रायपुर

म्यूनिसिपल बांड अगले माह: 100 करोड़ से निगम बनाएगा डूमरतराई में इलेक्ट्रॉनिक और लोधीपारा में फाइनेंशियल हब
26-Oct-2025 6:12 PM
म्यूनिसिपल बांड अगले माह: 100 करोड़ से निगम बनाएगा डूमरतराई में इलेक्ट्रॉनिक और लोधीपारा में फाइनेंशियल हब

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 26 अक्टूबर। नगरीय प्रशासन विभाग ने नगर निगम रायपुर को 100 करोड़ के म्यूनिसिपल बांड जारी करने की अनुमति दे दी है। यह अनुमति 4 शर्तों के साथ दी गई है। इस बांड पर राज्य सरकार कोई गारंटी नहीं देगी। इसी तरह से निगम इन बांड से संबंधित सभी प्रशासनिक, तकनीकी और नियामक स्वीकृतियां प्राप्त करेगा। इन बांड की सभी देनदारियां निगम की जिम्मेदारी होगी। राज्य शासन द्वारा किसी भी प्रकार का कोई लायबिलिटी गैप फंडिंग नहीं दिया जाएगा। साथ ही निगम को सेबी के नियमों का पालन करना होगा। संकेत है कि अगले एक माह में निगम में बांड वित्तीय बाजार में विक्रय के लिए जारी करेगा।

मिली जानकारी के अनुसार निगम ने  अपने प्रस्ताव में 200 करोड़ के बांड जारी करने की अनुमति मांगी थी लेकिन राज्य सरकार ने 100 करोड़ की ही दी। निगम की रेटिंग और वित्तीय स्थिति को देखते हुए उसे  13  करोड़ रुपए का ब्याज माफ (इंटरेस्ट सबवेंशन) का भी लाभ मिलेगा। यानी निगम को  87 करोड़ का ही भुगतान करना होगा। ये बांड आम जनता के परचेज़ के लिए नहीं होंगे। केवल बड़े वित्तीय संस्थानों (फंड हाउसेस) के लिए होंगे। निगम अब ये बांड अगले एक दो माह में जारी कर सकेगा। निगम को अब न्यूनतम ब्याज दर वाले कर्जदार की तलाश होगी। इन बांड की माली हालत को जांचने सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड), साल में 4 बार इनका आडिट करेगा।

सूत्रों ने बताया कि इस पहले बांड से निगम दो प्रोजेक्ट शुरू करने जा रहा है। पहला डूमरतराई में इलेक्ट्रॉनिक हब और लोधी पारा पंडरी के पास क्रिस्टल आर्केड में आफिसेस एंड फाइनेंशियल हब। इन बांड के सफल होने पर निगम भविष्य के अपने दूसरे बड़े प्रोजेक्ट के लिए भी बांड जारी कर सकेगा। आने वाले वर्षों में निगम की योजना खारून नदी (महादेव घाट) में फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट लगाने की है। इससे पानी के वाष्पीकरण में कमी लाने के साथ निगम के करोड़ो के बिजली बिल का भार कम करने में भी मदद मिलेगी।

देश का 12 वां निगम

रायपुर म्यूनिसिपल बांड जारी करने वाला प्रदेश का पहला और देश का 12 वां निगम होगा। इससे पहले इंदौर, राजकोट, अहमदाबाद, पुणे, पिंपरी- चिंचवाड़, लखनऊ, हैदराबाद आदि जारी कर चुके हैं। वहीं देश की राजधानी  दिल्ली निगम भी जारी नहीं कर पाया है। अफसरों ने बताया कि केंद्रीय शहरी विकास विभाग भी चाहता है कि देश के अन्य निगम भी ये बांड लें। ताकि उस पर और राज्य सरकारों पर आर्थिक निर्भरता कम हो। साथ ही इतनी बड़ी देनदारियों को देखते हुए निकायों में वित्तीय अनुशासन लाकर और राजस्व हानि (रेवेन्यू लिकेज) भी रोका जा जा सकेगा। इसके लिए निगम को हर तीन महीने में सेबी के आडिट से गुजरना होगा।

दो महापौर, चार कमिश्नर की भूमिका रही

निगम के सूत्रों के मुताबिक इस पूरी प्रक्रिया में 4 वर्ष लग गए। इसमें  सेवानिवृत्ति अपर कमिश्नर यूएस अग्रवाल की अहम भूमिका रही।इस दौरान निगम के 5 कमिश्नर और दो महापौर के साथ निगम के अमले को सामंजस्य बिठाकर सहमति लेनी पड़ी। बांड जारी करने के प्रस्ताव पर पिछली और वर्तमान दोनों ही सामान्य सभा ने भी प्रस्ताव पारित कर दिया है। इसके लिए रायपुर नगर निगम की क्रेडिट रेटिंग के लिए प्रशासन की कड़ी मेहनत करनी पड़ी। इसके बाद ही निगम ने एए रेटिंग हासिल किया।


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