महासमुन्द

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 30 जून। आकस्मिक मद से कम्प्यूटर खरीदी मामले में अनियमितता की शिकायत पर जांच में 4 अधिकारी-कर्मचारी दोषी पाए गए। जांच रिपोर्ट जिला शिक्षा अधिकारी को सौंप दिया गया है।
बीईओ कार्यालय सरायपाली में वित्तीय अनियमितता सामने आई है। यहां के बीईओ प्रकाश चन्द्र मांझी ने बिजली बिल की राशि 7 लाख, 24 हजार 173 रुपए आहरण करके 2 वर्ष बाद जमा किया है तथा आकस्मिक व्यय एवं लेखन सामाग्रियों में जमकर मनमानी की है। इस आरोप की जांच भी हुई और जांचकर्ता अधिकारियों ने बीईओ प्रकाश चन्द्र मांझी, पूर्व बीईओ ईश्वर प्रसाद कश्यप, लिपिक गोविन्द दास सहित सूर्यकान्त मिश्रा को दोषी माना है।
मालूम हो कि आरटीआई कार्यकर्ता विनोद कुमार दास ने अमिताभ जैन मुख्य सचिव, सिद्वार्थ कोमल परदेशी प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा विभाग, एवं राकेश पांडेय संभागीय संयुक्त संचालक को लिखित शिकायत 17 दिसम्बर 2024 को किया था। जिसके परिपेक्ष्य में 23 दिसम्बर को संभागीय संयुक्त संचालक ने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की। जांचकर्ता अधिकारियों में एम.जी. सतीश नायर सहायक संचालक, नंदकिशोर सिन्हा सहायक संचालक, एल.एम.तारम मुख्य लिपिक शामिल थे।
जानकारी के अनुसार बीईओ कार्यालय सरायपाली में 25 अप्रैल को जांच की गई। जिसमें पाया कि वर्ष 2020-21 में बिजली बिल मद में 4 लाख, 55 हजार 560 रुपए आबंटित हुआ था। जिसमें से 4 लाख, 54 हजार 460 रुपए आहरण करके 3 लाख,85हजार,500 रुपए को विद्युत विभाग सरायपाली में भुगतान किया। इसी मद से भवानी इलेक्ट्रिकल को 68 हजार 960 रुपए भुगतान कर दिया। वर्ष 2021-22 में 5 लाख,13 हजार212 रुपए आबंटित राशि मिली। जिसमें 1 लाख, 92 हजार,020 रुपए पुन: भवानी इलेक्ट्रिकल को भुगतान कर दी। जिस मद में राशि आबंटित हुआ है, उसके उलट दूसरे मद में व्यय किया गया जो नियम विपरीत है। उक्त अवधि में तत्कालीन बीईओ आइ.पी.कश्यप एवं लिपिक गोविन्द दास थे। इन्हें दोषी माना गया है।
इसी तरह वर्ष 2022-23 में 7 लाख,24 हजार173 रुपए मार्च 2023 में आहरण किया। लेकिन इस राशि को 05 फरवरी 2025 को बिजली विभाग सरायपाली में चेक से भुगतान की गई है। खास बात यह है कि ये राशि भी तब जमा किया, जब जांच का आदेश हुआ। अन्य मद में 2लाख,09हजार,424 रुपए व्यय तो किये गये हंै। लेकिन बिल बाउचर जांच के दौरान प्रस्तुत नहीं की गई। जांचकर्ता अधिकारियों ने बीईओ प्रकाश चन्द्र मांझी एवं सूर्यकान्त मिश्रा को इस मामले में दोषी पाया है। जांच अधिकारियों ने बीईओ व लिपिक दोनों के कृत्य को आर्थिक अनियमितता की श्रेणी में माना है और जांच प्रतिवेदन उच्च कार्यालय में 20 मई को प्रस्तुत कर दी है।