रायपुर
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तस्वीर / ‘छत्तीसगढ़’ / अभिषेक यादव
सुकमा से लौटकर प्रदीप मेश्राम
रायपुर, 2 अक्टूबर (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। बस्तर रेंज के सुकमा जिले के अशांत क्षेत्रों में सरपट दौड़ रही एक खास किस्म की बस ने सालों बाद सामाजिक ताना-बाना को मजबूती प्रदान की है। ‘हुक्कूम मेल’ बस सेवा ने इस जिले के सुदूर क्षेत्रों में हाशिये में पड़े एक बड़ी आबादी को मुख्यधारा में जोडक़र एकीकृत किया है। यह बस सुकमा के अंदरूनी इलाकों के लिए लाईफ लाईन का रूप ले चुकी है। इस बस सेवा को गोंडी शब्द हुक्कूम यानी संदेशवाहक का नाम दिया गया है। इसके पीछे रिमोट इलाकों के गांवों के बीच संदेश और आपस में जोडऩा पुलिस और प्रशासन का उद्देश्य रहा है।
इस साल फरवरी से यह बस सेवा पीपीपी मॉडल के साथ शुरू की गई। नीति आयोग की फंड से फिलहाल 4 रिमोट इलाकों के लिए बस सेवा शुरू की गई है। पहले चरण में जगरगुंडा-कोंटा (130 किमी), तोंगपाल-सुकमा व्हाया छिंदगढ़ (140 किमी), भूसारास-आलेर व्हाया सुकमा (70 किमी) और किस्टाराम से सुकमा तक हुक्कम बसें दौड़ रही है। दरअसल इन मार्गों में लंबे समय बाद शुरू हुई बसों से लगभग 15 हजार यात्रियों को सीधा सुकमा मुख्यालय से जोडऩे का मौका मिलेगा।
बताया जाता है कि पिछले 8 माह से शुरू हुई बसों से व्यापार के लिए एक माहौल बना है। साप्ताहिक हाट-बाजार तक पहुंचने के लिए बस से लोग पहुंच रहे हंै। इसके अलावा स्वास्थ्य संबंधी क्षेत्रीय समस्याएं और बेरोजगारी भी दूर हुई है। हुक्कूम बस सेवा को मिली लोकप्रियता के बाद पुलिस की मदद से प्रशासन सुकमा के कुछ और इलाकों में ऐसी ही बस शुरू करने की तैयारी में है।
प्रशासन ने एक समिति को बस संचालन का अधिकार सौंपा है। समिति प्रमुख अनूप धु्रर्वे ने ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि नो लॉस-नो प्राफिट के आधार पर बसें तय मार्गों पर दौड़ रही है। प्रशासन की इस योजना को मूर्तरूप देेने का प्रयास जारी है। बस सेवा को लेकर एलमागुंडा के वेटी हुर्रा और महिला यात्री जोगी ने गांव तक सफर करने का अनुभव साझा किया। दोनों यात्रियों का कहना है कि आवा-जाही की एक बड़ी समस्या से निजात मिली है।
इधर बस संचालन के बाद से आदिवासी बाहुल्य इलाके में बुनियादी गतिशीलताएं भी बढ़ी है। इलाके की एक बड़ी आबादी का संपर्क भी बढ़ा है। प्रशासन ने पुलिस की मदद से इन बसों संघर्ष प्रभावित वाले इलाकों में दौड़ाने से पहले आवश्यक सावधानी के साथ अनुमति दी है। हुक्कूम बस समिति द्वारा 6 वर्षों तक इसे चलाया जाएगा।
बसों के संचालन से खुलेगा विकास का रास्ता-आईजी
हुक्कूम मेल बस सेवा की अवधारणा की सराहना करते बस्तर आईजी सुंदरराज पी. का कहना है कि अंदरूनी इलाकों में बसों की आवाजाही से विकास का रास्ता बनेगा। उनका मत है कि आदिवासी इलाकों के बांशिदों को भी तरक्की का अधिकार है। उनका हक है कि वह देश-दुनिया के साथ आगे बढ़े।