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ओएनजीसी की गैस चोरी पर जनहित याचिका, रिलायंस को बॉम्बे हाईकोर्ट का नोटिस जारी
13-Nov-2025 8:08 PM
ओएनजीसी की गैस चोरी पर जनहित याचिका, रिलायंस को बॉम्बे हाईकोर्ट का नोटिस जारी

मुंबई, 13 नवम्बर। बॉम्बे हाईकोर्ट ने रिलायंस इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड (आरआईएल) और उसके निदेशकों, जिनमें मुकेश धीरूभाई अंबानी भी शामिल हैं, के ख़िलाफ़ सीबीआई जांच की माँग करने वाली एक जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया है।

यह याचिका नागरिक जितेन्द्र पी. मारू ने दायर की है। उनका आरोप है कि रिलायंस ने आंध्र प्रदेश के तट से लगे कृष्णा-गोदावरी बेसिन में ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) की सीमावर्ती गैस कुओं से अवैध रूप से प्राकृतिक गैस निकाली, जिसकी कीमत लगभग 1.55 अरब अमेरिकी डॉलर आँकी गई है।

'लाइव लॉ' की एक ख़बर के मुताबिक़, न्यायमूर्ति ए.एस. गडकरी और रंजीतसिंह राजा भोंसले की पीठ ने 4 नवम्बर को सीबीआई और भारत सरकार को नोटिस जारी किया है। अब यह मामला 18 नवम्बर 2025 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

याचिका के अनुसार, आरआईएल ने वर्ष 2004 से 2013-14 के बीच अपने गहरे समुद्री गैस कुओं से “साइड ड्रिलिंग” कर ओएनजीसी के कुओं तक पहुँच बनाते हुए गैस निकाली। 2013 में ओएनजीसी अधिकारियों ने यह अनधिकृत उत्खनन पकड़ा और इसकी सूचना भारत सरकार को दी।

रिलायंस का दावा है कि गैस “माइग्रेटरी” यानी स्वतः प्रवाहित होने वाली थी, इसलिए कंपनी को उसे निकालने का अधिकार था। परंतु स्वतंत्र जांच एजेंसी डी गोलियर एंड मैकनॉटन (D&M) की रिपोर्ट में पाया गया कि आरआईएल ने ओएनजीसी की सीमा के भीतर से गैस निकाली थी। इसके बाद ए.पी. शाह समिति ने चोरी गई गैस का मूल्य 1.55 अरब डॉलर से अधिक आँका, जिस पर 174.9 मिलियन डॉलर का ब्याज भी जुड़ता है।

दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने इसी वर्ष 14 फरवरी 2025 को सरकार की अपील स्वीकार करते हुए वह मध्यस्थता पुरस्कार (Arbitral Award) रद्द कर दिया था, जो पहले रिलायंस के पक्ष में गया था। अदालत ने कहा था कि यह पुरस्कार “जनहित के प्रतिकूल” है।

मारू की याचिका में कहा गया है कि यह कथित षड्यंत्र मुंबई से आरंभ हुआ था, इसलिए इस मामले में सीबीआई को जांच का अधिकार है। उन्होंने अदालत से आग्रह किया है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज़ और उसके निदेशकों के ख़िलाफ़ गैस चोरी, बेईमानी से संपत्ति हड़पने और आपराधिक विश्वासघात के आरोपों में मामला दर्ज किया जाए।

याचिकाकर्ता ने अदालत से यह भी माँग की है कि सरकार से सभी सम्बंधित दस्तावेज़, अनुबंध, जांच रिपोर्टें और ए.पी. शाह समिति की सिफ़ारिशें जब्त की जाएँ और सभी जिम्मेदार व्यक्तियों के ख़िलाफ़ अभियोग चलाया जाए।


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