महासमुन्द

पहली कक्षा से गुड और बैड टच समेत चाइल्ड हेल्पलाइन के बारे में बच्चों को बताया जाएगा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद,1 जुलाई। कक्षा पहली से आठवीं तक की पुस्तकों में इस बार शासन ने आमूल-चूल परिवर्तन किया है। पुस्तकों के नाम के अलावा मुख्य पृष्ठ के चित्रों समेत पाठ्यक्रम में भी खासा बदलाव किया है।
विभागीय जानकारी अनुसार हफ्ते -15 दिन बाद पुस्तकें स्कूलों में पहुंच जाएगी। इस बार पुस्तकों को रोचक बनाने के लिए पहली से आठवीं तक की पुस्तकों के नाम भी अलग-अलग रखे गये हैं। पिछले 20-25 साल से पुस्तकों के नाम हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत होता था, लेकिन नई शिक्षा नीति के तहत अब पुस्तकों के नाम संगीत वाद्यों तथा रागों के नाम पर रखे जा रहे हैं। जैसा कि कक्षा तीसरी में हिन्दी विषय की पुस्तक का नाम वीणा, गणित का गणित मेला, पर्यावरण का अद्भुत संसार, अंग्रेजी का संतूर रखा गया है। इन 4 विषयों के अलावा इस बार 2 विषय कला पुस्तक का नाम बांसुरी रखा गया है। इसमें बच्चों को संगीत तथा आर्ट एंड क्राफ्ट जैसे विषयों पर खासा फोकस किया जाएगा। इसी तरह अब तक योग केवल औपचारिक विषय था। लेकिन अब योग को पाठयक्रम में शामिल किया गया है।
इस बार पहली कक्षा से गुड और बैड टच समेत चाइल्ड हेल्पलाइन के बारे में बच्चों को बताया जाएगा। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की सिफारिशों के तहत एनसीईआरटी ने पहली कक्षा से सभी पाठ्यपुस्तकों में पॉस्को अधिनियम और 1098 चाइल्ड हेल्पलाइन को भी शामिल किया है। इसका मकसद बच्चों को कक्षा में आने के साथ ही इनके बारे में जागरूक करना है। छात्र इसके बारे में शिक्षक और अभिभावकों से बात करेंगे। इसमें उन्हें अच्छे और बुरे स्पर्श के बारे में बताया जाएगा। इसके अलावा किसी भी तरह की दिक्कत होने पर 24 घंटे में कभी भी छात्र 1098 पर फोन करके मदद मांग सकता है।
गौरतलब है कि स्कूलों में आए दिन यौन उत्पीडऩ की घटनाएं बढ़ रही है। इसीलिए एनसीपीसीआर ने स्कूलों में विद्यार्थियों को इसके बारे में जागरूक करने की मांग रखी थी। लेकिन एनसीईआरटी ने इस सभी विषयों को पाठ्य पुस्तकों में शामिल कर लिया है।
इसी तरह आजादी के बाद पहली बार एनसीईआरटी ने अपनी सभी नई पाठ्य पुस्तकों में संविधान की प्रस्तावना और उद्देशिका को शामिल किया है। यानि नई पाठ्य पुस्तक खोलते ही छात्र संविधान की प्रस्तावना पढ़ेंगे।
पहली व दूसरी कक्षा फाउंडेशन श्रेणी हिंदी: सारंगी उत्तर भारत का हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत से जुड़ा प्रसिद्ध वाद्ययंत्र है। अंग्रेजी: मृदंग दक्षिण भारत के कर्नाटक संगीत का प्रसिद्ध वाद्य यंत्र मृदंगम से लिया गया है। शहनाई उत्तर भारत का प्रसिद्ध वाद्ययंत्र है जो कि शुभ मौके पर बजाया जाता है। इसकी पहचान बिस्मिल्लाह खां से होती है। तीसरी, चौथी व पांचवीं कक्षा प्रिपरेटरी अंग्रेजी संतूर कश्मीर का एक लोक वाद्ययंत्र है। हिंदी वीणा दक्षिण भारत के तमिलनाडु के तंजावुर शहर से जुड़ा वाद्ययंत्र है। दक्षिण भारत के सभी राज्यों में प्रचलित हैं। कर्नाटक संगीत में भी मुख्य वाह्य में प्रयोग होता है। सितार उत्तर भारत के हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में प्रयोग होता है। छठवीं, सातवीं, आठवीं कक्षा मिडिल स्टेज हिंदी-मल्हार राग मल्हार हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत का एक प्रचलित राग है। संगीत सम्राट तानसेन ने इसकी बंदिश बनाई थी।
कहा जा रहा है कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद एनसीईआरटी की नई पाठ्य पुस्तकें छात्रों को 21वीं सदी की जरूरतों के आधार पर विषय ज्ञान के साथ-साथ भारतीय संस्कृति, परंपराओं के अलावा संगीत से भी जोड़ेंगी। इसीलिए पहली से आठवीं कक्षा में भाषा की किताबों के नाम राग और वाद्या यंत्रों पर आधारित हैं।
पाठ्यपुस्तकों की विषय-वस्तु को राष्ट्रीय शिक्षा नीति एनईपी 2020 और राष्ट्रीय करिकुलम फ्रेमवर्क के तहत तैयार किया गया है। इसमें भारतीय ज्ञान प्रणाली, सांस्कृतिक विरासत के तल भी शामिल हैं। यह लैगिंग समानता, डिजिटल कौशल और पर्यावरण जैसे मूल्यों की शिक्षा देती है। पहली से पांचवीं कक्षा में भाषा की किताबों के नाम भारतीय वाद्य यंत्र पर आधारित हैं।