राजपथ - जनपथ
लोग उम्मीद से, हर हलचल पे नजर
कैबिनेट विस्तार की अटकलों के बीच स्पीकर डॉ. रमन सिंह मंगलवार को दिल्ली जा रहे हैं। वैसे तो डॉ. सिंह के दिल्ली विधानसभा के कार्यक्रम में शामिल होंगे, लेकिन उनकी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, और कई प्रमुख नेताओं से मुलाकात भी हो सकती है। ऐसे मौके पर जब कैबिनेट विस्तार के मसले पर पार्टी के अंदरखाने में खींचतान मची हुई है, रमन सिंह के दिल्ली दौरे पर भी पार्टी नेताओं की नजरें हैं।
कुछ लोग मानते हैं कि रमन सिंह पार्टी हाईकमान को कैबिनेट विस्तार के मसले पर सुझाव दे सकते हैं। पार्टी के क्षेत्रीय महामंत्री (संगठन) अजय जामवाल भी दिल्ली में थे, और उनकी भी राष्ट्रीय सह महामंत्री (संगठन) शिव प्रकाश के साथ बैठक हुई है। इसके बाद जामवाल असम चले गए। प्रदेश प्रभारी नितिन नबीन के रायपुर आने का अभी कोई कार्यक्रम नहीं है।
अंदाजा लगाया जा रहा है कि कैबिनेट विस्तार पर फिलहाल कुछ नहीं हो रहा है। चूंकि सीएम विष्णुदेव साय कह चुके हैं कि कैबिनेट का विस्तार जल्द होगा। ऐसे में उनके विदेश दौरे से लौटने के बाद ही कुछ होने के आसार हैं। पार्टी के कई लोगों का अनुमान है कि पितृपक्ष के पहले कुछ हो सकता है। पितृपक्ष सात सितंबर से शुरू हो रहा है। इससे पहले सीएम 31 तारीख को विदेश से लौटेंगे। तब तक अटकलों का बाजार गरम रहेगा।
प्रवक्ताओं को टिप्स
प्रदेश भाजपा के मीडिया विभाग के नवनियुक्त पदाधिकारियों में एक को छोड़ सभी ने रविवार को पद संभाल लिया। पार्टी नेतृत्व ने गुरुवार को ही बस्तर से सरगुजा तक के एक दर्जन नेताओं को प्रवक्ता नियुक्त किया था। सभी ने काम संभालने के बाद संगठन महामंत्री और वरिष्ठ नेताओं से भी मार्गदर्शन लिया है। इसके बाद मुख्य प्रवक्ता सांसद संतोष पांडेय ने सभी प्रवक्ताओं की बैठक की। इसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि कोई भी प्रवक्ता बयान या चैनलों को बाइट देने में जल्दबाजी न करें।
किसी भी विषय पर बाइट या बयान के लिए विषय वस्तु को लेकर मीडिया प्रभारी और मुख्य प्रवक्ता से रायशुमारी करें। न्यूज चैनलों के डिबेट में जाने से पहले चर्चा के विषय पर भी अनुमति ली जाए। विषय वस्तु का फीडबैक मीडिया प्रभारी से लिया जाए। तत्काल बाइट मांगने वाले न्यूज चैनलों को बाइट देने में जल्दबाजी न करें। कोई भी बयान में वेग में न दिया जाए।
अब एफआईआर रद्द कराने की मांग

केरल के अंगमाली जिले के इलावूर की सिस्टर प्रीति मैरी और कन्नूर जिले के उदयगिरी की सिस्टर वंदना फ्रांसिस का मामला अभी खत्म नहीं हुआ है। इन दोनों ननों को मानव तस्करी और धर्मांतरण के आरोप में 26 जुलाई को दुर्ग से गिरफ्तार किया गया था। उनके साथ नारायणपुर की तीन लड़कियां और उनमें से एक का रिश्तेदार भी मौजूद था। रिश्तेदार को भी गिरफ्तार किया गया, जबकि लड़कियों को बाद में घर भेज दिया गया।
सिस्टर्स की ओर से यह कहा गया कि वे इन लड़कियों को नर्सिंग ट्रेनिंग देकर किसी अस्पताल में रोजगार दिलाने वाली थीं। लेकिन गिरफ्तारी के बाद छत्तीसगढ़ सरकार दुविधा में पड़ गई। दरअसल, राज्य में धर्मांतरण का मुद्दा पहले से ही गरमाया हुआ है और इस मामले में हिंदुत्ववादी संगठनों को राजनीतिक संरक्षण भी मिला हुआ है।
दूसरी ओर, केरल भाजपा अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर ने इन ननों पर दर्ज मुकदमे को फर्जी करार दिया और उन्हें छुड़ाने के प्रयास में रायपुर भी पहुंचे। अंतत: ननों को जमानत तो मिल गई, लेकिन उनके खिलाफ दर्ज गंभीर अपराधों की सुनवाई आगे जारी रहेगी। ट्रायल शुरू होने के बाद उन्हें बार-बार छत्तीसगढ़ आना पड़ेगा, जो उनके लिए बड़ी परेशानी साबित होगी।
अब इन ननों की मांग है कि दर्ज एफआईआर को पूरी तरह रद्द किया जाए। बीते शनिवार को उन्होंने दिल्ली में एक बार फिर राजीव चंद्रशेखर से मुलाकात कर अपनी बात रखी। खबर है कि चंद्रशेखर ने आगे भी मदद का आश्वासन दिया है। चूंकि केरल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, भाजपा की राज्य इकाई हर हाल में ईसाई समुदाय को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही है। जमानत दिलाने का श्रेय पहले ही भाजपा को मिल चुका है, अब मुकदमों से पूरी राहत की मांग उठ रही है।
यह भी मुमकिन है कि आने वाले दिनों में भाजपा की केरल इकाई छत्तीसगढ़ सरकार इस बारे में सिफारिश करे। मगर, एफआईआर को सीधे-सीधे और तुरंत वापस ले लिया गया तो इसके राजनीतिक और प्रशासनिक असर भी होंगे। विपक्ष इसे अल्पसंख्यकों के उत्पीडऩ का सबूत बताएगा और पुलिस पर यह आरोप लग सकता है कि उसने बजरंग दल कार्यकर्ताओं के दबाव में कार्रवाई की थी।
संभावना यही है कि कोई बीच का रास्ता तलाशा जाएगा। मामले को अभी ठंडा रखा जाए और चुनाव नजदीक आते-आते ननों को खामोशी से राहत मिल जाए।


