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नांदगांव मेडिकल कॉलेज में गर्भवती नर्स, 4 चिकित्सक सहित दर्जनभर स्वास्थ्यकर्मी कोरोनाग्रस्त
28-Jun-2020 1:13 PM
नांदगांव मेडिकल कॉलेज में गर्भवती नर्स, 4 चिकित्सक सहित दर्जनभर स्वास्थ्यकर्मी कोरोनाग्रस्त

आईसोलेशन वार्ड, ओपीडी से सामुदायिक संक्रमण में घिरे 

'छत्तीसगढ़' संवाददाता
राजनांदगांव, 28 जून।
राजनांदगांव के अटल बिहारी मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में कार्यरत स्वास्थ्य अमला तेजी से कोरोना से बीमार हो रहा है। इस बीमारी की चपेट में आने वालों में कोरोना वारियर्स माने जा रहे डॉक्टर, स्टॉफ नर्स से लेकर चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी हैं। चिंताजनक बात यह है कि एक गर्भवती स्टॉफ नर्स भी कोरोना से ग्रसित होने से बच नहीं पाई। उसकी शारीरिक स्थिति को देखते हुए रायपुर एम्स रिफर किया गया है। बताया गया है कि चार चिकित्सक  के साथ तीन स्टॉफ नर्स और चार चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी कोरोनाग्रस्त हो गए हैं। ऐसा इसलिए हो रहा है कि अस्पताल के भीतर संचालित आईसोलेशन वार्ड को पेंड्री स्थित कोविड-19 अस्पताल में शिफ्ट किए जाने की पूरजोर मांग को प्रबंधन ने अनसुना कर दिया है। वहीं कोरोना के फैलते संक्रमण के बावजूद अस्पताल में ओपीड़ी (बाह्यरोगी) में बाहरी लोगों का उपचार किया जा रहा है। जबकि राजधानी रायपुर स्थित एम्स में ओपीडी पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया गया है। बताया जा रहा है कि मेडिकल कॉलेज के कर्मचारी संक्रमण से बीमार हो रहे हैं। कोविड-19 अस्पताल पेंड्री में अब तक एक भी संक्रमण का मामला सामने नहीं आया है। 

मिली जानकारी के मुताबिक कोरोना वारियर्स तीन स्टॉफ नर्स में एक गर्भवती है। तीनों पीएनसी (पोस्ट नेंटल केयर) वार्ड में कार्यरत थी। यह वार्ड प्रसूति के बाद गर्भवती महिलाओं की देखभाल करता है। सवाल यह उठ रहा है कि इस वार्ड में कार्य करने के दौरान तीनों कैसे संक्रमित हुई है। इसके पीछे चिकित्सक यह मान रहे हैं कि अस्पताल में सामुदायिक संक्रमण की स्थिति बन गई है। यही कारण है कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी इसके घेरे में आ गए हैं। बताया जा रहा है कि चतुर्थ श्रेणी चार कर्मचारी कोरोना से बीमार हो गए हैं। पिछले कुछ दिनों से अस्पताल के आईसोलेशन वार्ड की साफ-सफाई व्यवस्था लचर रही है। हाल ही में हुए बारिश से आईसोलेशन वार्ड में पानी भर गया था। इसकी सफाई करने के दौरान ही चतुर्थ श्रेणी कर्मी कोरोनाग्रस्त हो गए हैं। बताया जा रहा है कि अधीक्षक डॉ. प्रदीप बेक को इस गंभीर स्थिति से अवगत कराया गया है। कर्मचारियों ने बार-बार प्रबंधन से स्वास्थ्य अमले को खतरे में झोंकने पर कड़ा विरोध भी जताया है।

बताया जा रहा है कि अस्पताल में कार्य के दौरान संक्रमित हुए कर्मियों के संपर्क में रहे दूसरे वार्डों के स्वास्थ्य कर्मी भी डरे हुए हैं। इसी के चलते अस्पताल कैम्पस में रहने वालों में एक महिला स्वास्थ्यकर्मी भी कोरोनाग्रस्त मिली है। अब पूरे कैम्पस को सील कर दिया गया है। स्वास्थ्य कर्मियों को अब अपने बच्चों और बुजुर्ग सदस्यों की सेहत की चिंता हो रही है। इस कैम्पस में चिकित्सक से लेकर चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी रहते हैं।
 
मिली जानकारी के मुताबिक अस्पताल में कार्यरत दर्जनभर स्वास्थ्यकर्मियों के बीमार होने को सामुदायिक संक्रमण से जोड़कर देखा जा रहा है। अस्पताल के संक्रमण के दायरे में होने के बावजूद प्रबंधन के पास ठोस कार्ययोजना नहीं है। इधर प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के उप प्रांताध्यक्ष पीसी जेम्स ने तत्काल प्रशासन से ओपीड़ी बंद करने की मांग की है। साथ ही आईसोलेशन वार्ड को कोविड-19 अस्पताल में स्थानांतरित किए जाने के लिए आवाज उठाई है। गौरतलब है कि अस्पताल में न सिर्फ चिकित्सक बल्कि लिपिक और अन्य कर्मचारियों का कार्यालय है। ऐसे में दीगर कर्मचारियों के संक्रमित होने का खतरा बढ़ता जा रहा है। 


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