महासमुन्द

चार्ज करने पर 25 से 30 किमी की दूरी करेगी तय, बैटरी डाउन
होने पर पैडल मार कर भी चलेगी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 30 जून। यदि आपके पास टेक्नोलॉजी का आइडिया है, हाथ में हुनर है, और यदि उस चीज को पाने की इच्छा रखते हैं तो निश्चित ही आप लीक से हटकर कुछ अलग करने की सोच सकते हैं। ऐसा ही कुछ अलग काम अरेकेल बसना के एक इलेक्ट्रॉनिक मैकेनिक ने किया है। उन्होंने पुरानी साइकिल को इलेक्ट्रिक साइकिल में असेंबल कर अपना सफ र आसान कर दिया है। उनकी यह इलेक्ट्रिक साइकिल चार्ज करने के बाद 25 से 30 किलोमीटर की दूरी बिना पेट्रोल-डीजल के तय करता है।
इस साइकिल से रास्ता तय करने में कोई खर्चा नहीं आता। मोबाइल की तरह केवल साइकिल में लगे बैटरी को चार्ज करना होता है। यदि इस इलेक्ट्रिक साइकिल का बैटरी डाउन हो गया तो परंपरागत सायकल की तरह पैडल मार कर भी आप अपने गंतव्य तक जा सकते हैं। इस बीच रास्ते में आपको बैटरी को चार्ज करने की भी आवश्यकता नहीं है। इस साइकिल का मालिक इलेक्ट्रॉनिक मैकेनिक है और अरेकेल में 40 साल से टीवी एवं अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामान की रिपेयरिंग करने का काम कर चुके हैं।
बताना जरूरी है कि अपनी पुरानी साइकिल को इलेक्ट्रिक साइकिल में बदलकर अपना सफ र आसान करने वाले उमाशंकर त्रिपाठी अरेकेल बसना निवासी हैं। मुलाकात में उन्होंने बताया कि बसना में स्कूल की पढ़ाई के बाद साइंस कॉलेज रायपुर में बीएससी साइंस की पढ़ाई की थी। यहां पढ़ाई करते समय इलेक्ट्रॉनिक कंपनी फिलिप्स के द्वारा एक प्रदर्शनी एवं प्रतियोगी परीक्षा आयोजित की गई थी, जिसमें वे प्रथम स्थान आए थे। फि र फिलिप्स कंपनी में ट्रेनिंग के लिए सलेक्ट हो गया। एक माह तक फि लिप्स कंपनी में ट्रेनिंग लेते उन्हें उपकरण का ज्ञान मिला।
उन्होंने आगे बताया कि वहां विदेश से आए उपकरण को असेंबलिंग कर रेडियो तैयार किया जाता था। बाद में 1982 में ही बसना आकर फिलिप्स कंपनी के रेडियो बनाने के अलावा अन्य कंपनी के रेडियो, टेपरिकॉर्डर, एम्पलीफायर, माइक सेट की रिपेयरिंग भी चालू कर दिया और 1985 से रेगुलर इलेक्ट्रॉनिक उपकरण रिपेयरिंग का काम कर रहे हैं।
फिर दो साल पहले उन्होंने इस तरह इलेक्ट्रॉनिक कलपुर्जों से पुरानी साइकिल को इलेक्ट्रिक साइकिल में परिवर्तित कर दिया। अब एक बार चार्ज कर सायकिल जितनी गति पर 25 से 30 किलोमीटर की सफर बिना कोई खर्च के तय की जा सकती है। बैटरी की जगह 250 रुपए वाली 32 नग चार्जिंग वाली सेल लगाया गया है। 100 किलोमीटर लंबी दूरी तय करने के लिए सेल की संख्या बढ़ानी पड़ेगी। साथ ही ज्यादा पिकप के लिए 250 वाट की जगह मोटर को 300 वॉट करना पड़ेगा।
फिलहाल इसमें लगभग 20 हजार रुपए का खर्च आया है। सबसे अच्छी बात यह भी है कि यदि बैटरी उतर गया, तब आपको न रुकना पड़ेगा और न ही मिस्त्री की जरूरत है। कहा कि बिना कोई रुके आप सामान्य सायकिल की तरह पैडल मार कर अपना सफर तय कर सकते हैं।
आगे बताया कि सायकिल दो साल से चला रहा हूं। मेरे अलावा मेरे दोस्त सायकल दुकान वाला शौकत के लिए भी उसकी सायकिल को इलेक्ट्रिक सायकिल बनाया गया है।
फिलहाल आंख नहीं दिखने के कारण अब वे इलेक्ट्रॉनिक रिपेयरिंग का काम नहीं कर पा रहे हैं। एक आंख दिखाई नहीं देने तथा दूसरे आंख से कम दिखाई देने के कारण मोटर साइकिल एवं स्कूटी चला कर कहीं बाहर पाना मुश्किल हो गया था। आंख से कम दिखाई देने के कारण मोटर साइकिल से आने जाने पर दुर्घटना की आशंका को देखते हुए सायकिल चलाना उचित समझा। जब इलेक्ट्रिक स्कूटी को देख कर उसके उपकरण के बारे में जाना।
कहते हैं-चूंकि मैं इलेक्ट्रॉनिक मैकेनिक हूं। इसलिए बैटरी से चलने वाली स्कूटी की सारी समझ मुझे तुरंत पता चल गया। फिर मैंने अपनी पुरानी साइकिल को इलेक्ट्रिक साइकिल में परिवर्तित करने सायकिल, बैटरी, बैटरी चलित मोटर को असेंबलिंग करने की योजना को आगे बढ़ाया। अलग-अलग इलेक्ट्रॉनिक पुर्जे मंगवाए, वेल्डिंग करने वाले वेल्डर को समझाया फिर गांव के सायकल मिस्त्री शौकत खान की मदद ली। सायकिल के हैंडल को मोटर साइकिल के हैंडल की तरह एक्सीलेटर सिस्टम हैंडल लगवाया। सामने रात में चलने के लिए हेड लाइट लगवाया। इस तरह उमा शंकर त्रिपाठी की मेकेनिकल कलाकारी उम्दा किस्म के कारण न केवल बसना बल्कि सरायपाली, पिथौरा, शिवरीनारायण, रायपुर, रायगढ़, सारंगढ़ क्षेत्र में भी अलग पहचान बन चुकी है।