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अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने 200 से ज्यादा खाद्य पदार्थों पर टैरिफ से छूट दी है. अमेरिका में खाने-पीने की चीजों की बढ़ती कीमतों के चलते ऐसा किया गया है. लेकिन इसका फायदा भारतीय किसानों को भी मिलने की उम्मीद है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा दी गई इस छूट का भारतीय कृषि उत्पादों के निर्यात पर अच्छा असर हो सकता है. कई विश्लेषकों का कहना है कि इससे कम हुई मांग की भरपाई हो सकती है. दरअसल, ट्रंप ने भारत के रूसी तेल खरीदने के चलते भारतीय उत्पादों पर टैरिफ दोगुना कर 50 फीसदी कर दिया था. इससे भारत के चाय, कॉफी, मसाले और काजू निर्यातकों पर बुरा असर पड़ा था.
भारतीय निर्यात संगठन महासंघ (एफआईईओ) के महानिदेशक अजय सहाय का कहना है कि टैरिफ में छूट मिलने से 2.5 से तीन अरब डॉलर के निर्यात को फायदा पहुंचेगा. उन्होंने कहा, "यह आदेश प्रीमियम, विशेष और वैल्यू-एडेड प्रोडक्ट्स के लिए रास्ता खोलेगा.” उन्होंने आगे कहा कि जो निर्यातक महंगे उत्पादों की ओर जाएंगे, वे कीमत के दबाव से सुरक्षित रह सकेंगे और बढ़ती उपभोक्ता मांग का लाभ उठा सकेंगे.
भारत की व्यापार और कृषि निर्यात नीति को बनाने में शामिल अधिकारियों का कहना है कि ये छूट भारत और अमेरिका के बीच चल रही व्यापार वार्ता के लिए भी एक सकारात्मक संकेत है और टैरिफ में बढ़ोतरी के चलते बना निर्यात दबाव इससे कम हो सकता है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा, "यह कदम भारतीय किसानों और चाय, कॉफी, काजू और फल-सब्जियों के निर्यातकों के लिए फायदेमंद है.”
टैरिफ बढ़ने के बाद, इस साल सितंबर में भारत का अमेरिका को निर्यात पिछले साल के मुकाबले 12 फीसदी घटकर 5.43 अरब डॉलर पर आ गया. 2024 में भारत ने अमेरिका को 87 अरब डॉलर से अधिक का सामान निर्यात किया था. इसमें कृषि उत्पादों की हिस्सेदारी करीब 5.7 अरब डॉलर की थी. इस साल टैरिफ बढ़ने के बाद इस पर भी असर पड़ा है. लेकिन अब छूट मिलने के बाद कृषि उत्पादों का निर्यात बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है.
‘ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव' (जीटीआरआई) थिंक टैंक के संस्थापक अजय श्रीवास्तव कहते हैं कि भारत का अमेरिका को होने वाला कृषि निर्यात कुछ ऊंची कीमत वाले मसालों और खास उत्पादों पर केंद्रित है. वे आगे कहते हैं कि टमाटर, खट्टे फल, खरबूज और केला जैसे प्रमुख उत्पादों के निर्यात में भारत की स्थिति उतनी अच्छी नहीं है, इसलिए भारत को इस छूट से सीमित फायदा ही होगा.
श्रीवास्तव का कहना है कि लातिन अमेरिकी, अफ्रीकी और आसियान देशों के निर्यातकों को इससे ज्यादा फायदा होने की उम्मीद है. वे यह भी कहते हैं कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि भारतीय कृषि उत्पादों को पूरे 50 फीसदी टैरिफ से छूट मिली है या सिर्फ 25 फीसदी जवाबी टैरिफ को माफ किया गया है. वहीं, भारतीय निर्यातकों को इस मामले में वियतनाम और इंडोनेशिया के निर्यातकों से कड़ी प्रतिस्पर्धा मिलने की उम्मीद है.
डॉनल्ड ट्रंप ने शुक्रवार, 14 नवंबर को कॉफी, बीफ, केला, कोकोआ, टमाटर और संतरा जैसे 200 से अधिक खाद्य उत्पादों से टैरिफ वापस लिए थे. इनमें खाद्य उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले केमिकल और उर्वरक आदि भी शामिल थे. इस लिस्ट में ज्यादातर ऐसे उत्पाद थे, जिन्हें अमेरिकी उपभोक्ता अपने परिवारों का पेट भरने के लिए नियमित तौर पर खरीदते हैं.
टैरिफों के चलते इन खाद्य उत्पादों की कीमतों में खासी बढ़ोतरी देखी गई थी, जिसका बोझ अमेरिकी उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ रहा था. सितंबर महीने के डेटा के मुताबिक, बीफ की कीमत में 13 फीसदी और स्टेक (मांस के टुकड़े) की कीमत में 17 फीसदी की बढ़ोतरी हुई, जो पिछले तीन साल में सबसे अधिक है. अमेरिकी घरों में खाए जाने वाले उत्पादों की कीमत सितंबर में करीब 2.7 फीसदी बढ़ गई, जिसके चलते टैरिफ में छूट देने का कदम उठाया गया.



