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मुंबई में 8 फरवरी ग्रहण करेंगे दीक्षा
छत्तीसगढ़' संवाददाता
रायपुर, 24 नवंबर । अपना रायपुर न त्याग और वैराग्य के एक ऐतिहासिक अध्याय का साक्षी बनने जा रहा है। जिस उम्र में लोग करियर की ऊंचाइयों और पारिवारिक सुख-सुविधाओं के सपने बुनते हैं, उस दौर में रायपुर के संभ्रांत परिवारों के 8 सदस्य सब कुछ त्याग कर कंकरिलें संयम पथ पर चलने का संकल्प लिया है।
यह ऐतिहासिक घटना मुंबई के बोरीवली में 8 फरवरी को आयोजित होने वाले 'संयमरंग उत्सव' में साकार होगी। इस महामहोत्सव में देश-विदेश (अमेरिका सहित 5 राज्यों) के कुल 59 मुमुक्षु एक साथ जैन दीक्षा अंगीकार करेंगे। इस विराट आयोजन में रायपुर की भागीदारी सबसे अधिक प्रेरणादायी है, जहाँ पूरा परिवार और किशोर अवस्था के बच्चे सांसारिक मोह-माया को छोड़कर आत्म-कल्याण की राह चुन रहे हैं। इनमें एक ही परिवार राजेन्द्र सुंदरलाल सुराणा परिवार के आशीषज (44 वर्ष) और उनकी धर्मपत्नी रितुबेन (42 वर्ष) के साथ दो किशोर बेटे—आर्यन (16 वर्ष) और आरुष (14 वर्ष) भी अपने माता-पिता के साथ संयम मार्ग अपना रहे हैं। जिस उम्र में बच्चे गैजेट्स और वीडियो गेम्स में उलझे रहते हैं, उस उम्र में आर्यन और आरुष का यह निर्णय उनके उच्च संस्कारों का प्रमाण है।
इसी तरह से बेटी के बाद अब रायपुर निवासी संकलेचा परिवार के शैलेन्द्र (49 वर्ष) और उनकी पत्नी एकताबेन (47 वर्ष) भी इस महायज्ञ में आहुति देने जा रहे हैं। ठीक एक वर्ष पूर्व, इसी दम्पति की लाडली बेटी ने भी दीक्षा ग्रहण की थी। बेटी के वैराग्य रंग ने माता-पिता को इतना प्रभावित किया कि अब वे भी उसी राह पर चल पड़े हैं। बाल मुमुक्षु और युवा शक्ति पुष्पादेवी देवराज सोनिगरा परिवार के प्रमोदभाई एवं शीतलबेन के 13 वर्षीय सुपुत्र तनीष ने बालपन में ही वैराग्य का रास्ता चुना है। वहीं, भंसाली परिवार के कपूरचंदएवं बदामीबेन की 27 वर्षीय सुपुत्र सुरभि भी युवावस्था में संसार त्याग कर दीक्षा ग्रहण करेंगी।


