राजनांदगांव

भयावह जलसंकट से अप्रैल में सूखे एनीकट
12-Apr-2025 1:48 PM
भयावह जलसंकट से अप्रैल में सूखे एनीकट

भीषण गर्मी में शहर से लेकर देहात तक पानी के लिए मचा हाहाकार, मई-जून तक पेयजल-निस्तारी की रहेगी समस्या
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 12 अप्रैल।
अप्रैल का दूसरे पखवाड़े में पेयजल संकट की भयावह तस्वीरें सामने आ रही है। शहर से लेकर देहातों में निस्तारी के साथ-साथ पेयजल संकट गहरा गया है। ज्यादातर एनीकट पूरी तरह से सूख चुके हैं। जिले के सबसे बड़े मोंगरा जलाशय में मौजूदा पानी से राजनांदगांव और तटीय इलाकों के  कस्बों का प्यास बुझाना आसान नहीं है। वजह यह है कि भीषण गर्मी से वाष्पीकरण भी बढ़ा है। जलाशयों  में गर्मी के चलते जलस्तर तेजी से घट रहा है। शिवनाथ नदी भी भीषण गर्मी के चपेटे में है। शिवनाथ समेत अन्य नदियों के एनीकट में बूंदभर पानी भी नहीं है। एनीकटों की स्थिति देखकर लोग मई और जून तक पानी की व्यवस्था को लेकर चिंतित हैं। मानसून आने में अभी दो माह का वक्त है। यानी अगले दो महीने  पानी के लिए हर तरफ हाहाकार मचना तय है।

बताया जा रहा है कि सूर्य की तपिश से जमीन भी तप रही है। ऐसे में जमीन का जलस्तर भी चला गया है। शहर में पेयजल के लिए पर्याप्त पानी की आपूर्ति पर निगम प्रशाासन ने काफी सख्ती बरती है। ऐसे में पीने के पानी की व्यवस्था होने के बाद निस्तारी और अन्य जरूरतों के लिए नलकूप से पानी लिया जा रहा है। 
बताया जा रहा है कि यह स्थिति काफी गंभीर हालत में पहुंच चुकी है। शिवनाथ नदी की तय समय पर सफाई नहीं करने से भी पानी को लेकर एक विपदा की स्थिति बन रही है। मोहारा एनीकट में रेत की मात्रा अधिक होने के कारण पानी पर्याप्त रूप से भर नहीं पाया। एनीकट की गहराई अधिक होने से पानी की किल्लत संभवत: नहीं होती। 

 

उधर देहात इलाकों के एनीकट भी भीषण गर्मी की मार झेल रहे हैं। एनीकटों में पानी नहीं होने से मवेशियों से लेकर पशु-पक्षियों को भी गला तर करने के लिए भटकना पड़ रहा है। पिछले कई सालों से कई गांव से नए एनीकट बनाने का प्रस्ताव जलसंसाधन और शासन स्तर तक लटका पड़ा है। जिस तरह से गर्मी ने अप्रैल के महीने में अपना उग्र रूप दिखाया है। इससे मई और जून के महीने में पानी को लेकर एक बड़ा संकट खड़ा होने की आशंका बढ़ी है। देहात क्षेत्रों में महिलाएं और पुरूष पानी के लिए रतजगा भी कर रहे हैं। पंपों की स्थिति भी खराब हो चली है। जलस्तर गिरने से पंपों से सिर्फ हवा बाहर निकल रही है। 

पिछले कुछ सालों में जलस्रोतों को पुनर्जीवित करने का अभियान भी ठंडा पड़ा है। मसलन कुंए और बावली में वाटर रिचार्ज करने पहल नहीं की गई है। राजनांदगांव शहर में ही कई बड़े कुंए अब भी अच्छे जल से भरे हुए हैं, लेकिन सफाई नहीं होने के कारण इन कुंओं का पानी विषैला हो चला है। बहरहाल राजनांदगांव जिले के एनीकट में पानी के बजाय रेत का ढ़ेर दिख रहा है। अगले कुछ दिनों में स्थिति और भी भयावह पानी के चलते हो सकती है।


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