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मुंबई, 24 नवंबर। भारतीय नौसेना ने सोमवार को आईएनएस माहे को अपने बेड़े में शामिल किया, जो माहे श्रेणी का पहला पनडुब्बी रोधी उथले पानी का युद्धक जहाज है।
इस जहाज के नौसेना में शामिल होने से बल की युद्ध क्षमता में वृद्धि होने की उम्मीद है।
सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी आईएनएस माहे के जलावतरण के अवसर पर मुख्य अतिथि थे। यह जलपोत उथले जल के स्वदेशी लड़ाकू जहाजों की नयी पीढ़ी का प्रतीक है।
नौसेना ने कहा कि कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) द्वारा निर्मित आईएनएस माहे नौसैनिक जहाज के डिजाइन और निर्माण में देश की ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल का एक अत्याधुनिक उदाहरण है। उसने कहा कि छोटा होने के साथ-साथ शक्तिशाली यह जहाज चुस्ती, सटीकता और सहनशक्ति का प्रतीक है जो तटीय क्षेत्रों पर प्रभुत्व बनाए रखने के लिए जरूरी गुण हैं।
उसने कहा कि इस जहाज को पनडुब्बियों का पता लगाने, तटीय गश्त करने और भारत के महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों को सुरक्षित करने के लिए डिजाइन किया गया है।
टॉरपीडो और पनडुब्बी-रोधी रॉकेटों से लैस माहे श्रेणी का पहला पनडुब्बी रोधी उथले पाने का युद्धक पोत 23 अक्टूबर को नौसेना को सौंपा गया था।
नौसेना ने कहा कि माहे का नौसेना में शामिल होना उथले जल क्षेत्रों में इस्तेमाल होने वाले ‘‘नए पीढ़ी’’ के स्वदेशी लड़ाकू युद्धपोतों के आगमन को दर्शाता है।
इसमें कहा गया है, ‘‘80 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री के साथ माहे श्रेणी का युद्धपोत डिजाइन, निर्माण और एकीकरण की बढ़ती क्षमता को दर्शाता है।’’
इस युद्धपोत का नामकरण मालाबार तट स्थित ऐतिहासिक तटीय शहर माहे के नाम पर किया गया है। युद्धपोत के प्रतीक चिह्न में ‘उरुमी’ को दर्शाया गया है जो कलारीपयट्टू की लचीली तलवार है और यह फुर्ती, सटीकता और घातक कौशल का प्रतीक मानी जाती है।
(भाषा)


