राजनांदगांव

माईक्रोफाईनेंस कंपनियों के जाल में फंसे ग्रामीणों से बगैर लोन हो रही वसूली
06-May-2023 3:30 PM
माईक्रोफाईनेंस कंपनियों के जाल में फंसे  ग्रामीणों से बगैर लोन हो रही वसूली

विधायक से समूह की महिलाओं ने सुनाया दुखड़ा, सीएम को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 6 मई।
छुरिया क्षेत्र में माईक्रो फाईनेंस कंपनियों के फैलते जाल में कई ग्रामीण फंसकर बिना लोन के वसूली का आरोप लगाकर बड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। क्षेत्रीय विधायक छन्नी साहू से महिला समूह की सदस्यों ने निजी फाईनेंस कंपनियों के कथित प्रताडऩा और हेराफेरी को लेकर शिकायत की है। ग्रामीण महिलाओं ने विधायक से पूरे प्रकरण की विस्तृत जानकारी देते बेवजह कंपनियों द्वारा वसूली किए जाने पर रोक लगाने की गुजारिश की है।  बताया गया है कि फर्जी तरीके से निजी फाईनेंस कंपनियों ने ऋण का प्रकरण बनाया है। ज्यादातर ग्रामीणों को लोन की फूटी कौड़ी नहीं मिली, लेकिन उनसे लोन लेने के नाम पर वसूली की जा रही है।

मिली जानकारी के अनुसार छुरिया क्षेत्र की लालूटोला की महिलाओं ने बताया कि डोंगरगांव ब्रांच की कई ऐसी कंपनियों ने समूह के लिए ऋण स्वीकृत किए थे, लेकिन उन्हें राशि नहीं मिली। लोन दिलाने के लिए एक एजेंट माध्यम बना। अब बैंक उन पर लाखों की लेनदारी बताकर वसूली के लिए दबाव बना रहा है। महिलाओं के मुताबिक वर्षों से निजी फाईनेंस कंपनी सेवमाईक्रो, सूर्योदय, उत्कर्ष, अन्नपूर्णा, ग्रामीण कोटा, एलएनटी, सत्या क्रयूजन, कमल फाईनेंस जैसे अन्य निजी कंपनियां इलाके में सक्रिय है। इन निजी कंपनियों को ग्रामीण क्षेत्र में बोलचाल की भाषा में कंगाल बैंक के नाम से जाना जाता है। इन कंपनियों ने लालूटोला निवासी लालसाय गोड़ के माध्यम से गांवों में महिला समूह तैयार करवाए और उन्हें ऋण दिया। समूह के खाते में ऋण की राशि जमा होते ही एजेंट ने  बहाना बनाकर पूरी राशि रख ली, अब समूह से वसूली के लिए दबाव बनाया जा रहा है।

महिलाओं ने आरोप लगाया कि एजेंट लालसाय की पत्नी द्वारा विधायक से लिखित आवेदन देकर कंपनियों से छुटकारा दिलाने की अपील की है। छुरिया इलाके में निजी फाईनेंस कंपनियों ने जाल फैलाकर समूहों को अपने गिरफ्त में कर लिया है। निजी फाईनेंस कंपनियों पर लगाम कसने की मांग उठ रही है।

मिलीभगत का संदेह  - छन्नी
विधायक छन्नी चंदू साहू ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते ऋण माफी और निजी फाईनेंस कंपनियों के अधिकारी-कर्मचारियों की भूमिका को संदेह के दायरे में माना है। उन्होंने कहा कि यह संभव नहीं दिखता कि बगैर मिलीभगत के वर्षों तक इस तरह की घपलेबाजी चलती रहे। उन्होंने मुख्यमंत्री, गृहमंत्री सहित तमाम जिम्मेदार एजेंसियों और प्रशासनिक अधिकारियों को पत्र लिखकर इस गड़बड़ी पर संज्ञान लेते हुए कार्रवाई के लिए पत्र लिखा है।
 


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