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पश्चिम बंगाल में 34 लाख आधार कार्ड धारक ‘मृत’ पाए गए, यूआईडीएआई ने दी निर्वाचन आयोग को जानकारी
13-Nov-2025 12:05 PM
पश्चिम बंगाल में 34 लाख आधार कार्ड धारक ‘मृत’ पाए गए, यूआईडीएआई ने दी निर्वाचन आयोग को जानकारी

कोलकाता, 13 नवम्बर। पश्चिम बंगाल में आधार पहचान पत्र की जनवरी 2009 में शुरुआत होने के बाद से करीब 34 लाख आधार कार्ड धारक ‘मृत’ पाए गए हैं। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने यह जानकारी निर्वाचन आयोग (ईसी) को दी।

यूआईडीएआई प्राधिकारियों ने आयोग को यह भी बताया कि राज्य में लगभग 13 लाख लोग ऐसे थे जिनके पास कभी आधार कार्ड नहीं था, लेकिन अब उनकी मृत्यु हो चुकी है।

यह जानकारी यूआईडीएआई के अधिकारियों और राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) मनोज कुमार अग्रवाल के बीच बुधवार को हुई बैठक में साझा की गई। यह बैठक मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत चल रहे अभियान के बीच हुई।

बैठक निर्वाचन आयोग के उस निर्देश के बाद हुई जिसमें सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों से कहा गया था कि वे आधार प्राधिकरण के साथ समन्वय स्थापित करें ताकि मतदाता आंकड़ों का सत्यापन किया जा सके और किसी भी तरह की विसंगतियों की पहचान की जा सके।

सीईओ कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “निर्वाचन आयोग को फर्जी मतदाताओं, मृत मतदाताओं, अनुपस्थित मतदाताओं और मतदाता सूची में दोहराए गए नामों को लेकर कई शिकायतें मिली हैं। मृत नागरिकों से जुड़ा यूआईडीएआई का आंकड़ा ऐसी प्रविष्टियों को चिन्हित कर उन्हें मतदाता सूची से हटाने में मदद करेगा।”

उन्होंने बताया कि नौ दिसम्बर को प्रारूप मतदाता सूची के प्रकाशन के बाद यदि यह पाया जाता है कि किसी आवेदक ने ऐसे नाम के साथ फॉर्म भरा है जो आधार डाटाबेस से हटाया जा चुका है, तो संबंधित निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) आवेदक को सत्यापन के लिए बुला सकता है।

मतदान अधिकारियों ने बताया कि आधार ज्यादातर बैंक खातों से जुड़ा होने के कारण वे बैंकों से भी जानकारी एकत्र कर रहे हैं।

अधिकारी ने कहा, “बैंकों ने उन खातों का विवरण साझा किया है जिनमें वर्षों से केवाईसी अपडेट नहीं किया गया, जिससे उन मृत व्यक्तियों की पहचान में मदद मिल रही है जिनके नाम अब भी मतदाता सूची में दर्ज हैं।”

पूरे पश्चिम बंगाल में फिलहाल मृत और फर्जी मतदाताओं को हटाने के लिए एसआईआर प्रक्रिया चल रही है। बूथ स्तर के अधिकारियों (बीएलओ) द्वारा घर-घर जाकर 2025 की मतदाता सूची के आधार पर गणना फॉर्म वितरित किए जा रहे हैं। इसके बाद आवेदकों द्वारा दिए गए आंकड़ों का मिलान 2002 की मतदाता सूची से किया जा रहा है, जब यह अभ्यास आखिरी बार हुआ था।

सीईओ कार्यालय के अनुसार, बुधवार रात आठ बजे तक राज्य में 6.98 करोड़ (91.19 प्रतिशत) गणना फॉर्म वितरित किए जा चुके थे।

अधिकारियों ने बताया कि प्रारूप मतदाता सूची में यदि फर्जी, मृत या दोहराए गए नाम पाए जाते हैं तो संबंधित बीएलओ के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है। (भाषा)


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