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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 12 दिसंबर। हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में रायपुर जिला न्यायालय में पदस्थ सहायक ग्रेड-3 अजीत चौबेलाल गोहर को एलएलबी के तीसरे और अंतिम वर्ष की पढ़ाई जारी रखने की अनुमति दे दी है। जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास की सिंगल बेंच ने इस मामले में विचारण अदालत और हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा पारित आदेशों को निरस्त करते हुए कहा कि अंतिम वर्ष की पढ़ाई रोकना कर्मचारी के कॅरियर को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करेगा।
याचिकाकर्ता अजीत गोहर ने वर्ष 2023-24 में एलएलबी प्रथम वर्ष की पढ़ाई की अनुमति प्राप्त की थी। इसके बाद 2024-25 में भी अनुमति लेकर द्वितीय वर्ष की पढ़ाई पूरी की। जब उन्होंने तृतीय वर्ष में प्रवेश के लिए अनुमति मांगी, तो 4 सितंबर 2025 को जिला एवं सत्र न्यायालय रायपुर के प्रिंसिपल जज ने उनका आवेदन नामंजूर कर दिया। इसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को अभ्यावेदन दिया, जिसे 31 अक्टूबर 2025 को खारिज कर दिया गया। दोनों आदेशों को चुनौती देते हुए उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।
सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता को पूर्व वर्षों के लिए पढ़ाई की अनुमति पहले ही दी जा चुकी है, ऐसे में अंतिम वर्ष में रोक लगाना उचित और न्यायसंगत नहीं होगा। कोर्ट ने छत्तीसगढ़ जिला न्यायपालिका स्थापना (भर्ती एवं सेवा की शर्तें) कर्मचारी नियम 2023 के नियम 47 का हवाला देते हुए कहा कि पूर्व नियमों के तहत दी गई अनुमतियां वैध हैं और उन्हें बाद में अवैध घोषित नहीं किया जा सकता।
याचिकाकर्ता ने यह भी तर्क दिया कि उनकी एलएलबी कक्षाएं सुबह 7 से 10 बजे तक लगती हैं, जबकि कोर्ट का समय 10.30 बजे से शुरू होता है, जिससे पढ़ाई का अदालत के कामकाज पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि वे अपने सभी दायित्वों का समयबद्ध तरीके से निर्वहन करने के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध हैं।


