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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 12 दिसंबर। गेवरारोड–बिलासपुर मेमू रेल दुर्घटना मामले में रेल प्रशासन ने सीआरएस बी.के. मिश्रा की जांच रिपोर्ट आने के बाद बड़ी कार्रवाई की है। गुरुवार को रेलवे बोर्ड ने बिलासपुर मंडल रेल प्रबंधक राजमल खोईवाल और प्रिंसिपल चीफ इलेक्ट्रिकल इंजीनियर राजीव कुमार बरनवाल का तबादला कर दिया। इससे पहले ही प्रिंसिपल चीफ सेफ्टी ऑफिसर सुबोध चौधरी और सीनियर डीओपी मसूद आलम को हटाया जा चुका है। रिपोर्ट में सामने आया है कि साइको टेस्ट में फेल लोको पायलट को मेमू ट्रेन की जिम्मेदारी सौंपना दुर्घटना का बड़ा कारण बना, जिसके चलते लोको पायलट सहित 12 यात्रियों की मौत हुई और 21 से अधिक यात्री घायल हुए। 4 नवंबर को गेवरारोड से बिलासपुर आ रही मेमू ट्रेन ने लालखदान के पास खड़ी मालगाड़ी को जोरदार टक्कर मारी थी, जिसमें 13 यात्रियों की मौत हुई थी और 20 घायल हुए थे।
जांच अधिकारी बी.के. मिश्रा ने इस मामले की तीन चरणों में जांच की। दुर्घटना के दूसरे ही दिन वे मौके पर पहुंचे और तीन दिनों तक जांच जारी रखी। इसके बाद उन्होंने प्रिंसिपल चीफ इलेक्ट्रिकल इंजीनियर, प्रिंसिपल चीफ सेफ्टी ऑफिसर, प्रिंसिपल चीफ मेडिकल ऑफिसर और प्रिंसिपल चीफ मैकेनिकल इंजीनियर को कोलकाता बुलाकर अलग-अलग बयान लिए। तीसरे चरण में उन्होंने असिस्टेंट लोको पायलट का बयान स्वयं दर्ज किया, क्योंकि पहले लिए गए बयान में त्रुटियां मिली थीं। रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि लोको पायलट विद्यासागर के साइको टेस्ट में फेल होने के बावजूद उसे मेमू संचालन की ड्यूटी दे दी गई थी।
सीआरएस रिपोर्ट आने से पहले ही दो अफसरों पर कार्रवाई हो चुकी थी और अब डीआरएम राजमल खोईवाल को हटाकर उनके स्थान पर वेस्टर्न रेलवे के उमेश कुमार को बिलासपुर का नया डीआरएम बनाया गया है। इसी तरह प्रिंसिपल चीफ इलेक्ट्रिकल इंजीनियर राजीव बरनवाल का तबादला ईस्ट सेंट्रल रेलवे कर दिया गया है और उनकी जगह आर.के. चौधरी को बिलासपुर में पदस्थ किया गया है। इन कदमों से जोनल मुख्यालय में खलबली मची हुई है और चर्चाओं का दौर चल रहा है कि आगे किन अधिकारियों पर कार्रवाई हो सकती है।
सीआरएस की 30 पन्नों की विस्तृत रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। रिपोर्ट के अनुसार ट्रेन संचालन में गंभीर चूक, सिग्नल नियमों की अनदेखी, लोको पायलट की निर्णय क्षमता में कमी और रेलवे तंत्र की तकनीकी खामियों की वजह से हादसा हुआ। यह भी उल्लेख है कि लोको पायलट कई अफसरों से पूछकर ट्रेन चला रहा था और असिस्टेंट लोको पायलट ने आपातकालीन ब्रेक भी नहीं लगाया। रिपोर्ट में साउथ ईस्ट सेंट्रल रेलवे की 16 गंभीर खामियों का भी उल्लेख किया गया है।


