राजनांदगांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 25 जून। जिला आदिवासी गोड महासभा द्वारा मंगलवार को वीरांगना रानी दुर्गावती का बलिदान दिवस पद्मश्री गोविंदराम निर्मलकर आडिटोरियम सभा में आयोजित किया गया।
मुख्य वक्ता के रूप में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, सांसद संतोष पांडे, भाजपा जिलाध्यक्ष कोमल सिंह राजपूत, श्रम कल्याण मंडल अध्यक्ष योगेश दत्त मिश्रा, आदिवासी गोड समाज के केंद्रीय महासभा के अध्यक्ष एमडी ठाकुर, जिला अध्यक्ष नीलकंठ गड़े की अध्यक्षता में संपन्न हुआ।
इस अवसर पर विस अध्यक्ष डॉ. सिंह ने कहा कि रानी दुर्गावती का जीवन बलिदान संघर्ष और साहस से भरा था, वह शक्ति और शौर्य की मूरत थी, मरना चुना पर हार नहीं मानी। भारत की वह सच्ची रानी थी। डॉ. सिंह ने कहा कि ऐसी वीरांगना ने न केवल समाज के लिए, बल्कि पूरी नारी जाति और देश के लिए अनुकरणीय उदाहरण दिया।
रानी दुर्गावती ने नारी सशक्तिकरण के लिए अनेक कदम उठाए थे। उन्होंने गुरुकुल की स्थापना की। जिसमें महिलाएं शिक्षा लिया करती थी।
डॉ. सिंह ने कहा कि एक आदिवासी मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने छत्तीसगढ़ में कीर्तिमान स्थापित किया। उन्होंने सरकार के गठन होते ही किसानों को 3100 रुपए क्विंटल में धान खरीद कर और 21 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीद कर तथा 2 साल का बोनस देकर कीर्तिमान स्थापित किया। डॉ. सिंह ने कहा कि एक आदिवासी बेटी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति बनाकर आदिवासी समाज के गौरव को बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि बेटी शिक्षित नहीं होगी तो समाज आगे नहीं बढ़ सकता। डॉ . सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज के उत्थान के लिए विशेष योजनाएं बनाई हैं।
आदिवासी समाज की वीरता की गाथा से देश कृतज्ञ- संतोष
इस अवसर पर सांसद संतोष पांडे ने बताया कि देश में नारी की वीरता की अनेक कहानियां पढऩे को मिलती है।
जिसमें रानी लक्ष्मीबाई, अहिल्याबाई होलकर, कैकेई थी, परंतु रानी दुर्गावती के पराक्रम को भुलाया नहीं जा सकता । 51 युद्धों में विजय प्राप्त करने के बाद 1564 में उन्होंने पीछे हटने के बजाय मरना स्वीकार किया और रानी की युद्ध कौशलता ने उन्हें एक महान योद्धा बना दिया। कार्यक्रम का संचालन सचिव पन्नालाल नेताम एवं आभार प्रदर्शन पंचूराम ठाकुर ने किया।
इस अवसर पर सीताराम गौड़, प्रशांत ठाकुर चंद्रिका डडसेना, रामप्रसाद मंडावी, शिवप्रसाद ठाकुर, राजेंद्र ठाकुर, सीताराम ठाकुर, आत्माराम चंद्रवंशी, रामानंद यूके, श्यामसहाय मडवी, जितेंद्र पटोली, कन्हैया टीकम, रमेश मांडवी, परमानंद नेताम, डोमन सिंह कुमरेकी, सुरेंद्र मांडवी, पूरन कोराम, कृपालु उईके सौरभ कोठारी, तरुण लहरवानी सहित बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के कार्यकर्ता उपस्थित थे।


