रायगढ़

दो वर्षों से शिक्षक की कमी से जूझ रहा केसरचुवां प्रायमरी स्कूल
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 12 अगस्त। तमनार विकासखंड के अंतिम छोर में बसे केशरचुवां का प्राथमिक शाला बीते दो वर्षों से शिक्षक की कमी से जूझ रहा हैं। स्कूल में बच्चों की संख्या 37 है, जिनका भविष्य एक ही टीचर के ऊपर टिका हुआ है। कहने को स्कूल में दो शिक्षकों की पोस्टिंग है, लेकिन प्राथमिक शाला में पदस्थ प्रधान पाठक सुरेंद्र कुमार सिदार को अध्यापन व्यवस्था के लिए खरसिया विकासखंड में जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा संलग्न किया गया है। जिस वजह से प्राथमिक शाला एक मैडम के भरोसे संचालित हो रहा है। टीचर्स के अभाव में बच्चों को सही से शिक्षा नहीं मिल पा रही हैं। ग्रामीणों का कहना है कि शिक्षकों की कमी के कारण उनके बच्चों का भविष्य अनिश्चितताओं से गुजरता जा रहा है। ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार प्राथमिक शाला में एक ही शिक्षिका होने के कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। स्कूल के कार्यों के कारण कई दिन मैडम व्यस्त रहती है, जिस वजह से वह बच्चों को पढ़ा नहीं पाती। ग्रामीणों ने बताया कि प्राथमिक शाला में पदस्थ मैडम स्कूल के कार्यों के कारण संकुल व मीटिंग में चली जाती है। जिसके बाद बच्चे खेलने में व्यस्त हो जाते हैं और पढ़ाई नहीं हो पाती। जिससे उनका भविष्य गर्त में जाता दिख रहा है। शिक्षा समेत नौनिहालों के पठन पाठन पर सरकार द्वारा भले ही प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये खर्च किये जाते हों, लेकिन इसके बावजूद भी सरकारी स्कूल में शिक्षा व्यवस्था बेहद बदहाल स्थिति में हैं। एक शिक्षक के भरोसे जब पूरा स्कूल चले तो छात्रों की पढ़ाई-लिखाई का अंदाज आसानी से लगाया जा सकता है। एक तरफ जहां सरकार बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिये सरकारी विद्यालयों पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, वहीं जमीनी स्तर पर शिक्षकों की कमी से नौनिहालों का भविष्य अंधकार में घिरता जा रहा है।
शिकायत के बाद वैकल्पिक व्यवस्था से पढ़ाई
शिक्षक की कमी से जूझ रहे केशरचुवां गांव के सरपंच ने मामले की शिकायत विकास खंड शिक्षा अधिकारी से की है। जिसके बाद विकास खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा वैकल्पिक व्यवस्था की गई है। माध्यमिक शाला में पदस्थ शिक्षकों को समय निकालकर प्राथमिक शाला के बच्चों को पढ़ाने के लिए बोला गया हैं।