महासमुन्द

अंग्रेजी स्कूल के बच्चों को गणवेश इस साल नहीं मिला है तो स्कूल प्रबंधन सीधे उनके खाते में राशि जमा कराएगी
24-Sep-2021 6:42 PM
अंग्रेजी स्कूल के बच्चों को गणवेश इस साल नहीं मिला है तो स्कूल प्रबंधन सीधे उनके खाते में राशि जमा कराएगी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 24 सितम्बर।
स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी स्कूल के बच्चों को यदि गणवेश इस साल नहीं मिला है तो स्कूल प्रबंधन सीधे उनके खाते में राशि जमा कराएगी और वे उससे गणवेश ले सकते हैं। प्रत्येक बच्चों को दो सेट गणवेश के लिए 540 रुपए खाते में जमा कराई जाएगी। इसके लिए शासन ने आदेश दे दिया है।

बताया जा रहा है कि इस साल गणवेश सही समय में बन नहीं पाया है। इसकी वजह से खाते में राशि जमा करने का निर्णय लिया गया है। यह राशि जिला शिक्षा अधिकारी के खाते में जमा कराई जाएगी। इसके बाद स्कूलों के प्राचार्यों के खातों में जमा होगी। फिर स्कूल स्तर से बच्चों के खातों में यह राशि जमा होगी। बता दें कि स्कूल खुले दो महीने होने वाले हैंए लेकिन गणवेश का वितरण अभी तक नहीं हो पाया है।

ठीक इससे इतर हिंदी स्कूल के बच्चों के लिए गणवेश बनकर तैयार हो गया है, लेकिन जिले में आया नहीं है। महासमुंद ब्लॉक को छोडक़र किसी भी ब्लॉक में गणवेश का वितरण नहीं हुआ है। इस संबंध में प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी हिमांशु भारती ने बताया कि इस बार गणवेश तैयार नहीं होने की वजह से अंग्रेजी माध्यम स्कूल के बच्चों को सीधे उसके खाते में 540 रुपए जमा कराई जाएगी। इन पैसों से बच्चे गणवेश ले सकेंगे।

जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार 8781 गणवेश महासमुंद ब्लॉक के स्कूल में वितरण के लिए आया था। महासमुंद ब्लॉक के स्कूलों में गणवेश का एक सेट वितरण हो गया है। लेकिन दूसरा सेट अभी वितरण किया जाना है। रायपुर में डिमांड भेज दिया गया है। महासमुंद के छोड़ चार पिथौरा, बसना, सरायपाली व बागबाहरा में एक भी खेप नहीं आई है। यहां बच्चे पुराने व फटे गणवेश पहनकर स्कूल जा रहे हैं।

पालकों का कहना है कि सरकार 540 रुपए बच्चों के खाते में जमा करा रही है, उसमें बच्चों को दो जोड़ी गणवेश खरीदना होगा। लेकिन इतने पैसे में तो एक जोड़ी गणवेश बाजार में नहीं मिलती है। इसके अलावा टाईए बेल्ट भी इसी पैसे से खरीदना है। इस स्थिति में सरकारी पैसे ऊंट के मुंह में जीरा के समान है। सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों को नि: शुल्क गणवेश व पुस्तक का वितरण सरकार के द्वारा की जाती है।

 


अन्य पोस्ट