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पटना, 14 नवंबर। बिहार विधानसभा चुनाव में 'एक्स फैक्टर' मानी जा रही प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी (जसुपा) 243 सदस्यीय सदन में अब तक खाता खोलने में विफल रही है।
निर्वाचन आयोग से मिले रुझानों के अनुसार, जसुपा के अधिकांश उम्मीदवार कुल डाले गए मतों के सापेक्ष 10 प्रतिशत से भी कम वोट हासिल कर पाए हैं।
पूर्व राजनीतिक रणनीतिकार द्वारा गठित इस पार्टी को बेरोजगारी, पलायन और उद्योगों की कमी जैसे मुद्दों पर जोरदार प्रचार के बावजूद मतदाताओं का पर्याप्त समर्थन नहीं मिल सका।
आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, 238 सीट पर चुनाव लड़ने वाले जसुपा के अधिकांश उम्मीदवार अपनी जमानत गंवाने की स्थिति में पहुंच गए हैं।
नियमों के अनुसार, किसी भी उम्मीदवार को जमानत बचाने के लिए कुल डाले गए मतों का कम से कम छठवां हिस्सा हासिल करना आवश्यक है।
सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों के लिए जमानत राशि 10,000 रुपये और अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए यह 5,000 रुपये निर्धारित है।
एक अधिकारी ने बताया कि निर्धारित नियम के अनुसार वोट नहीं पाने पर जमानत राशि जब्त हो जाती है।
कई सीट पर जसुपा उम्मीदवारों को मिले मत ‘नोटा’ (इनमें से कोई नहीं) से भी कम हैं। फारबिसगंज सीट पर जसुपा के मोहम्मद इकरामुल हक को 24वें चरण की गिनती के बाद केवल 789 मत मिले, जबकि नोटा के पक्ष में 2,253 मत पड़े।
बहुत कम जसुपा उम्मीदवार ऐसे हैं जिन्होंने 10 प्रतिशत से ज्यादा मत हासिल किए। इनमें चनपटिया सीट से त्रिपुरारी कुमार तिवारी उर्फ मनीष कश्यप शामिल हैं, जिन्हें 18वें चरण की गिनती के बाद 16.58 प्रतिशत मत मिले।
जोकीहाट सीट से सरफराज आलम को 23वें दौर की गिनती के बाद 16.34 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए।
किशोर ने पहले दावा किया था कि उनकी पार्टी 150 सीट जीतेगी। बाद में उन्होंने यह भी कहा कि सीट अर्जित करने वाले दलों की सूची में जसुपा या तो सबसे ऊपर होगी या सबसे नीचे, लेकिन ‘मध्य स्थिति’ की कोई संभावना नहीं है।
इस बीच, जसुपा के प्रवक्ता पवन के वर्मा ने कहा कि पार्टी बिहार चुनाव में अपने प्रदर्शन की “गंभीर समीक्षा” करेगी।
निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार, राजग करीब 200 सीट पर बढ़त के साथ बिहार चुनाव में भारी जीत की ओर बढ़ रहा है। भाजपा आठ सीट जीत चुकी है और 83 पर आगे है। (भाषा)


