों की आवाज को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का एक साहसिक प्रयास तो है, मगर पर्यावरण को बेहद नुकसान पहुंचाने वाली उनकी ही सरकार की नीति का क्या, जिसमें घने जंगल कोयला निकालने के लिए बर्बाद किए जा रहे हैं।


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