महासमुन्द

भक्तों के लिए आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण सिंघोड़ा की रुद्रेश्वरी मंदिर
20-Oct-2023 2:50 PM
 भक्तों के लिए आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण सिंघोड़ा की रुद्रेश्वरी मंदिर

नवरात्र पर प्रतिदिन भक्तों के लिए भण्डारा, प्रसाद 

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता 
महासमुंद, 20 अक्टूबर।
महासमुंद जिले के ओडिशा बार्डर पर सरायपाली से सम्बलपुर जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 53 पर स्थित सिंघोड़ा के रुद्रेश्वरी माता मंदिर में हर रोज भंडारे में सैकड़ों लोग प्रसाद ग्रहण कर रहे हैं। 

प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण यह मंदिर सरायपाली शहर से 20 किलोमीटर दूर ओडिशा सीमा पर लगे ग्राम सिंघोड़ा में माता रुद्रेश्वरी के रूप में स्थित है। शारदीय नवरात्र प्रारंभ होते ही यहां भक्तों की संख्या बढ़ जाती है। हालांकि इस मंदिर में बारहों महीने भक्तों चहल-पहल रहती है। दोनों नवरात्र पर्व में भक्तों की संख्या अन्य तीज त्यौहारों की अपेक्षा ज्यादा रहती है। शारदेय नवरात्रि में पूरे 9 दिनों तक यज्ञ भी किया जाता है। नवरात्र में प्रतिदिन भक्तों के लिए भण्डारा, प्रसाद उपलब्ध रहता है।

माना जाता है कि मंदिर के पीछे दीवार पर सिक्का चिपकाने से लोगों की मनोकामना पूर्ण होती है। यही कारण है कि शहर सहित अंचल के अनेक ग्रामों से बड़ी संख्या में भक्त पैदल यात्रा करते हुए मंदिर पहुंचते हैं। 

यहां माता की पूजा करने के पश्चात कई लोग वाहनों में और कई लोग पैदल वापस लौटते हैं। समिति के सदस्य प्रोजेष्ट प्रधान, चंद्रहास पंडा, मोहन साहू, प्यारीलाल नायक, मोहन गुप्ता सहित ग्रामीणों ने इस दर्शनीय स्थल को पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित करने की मांग की है। यहां पहाड़ी पर बड़े-बड़े चट्टान मौजूद हैं जो लोगों को बरबस ही आकर्षित करते हंै। लोगों की सुविधा के लिए यहां पार्किग है। मंदिर के तीनो क्षेत्रों में भव्य प्रवेश द्वार बना हुआ है।

इस मंदिर को लेकर एक रोचक कहानी है। माता सेवा समिति के व्यवस्थापक मिशी भड़ाई कहते हैं कि पूर्व में यहां मां भगवती पटश्वरी देवी का एक छोटा सा जीर्ण-शीर्ण मंदिर था। राजमार्ग पर चलने वाले अधिकांश ट्रक और कई वाहन मंदिर के सामने रुकते और मां के दर्शन कर कुछ देर विश्राम करने के बाद अपनी मंजिल की ओर निकल पढ़ते। इस दौरान स्वामी शिवानंद असम से द्वारकापुर पैदल तीर्थ यात्रा पर जा रहे थे। वे इसी पहाड़ी पर कुछ देर रुके और इस भव्य मंदिर को बनाने की प्रेरणा मिली। इसके पश्चात वे कोलकाता गए और काली माता के दर्शन करने के बाद वापस लौटे। उन्होंने सन् 1985 में भूमिपूजन कर मंदिर निर्माण प्रारंभ किया। 

माता रुद्रेश्वरी मंदिर की कुल ऊंचाई 81 फुट है तथा मार्ग से इसकी ऊंचाई 131 फुट है। जहां 5 फुट उंची संगमरमर से बनी रुद्रेश्वरी देवी की प्रतिमा स्थापित है। मंदिर में माता की मूर्ति दक्षिणमुखी है और सडक़ से करीब 77 सीढिय़ां हैं जो 60 फुट चौड़ी है। पूरे 20 विशाल खभों पर बनी माता के इस मंदिर के चारों और दुर्गा माता के 9 अवतारों के चित्र बने हुए हैं। मंदिर के मुख्य द्वार, चौखट, दरवाजे व अन्य दरवाजों पर काष्ट शिल्प की आकर्षक कलाकृतियां बनाई गई है। स्थापित प्रतिमा पर 10 फुट गोलाई का एक गुंबद है। मंदिर के ऊपरी हिस्से में भी एक मुंबद बना है जिसका व्यास 140 फुट तथा ऊंचाई करीब 65 फुट है।

वर्तमान में रुद्रेश्वरी मंदिर में प्रतिदिन हवन, पूजन के साथ-साथ भण्डारा भी किया जा रहा है जिसमें हजारों लोग प्रसाद ग्रहण कर रहे हैं। इसके अलावा शाम 4 से 6 बजे तक प्रतिदिन कीर्तन, 7 से 9 बजे तक गरबा डांडिया भी किया जा रहा है। जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग ले रहे हैं। प्रतिवर्ष नवरात्रि के अंतिम दिनों में यहां महा भंडारा का भी आयोजन किया जाता है। जिसमें लगभग 25 से 30 हजार भक्त प्रसाद ग्रहण करते हैं। इस वर्ष महा भंडारा आगामी 23 अक्टूबर को रखा गया है।

मंदिर के पुजारी कस्तुव मिश्रा ने बताया कि यहां शारदीय नवरात्र के दौरान भक्तों द्वारा बड़ी संख्या में आस्था के ज्योत प्रज्जवलित किए जाते हैं। केवल द्वार एक शिव मंदिर में 2000 व्यक्तियों हेतु भव्य भोग शाला, यज्ञ शाला, मंदिर के दोनों ओर पर दो मंजिल ज्योत कक्ष, स्थापित हैं। जहां देश विदेश से भक्त मनोकामना ज्योति जलाते हैं। इस मंदिर में सरायपाली क्षेत्र ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ के अन्य क्षेत्रों सहित ओडिशा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र से अनेक भक्त मनोकामना ज्योत जलाते हैं। इसके अलावा कुछ विदेशों जैसे ऑस्ट्रेलिया, लंदन व अन्य देशों से भी आकर लोग इस मंदिर में आस्था के ज्योत जलाते हंै। वर्तमान में मंदिर में तेल के 2019 एवं घी के 670 ज्योत जलाए गए हैं। 
 


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