रायपुर

कांग्रेस में जिलाध्यक्षों के नामों को लेकर अटकलें, दावेदार निकाल रहे भड़ास
25-Oct-2025 6:57 PM
कांग्रेस में जिलाध्यक्षों के नामों को लेकर अटकलें, दावेदार निकाल रहे भड़ास

गृह जिले में बड़े नेताओं की पसंद पर लगेगी मुहर?

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 25 अक्टूबर। कांग्रेस में जिलाध्यक्षों के चयन के लिए रायशुमारी  की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। खबर है कि हफ्तेभर में सभी 41 संगठन जिलाध्यक्षों की सूची जारी कर दी जाएगी। इसी बीच दावेदारों के पोस्ट से पार्टी के अंदरखाने में हलचल मची है।

पार्टी के संगठन सृजन अभियान के तहत जिलाध्यक्षों के चयन के लिए पर्यवेक्षक भेजे थे, और जिला-ब्लॉकों में जाकर पर्यवेक्षकों ने अपना पैनल हाईकमान को सौंप दिया है। गुरुवार को पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट पर प्रभारी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने चार प्रमुख नेता पूर्व सीएम भूपेश बघेल, टीएस सिंहदेव, नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत, और प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज से चर्चा की, और उनसे सुझाव लिए।

सूत्रों के मुताबिक प्रदेश के नेताओं से जिलेवार पर्यवेक्षकों के पैनल में से पसंद पूछी गई। सभी नेताओं ने अपनी तरफ से उपयुक्त नाम सुझाए हैं।  पार्टी के अंदर खाने में चर्चा है कि चारों प्रमुख नेताओं के गृह जिले में उनकी पसंद पर मुहर लग सकती है। हल्ला है कि रायपुर शहर से श्रीकुमार मेनन,  अंबिकापुर से बालकृष्ण पाठक, बिलासपुर ग्रामीण से आशीष सिंह, कोरबा  ग्रामीण से मनोज चौहान, दुर्ग ग्रामीण से राकेश ठाकुर, राजनांदगांव शहर से जितेन्द्र मुदलियार अथवा कुलबीर छाबड़ा, कवर्धा से होरीलाल साहू, राजनांदगांव ग्रामीण से छन्नी साहू या पदम कोठारी के नाम पर मुहर लग सकती है।

जिलाध्यक्षों के चयन में आरक्षण, और महिला कोटे का ध्यान रखने का भी दावा किया जा रहा है। इन सबके बीच  सोशल मीडिया में कुछ दावेदार संदेह भी जता रहे हैं। इन्हीं में एक रायपुर शहर से दावेदार श्रीमती प्रीति उपाध्याय शुक्ला ने फेसबुक पर अपनी भावनाओं का इजहार किया है।

उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा कि हम जैसी संगठन से जुड़ी एवं संगठन के लिए समर्पित एक आम महिला कार्यकर्ता राहुल गांधी जी की तरफ उम्मीद से देख रहे हैं। क्योंकि राहुल गांधी जी ने स्पष्ट कहा है कि संगठन सृजन अभियान कांग्रेस पार्टी का एक ऐसा अभियान है जिसका उद्देश्य पार्टी की नींव को मजबूत करना और जमीनी स्तर पर पार्टी के ढांचे को मजबूत करना है। यह अभियान केवल पद भरने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि समर्पित कार्यकर्ताओं को नेतृत्व देना है।

अब देखना यह है कि क्या राहुल गांधीजी की सोच के अनुसार जमीन पर वाकई में यह प्रक्रिया पारदर्शिता के साथ संपन्न की जाएगी? क्या वाकई में आधी आबादी यानी की हम महिलाओं को उनका हक दिया जाएगा? क्या वाकई में समर्पित एवं नए नेतृत्व को मौका दिया जाएगा? या कि वही मठाधीश अपने लोगों को सेट कर देंगे? यदि ऐसा हुआ तो आगामी चुनाव में परिणाम भी वही होगा जो होता आ रहा है। बहरहाल, सूची हफ्तेभर के भीतर जारी हो सकती है।


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