महासमुन्द

ग्रामीण शिकायत करते थक चुके हैं और अधिकारी कह रहे इस बाबत कोई शिकायत नहीं की गई
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 9 जनवरी। महासमुंद जिले वैध और अवैध दोनों तरह की रेत खदानों में हर रात 50-60 हाईवा रेत लेकर एक के बाद एक नदी घाटों से निकलती हैं। जबकि खनिज अधिनियम के तहत शाम 5 बजे के बाद रेत का परिवहन व खनन नहीं होता है। जिले के अधिकारी कहते हैं कि कानूनन वैध स्वीकृत रेत खदान में शाम पांच बजे के बाद खनन करना प्रतिबंधित है। लेकिन महासमुंद जिले के वैध और अवैध दोनों रेत खदानों में रातभर नदी से रेत निकालने का काम जारी है।
खदानों के निकट रहने वाले ग्रामीण अधिकारियों से इसकी शिकायत करते थक चुके हैं और अधिकारी कहते फिर रहे हैं कि इस बाबत कोई शिकायत नहीं की गई है, शिकायत पर कार्र्रवाई होती है। चलिए अधिकारियों की बात मान भी लेेते हैं लेकिन ग्रामीणों की सवाल यह है कि शिकायत नहीं मिली है तो अधिकारियों के नजर के सामने धड़ल्ले से रात-दिन हो रहे रेत के दोहन कार्रवाई पर कार्रवाई नहीं करना चाहिए, खैर अधिकारी और जनप्रतिनिधि चाहे इसे देख पाएं लेकिन पब्लिक सब कुछ देख रही है।
जानकारी के मुताबिक बरबसपुर ए1, ए2, 1 पासीद, बी.2 मुडिय़ाडीह, सी बल्दीडीह, ई.1 बडग़ांव, ई.2 बडग़ांव, डी.1 चिंगरौद, एफ.1 लाफिन खुर्द, जी.1 मुरकी व एच.1 लामीसरार स्वीकृत हैं। खनिज विभाग के अनुसार ये सभी वैध खदान हैं लेकिन यहां अवैध खनन और परिवहन का खेल धड़ल्ले से चल रहा है। नियमानुसार शाम 5 बजे के बाद खदानों में रेत खनन और परिवहन नहीं होना चाहिए। लेकिन महासमुंद जिले के खदानों में शाम होते ही दिन से अधिक गाडिय़ां खदानों में पहुंच रही हैं। शाम ढलते ही इस अवैध कारोबार का खेल भी जोर पकड़ लेता है। ऐसा इसलिए क्योंकि रात में होने वाले अवैध परिवहन का पिटपास नहीं काटा जाता और इसकी रॉयल्टी इसमें लिप्त लोगों को मिलती है।
जिलेभर के रेत खदानों में धड़ल्ले से दिन रात चैन माउंटेन से रेत का उत्खनन व परिवहन किया जा रहा है। रातभर गाडिय़ां गांवों से होते हुए हाईवे व सडक़ों पर दौड़ती हैं। ये काम अवैध रेत घाट के साथ वैध स्वीकृत रेत घाटों में भी किया जा रहा है। इसकी जानकारी माइनिंग के अफसरों को भी है, लेकिन कार्रवाई करने की बजाय विभागीय अधिकारियों ने मौन धारण कर लिया है। ग्रामीणों के मुताबिक स्वीकृत रेत खदानों में मैनुअल खनन कर वाहनों में भराव के नियम हैं। यह नियम उक्त रेत घाटों के आसपास के ग्रामीणों को रोजगार मिल सके इसलिए बनाया गया है। लेकिन रेत घाटों में मैनेजर सहित अन्य पदों पर गांव के बाहर के युवाओं को काम में रखा गया है। जो चैन माउंटेन मशीन से रेत का खनन कर रहे हैं। गांव के एक भी युवाओं को यहां रोजगार नहीं दिया जा रहा है।
चिंगरौद के ग्रामीण कहते हैं कि नियमों को दरकिनार कर रातभर रेत का खनन मशीन से किया जाता है। बाहर से मजदूर लाकर यहां काम कराया जा रहा है।
चिंगरौद सहित जिले के सभी वैध-अवैध खदानों में खनन मैनुअल है या फिर मशीन से, जिले के स्वीकृत 11 रेत खदानों में मैनुअल उत्खनन की स्वीकृति है अथवा नहीं, रेत खदानों में रातभर खनन चैन माउंटेन से हो रही है इस पर कार्रवाई क्यों नहीं करते हैं, क्या शिकायत पर ही कार्रवाई होती है, रात भर खनन होता है इस पर कार्रवाई क्यों नहीं करते, जैसे सवालों पर खनिज निरीक्षक जितेंद्र चंद्राकर का कहना है हम बगैर शिकायत पर भी कार्रवाई करते हैं। सूचना व शिकायत मिलने पर टीम पहुंचकर कार्रवाई करती है। चिंगरौद रेत खदान कोई और चला रहा है इस संबंध में जानकारी है। यह खदान दिलीप गुप्ता के नाम पर स्वीकृत है। सारे दस्तावेज इसी के हैं, यदि कोई दूसरा चला रहा है, तो कार्रवाई करेंगे।