महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद,12 नवंबर। जिले के 550 एनएचएम कर्मचारियों के छग प्रदेश एनएचएम कर्मचारी संघ जिला इकाई के जिलाध्यक्ष रामगोपाल खूंटे ने कलेक्टर एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को अपनी मांगों और समस्याओं से अवगत कराया है तथा चेतावनी दी है कि वेतन नहीं तो काम नहीं के तर्ज को पूरा करने के लिए एनएचएम कर्मी विवश हो जाएंगे। 15 नवंबर तक समस्याओं का समाधान नहीं होने पर फिर से मैदान में उतरने के लिए विवश हो जाएंगेउनका कहना है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कर्मचारियों को आंदोलन के दौरान आश्वस्त किया गया था परंतु इसका परिणाम आज भी शून्य है। इतना ही नहीं मिशन के 25 साथियों को बहाली नहीं की गई तथा एनएचएम कर्मियों को अभी तक कोई लाभ प्राप्त नहीं हुआ। आंदोलन के दौरान डॉ.अमित मिरी प्रांत अध्यक्ष ने बताया कि मुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री के समन्वय से जन स्वास्थ्य हित को देखते हुए हड़ताल से वापस होना पड़ा।
उन्होंने आगे बताया कि 27 प्रतिशत में 5 प्रतिशत बढ़ा वेतन एरियस के रूप में दिया जाना उसको भी नहीं दिया।
साथ ही कई ऐसे कर्मचारी जैसे सीएचओ को भी 4 माह का इंसेटिव देने के लिए आनाकानी कर रहे हैं। एनएचएम के कई कर्मचारी शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मानसिक स्वास्थ्य खराब के कारण आज अस्पताल में हैं। यह भी बताया कि कई कर्मचारी ऐसे हैं जो 10 से 12 साल काम करने के बावजूद उनका वेतन 10 से 12 हजार से अधिक नहीं बढ़ पाया। किसी भी प्रकार से सरकार की सकारात्मक सोच कर्मचारी के प्रति नहीं है।
बिहार, ओडिशा, राजस्थान, मप्र, असम, केरल, कर्नाटक, मणिपुर जैसे राज्यों में एनएचएम कर्मचारियों को समयमान वेतन, अनुकंपा नियुक्ति, स्थाई जॉब की सुरक्षा दी गई है, पर छग में कुछ भी नहीं। बहरहाल एनएचएम कर्मचारियों को मोदी की गारंटी 100 दिन के अंदर मांगे पूरी करने का वादा धूमिल हो रहा है।
बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कर्मचारियों को आंदोलन के दौरान आश्वस्त किया गया परंतु इसका परिणाम आज भी शून्य है। इतना ही नहीं मिशन के 25 साथियों को बहाली नहीं की गई तथा एनएचएम कर्मियों को अभी तक कोई लाभ प्राप्त नहीं हुआ।
डॉ. अमित मिरी प्रांताध्यक्ष ने बताया कि मुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री के समन्वय से जन स्वास्थ्य हित को देखते हुए हड़ताल से वापस होना पड़ा था।


