रायपुर

दाल,राइस मिल के धूल, धुएं से धूसरित है लाखों की आबादी
27-Nov-2022 4:37 PM
दाल,राइस मिल के धूल, धुएं से धूसरित है लाखों की आबादी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 27 नवम्बर।
मोवा,दलदल सिवनी से लेकर विधानसभा तक के आवासीय इलाके दाल और राइस मिल के धुंए से परेशान हैं। इन मिलों में धान-दाल से छिलके निकालने और पालिशिंग का काम होता है। इससे निकलने वाली पाउडर नुमा धूल और धुएं से घरों में लगा महंगे से महंगा पेंट भी काला हो गया है। इतना ही नहीं इस धुएं और धूल से इस इलाके में बसी एक लाख की आबादी में से अधिकांश सांस की बिमारी और लंग्स जाम की शिकायत से परेशान है। इस इलाके के पार्षद और विधायक की चुप्पी की तरह के प्रश्न खड़े करती है। ये मिले 24 घंटे 365 दिन चलती हैं। और तीनों पालियों में मिलिंग के काम में दर्जनों श्रमिकों से मिल मालिक काम लेते हैं। ये लोग भी धूल, धुएं से सने हुए रहते हैं। सारा धूल इनके पेट, नसों, धमनियों में जमा होता है इनका कभी इलाज या मेडिकल टेस्ट भी मिल मालिक नहीं कराते। मिलों से निकलने वाला काला धुआं लोगों के घरों के अंदर तक पहुंच रहा है। पेड़-पौधें हों कार, आंगन हो या किचन हर जगह काली राख की परत जमी रहती है।आलम यह है की लोग और बच्चे अपने ही घर में खिडक़ी दरवाजे बंद कर कैद होने को मजबूर हैं।क्योंकि यहां खुली हवा में सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है।लगातार लोग बीमार पड़ रह हैं।पर चौंकाने वाली बात यह है की दर्जन भर शिकायत के बाद भी प्रशासन को यह मनमानी दिखाई नहीं दे रही।

इस संबंध में प्रदूषण मंडल और पर्यावरण विभाग के अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध नजर आती है। विभाग के अधिकारी, प्रदूषण मंडल में शिकायत करने कहते हैं और वहां लिखित शिकायत मांगी जाती है। रहवासी शिकायत से इसलिए बचते हैं कि मिल मालिकों को नाम मालूम चलने पर विवाद की स्थिति बनेगी। क्योंकि सरकारी अमला कितनी गोपनीयता बरतता है सभी जानते हैं। शिकायत न होने की  इसी बात का फायदा उठाकर अफसर कार्रवाई से बचते हैं। कुछ वर्ष पूर्व सीएसईबी के अध्यक्ष राजीव रंजन ने प्रदूषण मंडल और पर्यावरण विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर इन मिलों पर कार्रवाई की थी। उसके बाद से अबतक किसी ने भी कार्रवाई नहीं की। प्रदेश भर में प्रदूषण की बात करने वाले पर्यावरण मंत्री, ग्रामीण विधायक और अफसरों को अपनी ही नाक के नीचे बह रहा धूल - धुआं नजर नहीं आ रहा।


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