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दो और आईपीएस केन्द्र में जाएंगे
भारतीय पुलिस सेवा के दो और अफसर केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने की तैयारी कर रहे हैं। वो अपने संपर्कों के माध्यम से केंद्र में बेहतर पोस्टिंग की संभावना तलाश रहे हैं। खास बात ये है कि दोनों आईपीएस अफसर, दुर्ग-नांदगांव समेत तीन जिलों में एसपी रह चुके हैं। मगर कुछ समय पहले दोनों को अलग-अलग वजहों से हटा दिया गया था, इसके बाद से वो दोनों नाखुश चल रहे हैं।
एक अफसर की तो केन्द्र सरकार की एजेंसी में पोस्टिंग हो गई थी, लेकिन विधानसभा चुनाव के ठीक पहले उन्हें यहां एसपी बना दिया गया था। हालांकि उनकी पोस्टिंग चुनाव आयोग की अनुशंसा पर हुई थी। सरकार बदलने के बाद भी उनकी हैसियत में कमी नहीं आई। मगर जिले में एक विवाद उन्हें हटा दिया गया। इसके बाद से वो बटालियन में पोस्टेड हैं। सबकुछ ठीक रहा, तो एक महीने के भीतर दोनों केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर जा सकते हैं। इधर, महासमुंद एसपी आशुतोष सिंह की भी सीबीआई में पोस्टिंग हो गई है। राज्य सरकार उन्हें जल्द रिलीव कर सकती है।
दो साल बाद मिनिमम स्पीड 100 !

पिछले सप्ताह हुई लाल खदान रेल दुर्घटना 76 किमी की स्पीड पर हुई थी। उसके बाद यह चर्चा चल पड़ी है कि हमारी ट्रेनों को दुर्घटनाओं से बचाने कम स्पीड पर ही चलाया जाएगा। पर नहीं, रायपुर मंडल के रेल ड्राइवरों ने इसे खारिज करते हैं। उन्होंने रेलवे बोर्ड की पूरी योजना ही बता दी। उनका कहना है कि अभी भारतीय रेलवे की औसत गति 70-90 किमी प्रति घंटा है। और 2027 तक 50 प्रतिशत रेल नेटवर्क पर 100 किमी प्रति घंटा तक बढ़ जाएगी। इसके पीछे मुख्य वजह देश के 50 प्रतिशत रेल लाइनों पर वक्र संशोधन यानी मोड़ (टर्निंग लाइन) को अधिकतम 1.3 डिग्री कम करने के साथ ही रेल लाइनों के दोनों ओर बाड़ लगाए जा चुके हैं।
इतना ही नहीं, ओवर हैड विद्युत लाइनों का 2&25 केवीए तक उन्नयन, रेलवे समतल रोड क्रॉसिंग भी समाप्त किए गए हैं। ऐसे उपाय अभी जारी हैं और इनके पूरा होने पर 2050 तक 15,000 किमी रेल लाइन को हाई स्पीड लाइन में बदला जाएगा। 25-30 इको-क्लस्टरों में ट्रेनों की 160-180 किमी प्रति घंटा करते हुए सभी इंजनों को कवच-संरक्षित किया जाएगा। ये सभी रेल मार्ग देश के सभी बंदरगाहों के लिए माल ढुलाई गलियारे बनाते हैं। यह सभी कार्य युद्धस्तर पर जारी है। यह सारे कार्य अगले 60 प्रतिशत तेल उपकर से किए जा रहे हैं।

रायपुर की सडक़ का एक नजारा। भारत की वोटरलिस्ट में ब्राज़ील की मॉडल के दाखिले के बाद लोगों ने केंद्रीय चुनाव आयुक्त (केंचुआ) के मजाक बनाने शुरू कर दिए। एक सोशल मीडिया पोस्ट में मुख्य चुनाव आयुक्त यह कहते हुए दिखाए गए-हम अपनी माँ-बहन के फोटो थोड़े ही दिखा सकते हैं, इसलिए ब्राज़ील की मॉडल को लाए हैं।
स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही का आईना

बीजापुर जिला अस्पताल में 24 अक्टूबर को हुए मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद नौ मरीजों की आंखों में संक्रमण का मामला आया है। सरकारी सेवाओं पर भरोसा करने वाले गरीब आदिवासी मरीजों का भरोसा एक बार फिर इस घटना से डगमगा गया है।
एक सीनियर विशेषज्ञ डॉ. सुभाष मिश्रा ने आशंका जताई है कि संक्रमण की बड़ी वजह सब-स्टैंडर्ड दवाएं हो सकती हैं, जो सूजन और रिएक्शन पैदा करती हैं। देशभर में खराब दवाओं का रैकेट फल-फूल रहा है, जहां उत्पादक, सप्लायर और अफसर आपस में सांठ-गांठ कर नकली या घटिया दवाएं बेचते हैं, और इन्हें टिकाने की सबसे आसान जगह सरकारी अस्पताल होते हैं।
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन- सीडीएससीओ ने अगस्त 2024 में ही 50 दवाओं को ‘नॉट ऑफ स्टैंडर्ड क्वालिटी’ घोषित किया था। इनमें विटामिन सी, शेलकैल, ग्लिमेपिराइड और टेल्मिसार्टन जैसी आम इस्तेमाल की दवाएं शामिल थीं। तेलंगाना में 2023 में एस्ट्रिका हेल्थकेयर का नकली दवा रैकेट पकड़ा गया था। महाराष्ट्र में स्टार्च और टैल्कम पाउडर से बनी नकली एंटीबायोटिक्स सरकारी अस्पतालों तक पहुंच गई थी। राजस्थान में इसी साल, 2025 में एंटीबायोटिक्स, पेनकिलर और हृदय रोग की दवाओं का फर्जीवाड़ा उजागर हुआ, जांच में सैकड़ों नमूने फेल पाए गए। हैदराबाद की महिला चिकित्सक डॉ. शिवरंजनी संतोष की उच्च शर्करा वाले ओआरएस के खिलाफ लंबी लड़ाई की देशभर में हाल ही में चर्चा हुई थी। डॉ. संतोष ने पाया कि बाजार में मीठे पेय और एनर्जी ड्रिंक्स को ओआरएस के रूप में बेचा जा रहा है, जिनमें डब्ल्यूएचओ के मानकों के अनुसार इलेक्ट्रोलाइट्स और चीनी का सही अनुपात नहीं है। इसकी वजह से मासूम बच्चों में डिहाइड्रेशन कम होने की बजाय बढ़ रहा है। सोशल मीडिया पर उन्होंने मुहिम चलाई और लाखों लोग उनके साथ जुड़ गए। आखिरकार एफएसएसएआई ने इन फर्जी दवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया।
छत्तीसगढ़ में बीजापुर की घटना पहली नहीं है। बीते साल, 2024 में दंतेवाड़ा में मोतियाबिंद के 13 मरीजों को संक्रमण हुआ। ऑपरेशन थियेटर में फंगस को इसकी वजह बताई गई। 2022 में कांकेर कैंप में गंदे ड्रॉप्स से पांच मरीज संक्रमित हुए। 2011 में राजनांदगांव, बस्तर व दुर्ग के कैंपों में एक्सपायरी ड्रॉप्स से चार लोगों की मौत हो गई थी और 75 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी।
ये घटनाएं बताती हैं कि सरकारी अस्पतालों में आंख की सर्जरी जैसे नाजुक मामले में भी प्रोटोकॉल का पालन नहीं हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने भी हाल के एक मामले में कहा था कि सर्जरी के तुरंत बाद संक्रमण हो तो उसे चिकित्सकीय लापरवाही मानी जाएगी। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने भी हाल ही में सरकारी अस्पतालों में जंग लगे ब्लेड और लैब किट्स की कमी पर स्वास्थ्य सचिव से जवाब मांगा था। हाईकोर्ट ने यह भी पाया था कि नर्स की जगह महिला होमगार्ड इंजेक्शन लगा लगा रही हैं। स्वास्थ्य मंत्री के जिले में ऑपरेटर को एक अस्पताल का प्रभारी बना दिया गया था। हर बार की तरह तीन सदस्यीय जांच कमेटी बीजापुर मामले में बना दी गई है। पर, कुछ अफसर अभी से लीपा-पोती शुरू कर चुके हैं। वे इसे हल्का संक्रमण बता रहे हैं या फिर मरीजों की लापरवाही।
इंद्रावती में उदबिलाव परिवारइंद्रावती टाइगर रिजर्व, बीजापुर में लगभग तीन दशक बाद उदबिलाव (ओटर) की एक विशेष प्रजाति दोबारा देखी गई है। तस्वीर में दिख रहे ये स्मूथ-कोटेड ओटर हैं, जिन्हें स्थानीय लोग नीर बिल्ली कहते हैं। यह प्रजाति भारत में पाई जाने वाली सबसे बड़ी ओटर प्रजातियों में से एक है और नदी पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखने में अहम भूमिका निभाती है। आईयूसीएन की रेड लिस्ट में यह प्रजाति दुर्लभ श्रेणी में है और भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के अनुसूची-एक में संरक्षित है। नोवा नेचर क्लब ने कुछ तस्वीरों को सोशल मीडिया पर साझा करते हुए बताया है कि इस खोज के साथ छत्तीसगढ़ अब उन कुछ राज्यों में शामिल हो गया है, जहां ओटर की तीनों प्रजातियां एशियन स्मॉल क्लॉड ओटर, यूरेशियन ओटर और स्मूथ-कोटेड ओटर पाई जाती हैं।


