राजनांदगांव

ग्रामीणों के विरोध के बावजूद दी अनुमति, कलेक्टर संज्ञान लें
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 26 दिसंबर। कांग्रेस नेता जितेंद्र मुदलियार ने टेड़ेसरा-मनगटा के बीच ग्राम मगरलोटा में हो रहे मुरूम उत्खनन का निरीक्षण किया। ग्रामीणों ने उन्हें अपनी शिकायत में बताया कि चारागाह और अन्य प्रायोजनों के लिए आरक्षित शासकीय भूखंड को खोदा जा रहा है। कांग्रेस नेता मुदलियार ने तत्काल इस उत्खनन पर रोक लगाने और कार्रवाई ही मांग की है।
उन्होंने कहा कि प्रशासन जांच करें कि आखिर ग्रामीणों के विरोध के बीच किस तरह खुदाई का प्रस्ताव पारित कर दिया गया। वो भी उस स्थिति में जब इसे चारागाह के लिए आरक्षित रखा गया है। उन्होंने कहा कि बड़ी-बड़ी मशीनों से उत्खनन के नियम तार-तार हो रहे हैं। उत्खनन के लिए निर्धारित गहराई से ज्यादा खुदाई कर अंधाधुन मुरूम निकाली जा रही है। किन्हीं खनिज परिवहनकर्ताओं ने पोकलेन मशीन लगाकर इस भूखंड को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है। बीते कई दिनों से यहां खुदाई की जा रही है। मगरलोटा में प.ह.नं. 61 में खसरा नंबर 213/2 व 214/2 की 4 एकड़ की शासकीय जमीन में यह खुदाई की गई है। बीते 2 दिसंबर को ग्रामीणों ने इस मामले की शिकायत एसडीएम से भी की, लेकिन इस पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
ग्रामीणों के साथ मौके का निरीक्षण करने के बाद मुदलियार ने कहा कि मगरलोटा में जारी खुदाई सीधे मुरुम तस्करी से जुड़ा मामला है, जिसे संरक्षण दिया जा रहा है। ग्रामीण इस उत्खनन से आक्रोशित है और इसकी लगातार शिकायतें भी बेअसर हैं। नागरिकों की मांग है कि प्रशासन यहां आकर मौके पर पंचायत के सामने फैसला करे और मैं उनकी इस मांग का समर्थन करता हूं अन्यथा राजस्व व खनिज विभाग इस मामले में सीधी कार्रवाई करे।
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासनिक तंत्र इस तरह खनिज संपदा के दोहन में साझेदार बना हुआ है। उन्होंने कलेक्टर से इस मामले में संज्ञान लेने की मांग रखी। मुदलियार ने कहा कि अंधाधुन मुरूम उत्खनन को परिवहन की अनुमति देकर सप्लायर को फायदा पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। जबकि इस मुरूम को गांव में ही कई अन्य प्रयोजनों में इस्तेमाल किया जा सकता था। उन्होंने कहा कि अगर ग्राम में गहरीकरण किए जाने का विषय था तो इस मनरेगा के तहत किया जाना चाहिए था, ताकि स्थानीय मजदूरों को भी रोजगार मिले और एक सामाजिक सहभागिता बनाते ग्रामीणों को विश्वास में लिया जा सके।
मुदलियार ने कहा कि मुरूम उत्खनन से शासकीय भूमि अनुपयोगी हो गई है। यहां न ही भवन का निर्माण किया जा सकता है और न ही ये चारागाह के लिए उपयोगी रह गई है। ये बेहद गंभीर विषय है।
इसमें स्पष्ट रूप से शासकीय तंत्र की खामियां सामने आ रही है। बगैर स्थल निरीक्षण और भूखंड की उपयोगिता को नजर अंदाज करते परिवहनकर्ताओं को उत्खनन करने दिया जा रहा है, जो कि पूरी तरह गलत है। इस पूरे मामले में जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।