रायपुर

बूढ़ापे में परेड और ट्रेनिंग से परेशान पुलिस के सैकड़ों लिपिक
09-Apr-2023 9:22 PM
बूढ़ापे में परेड और ट्रेनिंग से परेशान पुलिस के सैकड़ों लिपिक

पीटीएस में सुविधाएं भी नहीं

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 9 अप्रैल। छत्तीसगढ़ पुलिस  के लगभग ढाई सौ बाबू पीटीएस माना में बुनियादी प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। जिसमें से करीबन 200 बाबू उम्र के ढलान पर हैं, शरीर शिथिल हो चुका हैऔर शुगर, बीपी, मोटापा, हार्ट प्राब्लम थायरायड, किडनी, लीवर के रोग व मोतियाबिंद जैसी बीमारियों से पीडि़त हैं। ये  बाबू उन कठिन प्रशिक्षण को विवशता में कर रहे हैं, जो जवानों को 20 से 25 वर्ष की युवावस्था में सिखाया जाता है।

दरअसल डी जी पी ने निर्देशित किया है कि पुलिस के समस्त क्लकों को बुनियादी प्रशिक्षण कराया जाए। इस आदेश के परिपालन में छत्तीसगढ़ के प्राय: सभी जिलों से कुल मिलाकर ढाई सौ क्लर्क एवं स्टेनो 23 जनवरी से 90 दिवस का बुनियादी प्रशिक्षण पीटीएस माना में ले रहे हैं, जो 23 अप्रैल को समाप्त होगा। इसके बाद इनकी परीक्षा होगी। बताया जाता है कि इस प्रशिक्षण को पूर्ण करने एवं परीक्षा में सफल होने के उपरांत ही संबंधित कर्मचारी को वेतनवृद्धि, पदोन्नति देने एवं स्थाईकरण का प्रावधान है। पूर्व में विभाग के स्तरपर इस ओर यथोचित ध्यान नहीं दिये जाने से विभाग के क्लर्क एवं स्टेनो बिना प्रशिक्षण के 3 से 4 बारपदोन्नत होकर लगातार नियमित वेतनवृद्धि प्राप्त कर रहे हैं।

किसी प्रकरण विशेष में यह तथ्य  अशोक जुनेजा, पुलिस महानिदेशक के संज्ञान में आने पर उन्होंने प्रशासन एवं प्रशिक्षण शाखा के अधिकारियों कीक्लास ली और सबका प्रक्षिण कराने का निर्देश दिया। जिससे विभाग के लिपिक एवं स्टेनो संवर्ग के कर्मचारियों में हडकम्प मचा हुआ है और प्रथम बैच में लगभग ढाई सौ बाबू  परेड करते हुए कानून एवं कार्यालयीन कार्य प्रणाली का प्रशिक्षण ले रहे हैं।

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ पुलिस में लिपिकीय संवर्ग के प्रशिक्षण का कोई मानक एसओपी नहीं है, केवल वर्ष 2015 में बने सिलेबस के आधार पर रिकूट आरक्षकों की तरह ट्रेनिंग दी जा रही है। लिपिक एवं स्टेनो संवर्ग के भर्ती नियम के अनुसार यह ट्रेनिंग 2 वर्ष की परीवीक्षा अवधि के दौरान कराने का प्रावधान  है, लेकिन पुलिस मुख्यालय के स्तर पर इसे कभी गंभीरता से नहीं लिया गया, फलस्वरूप अधिकांश स्टेनो एवं लिपिक नियमित वेतनवृद्धि सहित 3-4 पदोन्नति प्राप्त कर उम्र के उस पड़ाव में पहुंच गये हैं, जब शरीर किसी प्रशिक्षण के लायक नहीं रह गया है तथा गंभीर बीमारियों से ग्रसित हो चुका है। डी जी पी  के निर्देश से से असंतुष्ट  जिम्मेदार अधिकारियों ने आनन फाननमें आदेश जारी कर  सभी अनट्रेण्ड लिपिकों एवं स्टेनोग्राफरों को इस ट्रेनिंग में बुला लिया है, जबकि ड्रिल मैन्युअल एवं कोषालय संहिता के अनुसार 45 वर्ष की उम्र के बाद प्रशिक्षण न कराने का स्पष्ट निर्देश है। प्रशिक्षणरत अधिकांश कर्मचारी अपने पद से संबंधित कार्यों का खासा अनुभव रखते हैं ।तथा अधिकांश उम्र के 50 वर्ष पार कर चुके हैं। अनेक ऐसे हैं जो आगामी 6 माह के भीतर सेवानिवृत्त होंगे, एक महिला मुख्य लिपिक तो प्रशिक्षण के दौरान ही 31 मार्च को सेवानिवृत्त हो गई।

सूत्रों के अनुसार उम्रदराज प्रशिक्षार्थी आए दिन बीमार पड़ रहे हैं, रोज 2-4 प्रशिक्षार्थी पीटीएस प्रबंधन की कुव्यवस्था, रुग्ण शरीर की प्रशिक्षण में रगडाई, उम्रदराज स्थिति के कारण डॉक्टर की शरण में जा रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि पीटीएस माना में 300 आरक्षकों को ट्रेनिंग देने की व्यवस्था है। वहां पहले से ही 600 रिकूट प्रशिक्षणरत होने के बावजूद लगभग ढाई सौ लिपिक एवं स्टेनो को भी यहीं प्रक्षिण के लिये भेज देने से पीटीएस की व्यवस्था चरमरा गई है। जबकि बाबूओं को पुलिस अकादमी में प्रशिक्षण देने का प्रावधान

है। संसाधनों के अभाव में गंदे टायलेट के बीच बाबूओं को बेरेकों में ठूंस दिया गया

है। कुक, नाई, धोबी, मोची और सफाई कर्मचारियों की कमी से पहले से ही जूझ रहे पीटीएस माना का प्रबंधन किसी तरह बाबूओं की व्यवस्था मेनेज करने और प्रशिक्षण पूरा कराने में लगे हुए हैं। इस अव्यवस्था से पर्दे के पीछे रहकर पूरे छत्तीसगढ़ पुलिस की व्यवस्था

सम्हालने वाले लिपिक एवं स्टेनो संवर्ग में काफी रोष है। किंतु अनुशासन के चलते मुंह बंद कर रखा है। बाबूओं को प्रशिक्षण से गुरेज नही है, परंतु उम्र का ध्यान न रखने  व अव्यवस्था से दुखी हैं।


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