महासमुन्द

पर्यूषण महापर्व के अंतिम दिन पुरुष-महिलाएं-बच्चे बने एक दिन के साधु-साध्वी
02-Sep-2025 4:07 PM
पर्यूषण महापर्व के अंतिम दिन  पुरुष-महिलाएं-बच्चे बने  एक दिन के साधु-साध्वी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

महासमुंद,2 सितंबर। जैन संप्रदाय के आठ दिवसीय पर्युषण महापर्व के अंतिम दिन संवत्सरी के बाद अब सभी तीर्थों और दादा के जन्मस्थलों पर में नित्य आरती और मंगलदीया किया जा रहा है। उपाध्यायद्वय अध्यात्मयोगी महेंद्रसागर व युवामनीषी मनीषसागर के शिष्य विवेकसागर और शासनरत्नसागर की निश्रा में पर्युषण महापर्व के कल अंतिम दिन सुबह कई पुरुष, महिलाएं और बच्चे एक दिन के साधु-साध्वी बने। मूल बारसा सूत्र का वाचन हुआ। शाम को सामूहिक प्रतिक्रमण हुआ। जिसके बाद सभी ने जाने.अनजाने में की गई गलतियों के लिए एक-दूसरे से क्षमा याचना की।

मालूम हो कि पर्युषण पर्व जैन संप्रदाय का विशेष पर्व है। जिसमें अपने अहंकार को खत्म कर सभी जीवों से माफी मांगने की प्रथा है। महापर्व के दौरान प्रतिदिन प्रतिक्रमण व कल्पसूत्र वाचन हुआ। जैन मंदिर में प्रभु की आरती की गई। आठ दिनों तक प्रभु की आंगी रचाई गई। पांचवें दिन भगवान महावीर का जन्म कल्याणक महोत्सव मनाया गया। इस बेला में समाज के सदस्यों ने माता त्रिशला के चौटर स्वपों की बोलियों का लाभने माता त्रिशला के चौदह स्वप्नों की बोलियों का लाभ नेमीचंद रतनचंद, दिलीपचंद व रमेश कुमार कोठारी परिवार के अलावा सोहनलाल व राजेश लूनिया परिवार ने लिया। पट खोलने का लाभ केशरीचंद स्वरूपचंद गुमानचंद अभयकुमार लुनिया परिवार ने लिया।

 

इस दौरान सबने कहा मिच्छामि दु:खडम। पर्व के क्रम में पूज्य मसा ने क्षमा के महत्व का वर्णन किया। कहा कि क्षमा वीरों का आभूषण है। जो वीर होता है, उसी में क्षमा करने की क्षमता होती है।

 उन्होंने सकल जैन श्री संघ से मिच्छामि दु:खडम बोलते हुए क्षमायाचना की और संघ ने भी उनसे आशीर्वाद लेकर क्षमायाचना की।

जैन संघ के सचिव रितेश गोलछा ने बताया कि इस वर्ष बहुत से आराधकों ने मासक्षमण, अठाई, नौ उपवास, आत्म शोधन, कर्म विजय, समवशरण, विजय कसाय, अक्षय निधि, तेला, एकांतर तप, 51-68 दिवसीय एकासना व बियासना जैसी की तपस्याएं की है। इस बीच ज्योति बाफना, करुणा बोथरा, मंजू बोथरा, भक्ति गोलछा व भाविका वैद ने मासक्षमण की तपस्या की। इसी तरह शांतिनाथ मंडल ने मेघ भवन में मनमोहक झांकी, पंचतीर्थी झांकी व चारों दादागुरुदेव की जन्मस्थली की झांकी रचाई। राणकपुर, भोपावर, नागेश्वर, गिरनार और ऋजुबालिका तीर्थ की 3डी झांकी ने सभी को आकर्षित किया।


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