राजनांदगांव

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 30 दिसंबर। राज्य शासन के अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण द्वारा कलेक्टर राजनांदगांव को जिले के महिला स्वयं सहायता समूह को इलेक्ट्रॉनिक उपकरण/ कौशल विकास प्रशिक्षण हेतु 100 लाख रुपए राशि आवंटित की गई थी। कलेक्टर राजनंादगांव द्वारा उक्त आबंटित राशि का पुर्नाबंटन शर्तों के साथ मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत डोंगरगढ़-राजनांदगांव को कार्य एजेंसी के रूप में किया गया था। उक्त पुनबंटन राशि में गड़बड़ी के संबंध में डोंगरगढ़ के पूर्व विधायक रामजी भारती और जनपद सदस्यों ने शुक्रवार को प्रेसवार्ता में दी।
उन्होंने प्रेसवार्ता में बताया कि मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत डोंगरगढ़-राजनांदगांव द्वारा पुर्नाबंटित राशि सीधे महिला समूह के बैंक खाते में ट्रांसफर कर दिया गया, जो कि पूरी तरह से नियम विरूद्ध है, क्योंकि जनपद पंचायत एक कार्य एजेंसी है। महिला समूह हितग्राही है। ऐसी स्थिति में कार्य एजेंसी द्वारा हितग्राही के लिए होता है। सामान सप्लाई/ कौशल प्रशिक्षण का दायित्व मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा आबंटित राशि को समूह के खाते में सीधे ट्रांसफर कर दिया गया एवं उसी दिन समूह के खाते से संबंधित फर्म को बिना समान सप्लाई के आरटीजीएस के माध्यम से भुगतान करा दिया गया।
कलेक्टर राजनांदगांव द्वारा जारी पत्र के अनुसार भौतिक सत्यापन के पश्चात् ही भुगतान किया जाना था एवं भुगतान को पार्ट में दिया जाना था। स्पष्ट है कि उक्त राशि को मिलकर बंदरबाट किया गया है। भुगतान के पश्चात् सप्लायर फर्म द्वारा बिल-कोटेशन महिला समूह के नाम से जारी किया गया था, जो कि नियम के विरूद्ध है। साथ ही प्रदायकर्ता फर्म द्वारा जारी कोटेशन में दर्शित सामान के अनुसार न तो सामन सप्लाई किया गया है एवं न ही उक्त सामान का आज तक भौतिक सत्यापन हुआ। महत्वपूर्ण बात पर कि प्रदायकर्ता द्वारा बिल में दर्शित सामान एवं मात्रा उनके द्वारा दिए गए कोटेशन के बिल्कुल भी नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा कि आश्चर्य की बात है कि महिला समूह एवं प्रदायकर्ता के मध्य इकरारनामा हुआ है। जबकि इस संबंध में कोई भी निविदा नहीं निकाली गई है। भंडारगृह नियम एवं वित्त निर्देश का अनुपालन बिल्कुल भी नहीं किया गया है। ये सब किसके इशारे पर किया गया है। जबकि संबंधित जिम्मेदार अधिकारी कार्य एजेंसी होने के बावजूद मौन हैं, जहां एक तरफ महिला समूह एवं सामान प्रदायकर्ता के मध्य अनुबंध किया गया है। वहीं मुख्य कार्यलान अधिकारी जनपद पंचायत एवं महिला समूह के मध्य भी अनुबंध किया गया है, ये अनुबंध किस नियम के अन्तर्गत किया गया है, समझ से परे है। वस्तुत: अपनी जिम्मेदारी से बचने एवं राशि का बंदरबाट करने हेतु महिला समूह के कंधे का उपयोग किया गया है।
उक्त सामान की सप्लाई हेतु कभी भी समाचार पत्रों में निविदा आमंत्रित नहीं किया गया, यह जिम्मेदारी मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत की है। उन्होंने बताया कि सप्लाई प्रदायकर्ता द्वारा जारी कई बिल में दर्शित जीएसटी नम्बर भी फर्जी है। इसकी शिकायत केन्द्रीय विजीलेंस जीएसटी विभाग को किया गया है। नियम के अनुसार सप्लाई प्रदायकर्ता को भुगतान किए जाने के समय टीडीएस राशि नहीं काटी गई।
उन्होंने बताया कि उपरोक्त सभी बिंदुओं के संबंध में शिकायत पत्र मुख्य अपर सचिव छग शासन पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग रायपुर को 1 अगस्त 2022 को की गई थी, किन्तु आज पर्यन्त सिर्फ जांच के नाम से खानापूर्ति की जा रही है। उक्त सारी बातें शासन की जानकारी में है, बावजूद शासन एवं प्राधिकरण द्वारा कोई कार्रवाई करने के बजाय मौन है।
उन्होंने बताया कि अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण द्वारा अनुसूचित जाति वर्ग के उत्थान हेतु इस राशि का उपयोग किया जाता है। जबकि प्राधिकरण द्वारा जारी राशि को अनुसूचित जाति वर्ग से भिन्न अन्य व्यक्तियों पर भी खर्च किया गया है, जो कि अपराध की श्रेणी में आता है। उन्होंने दोषियों के खिलाफ अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अधिनियम के तहत कार्रवाई करने की मांग की।