राजनांदगांव

8 में से सिर्फ 3 सीटों में भाजपा को मिली जीत
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 30 दिसंबर। लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा की रणनीतिक तैयारी में कांग्रेस से विधानसभा चुनाव में मिली हार का हिसाब चुकता करना शामिल है। दरअसल राजनांदगांव लोकसभा के 8 में से सिर्फ 3 सीटों में भाजपा को जीत हासिल हुई। अविभाजित राजनांदगांव में भाजपा की स्थिति बेहद दयनीय रही। सिर्फ डॉ. रमन सिंह को छोडक़र पार्टी का 5 सीटों में सुपड़ा साफ हो गया। यह नतीजे ऐसे वक्त में आए, जब समूचे छत्तीसगढ़ में भाजपा ने जीत का डंका बजाया।
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने भारी वोटों से जीत हासिल कर पार्टी का थोड़ा मान रखा। कवर्धा की दोनों सीटें भाजपा की खाते में चली गई। लोकसभा की चारों जिलों में से कवर्धा की स्थिति ठीक रही। अगले दो महीने के भीतर राजनीतिक दल अब लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमाने की तैयारी कर रहे हैं, इसलिए भाजपा ने विधानसभा चुनाव में मिली हार का हिसाब चुकाने के लिए लोकसभा की तैयारी शुरू कर दी है। भाजपा बूथ मैनेजमेंट से लेकर वोट शेयर बढ़ाने के लिए मंथन कर रही है। वैसे 15 सालों से राजनांदगांव लोकसभा की सीट पर भाजपा का कब्जा बरकरार है। 2009 से मौजूदा स्थिति में भाजपा ही सीट का प्रतिनिधित्व कर रही है। 2004 में चुने गए पूर्व सांसद प्रदीप गांधी के आपरेशन दुर्योधन में फंसने की वजह से डेढ़ साल के लिए देवव्रत सिंह ने कांग्रेस से जीत हासिल कर सदन में नेतृत्व किया था। इसके बाद से लगातार भाजपा जीत हासिल कर सीट को अपने कब्जे में रखी हुई है। राजनीतिक रूप से अब इस सीट पर मुकाबले का वक्त आ गया है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने राष्ट्रीय नेतृत्व को लोकसभा की 11 सीटें जीतने का भरोसा दिया है। राजनांदगांव संसदीय क्षेत्र का एक राजनीतिक वजन है। मौजूदा सांसद संतोष पाण्डेय संगठन के पसंदीदा रहे हैं। बावजूद इसके कई सीटों पर हार की वजह से उन पर भी उंगलिया उठ रही है। इससे परे पार्टी यहां खामियों को दूर करने की कोशिश में जुट गई है। लोकसभा के दौरान पार्टी पिछली हार को जीत में बदलने के लिए पूरा जोर लगा रही है। देश में रामलला मंदिर के उद्घाटन समारोह से लेकर अन्य धार्मिक गतिविधियों के दम पर भाजपा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पक्ष में लहर चलने का दावा कर रही है।
कांग्रेस के लिए राजनांदगांव संसदीय क्षेत्र में वापसी के लिए कई चुनौतियां है, लेकिन विधानसभा चुनाव में भाजपा के बजाय जनता ने कांग्रेस को चुना। भाजपा के भीतर विधानसभा चुनाव की मिली शिकस्त को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। पार्टी स्तर में लोकसभा में किसी भी तरह से जीत हासिल करने के लिए रणनीति बनाई जा रही है। बहरहाल लोकसभा चुनाव को लेकर जनवरी के पहले सप्ताह से बैठकें और सभाओं का सिलसिला शुरू होगा, जो कि चुनाव तक चलता रहेगा।