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पटना, 12 नवंबर। बिहार विधानसभा चुनाव में रिकॉर्ड मतदान के बाद जैसे-जैसे मतगणना का दिन करीब आ रहा है, भाजपा-नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ दोनों ने ही अपनी जीत का विश्वास जता रहे हैं।
राजग जहां उच्च मतदान को “सुशासन के समर्थन में जनादेश” के रूप में देख रहा है, वहीं विपक्ष इसे “परिवर्तन की जनता की इच्छा” का संकेत मान रहा है।
निर्णायक परिणाम शुक्रवार को स्पष्ट करेगा कि लोग जनता दल (यूनाइटेड) प्रमुख और राज्य के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे नीतीश कुमार को लगातार पांचवें कार्यकाल का मौका देंगे या बदलाव का रास्ता चुनेंगे।
चुनाव बाद के लगभग सभी सर्वेक्षणों ने राजग की एकतरफा जीत का अनुमान जताया है, जिससे विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन में असंतोष है।
राजग खेमे में उत्साह का माहौल है और भाजपा नेताओं ने पहले से ही “विजय दिवस” के अवसर पर मिठाइयों के बड़े ऑर्डर दे दिए हैं।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री और भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय ने कहा, “लोगों ने विकास के लिए वोट दिया है, जो केवल नरेन्द्र मोदी और नीतीश कुमार के संयुक्त नेतृत्व में संभव है। एग्जिट पोल जनता की भावना को दर्शाते हैं, हालांकि हमें विश्वास है कि वास्तविक जीत का अंतर इससे भी बड़ा होगा।”
जद(यू) के वरिष्ठ नेता और ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि राजग को स्पष्ट बहुमत मिलेगा और जद(यू) एक बार फिर “राज्य की नंबर एक पार्टी” के रूप में उभरेगी।
उन्होंने कहा, “हम 65–70 से कम सीटें नहीं जीतेंगे। एग्जिट पोल पर भरोसा नहीं करता, लेकिन राजग 130–135 सीटों के साथ आरामदायक बहुमत में रहेगा।”
वहीं, राजद नेता और विपक्षी गठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने इन सभी भविष्यवाणियों को खारिज किया और कहा कि “जैसे अतीत में मीडिया ने ऑपरेशन सिंदूर के संबंध में बढ़ा चढ़ा कर खबरें दी थीं या अभिनेता धर्मेंद्र की ‘मृत्यु’ जैसी गलत खबर दी थी वैसे ही इस बार भी एग्जिट पोल गलत साबित होंगे।”
कांग्रेस के मीडिया और प्रचार प्रमुख पवन खेड़ा ने भी कहा कि उच्च मतदान जनता के असंतोष और बदलाव की इच्छा का संकेत है।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “मैं लंबे समय से बिहार में हूं और जनता का मूड साफ महसूस किया है। बेरोजगारी और भ्रष्टाचार से नाराज़ लोगों ने राजग को सबक सिखाने के लिए वोट दिया है। हम जीतेंगे और अगली सरकार बनाएंगे।”
भाकपा (माले) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि जमीनी रिपोर्ट और उच्च मतदान प्रतिशत दोनों दर्शाते हैं कि “बिहार ने बदलाव के लिए वोट दिया है।” उन्होंने कहा, “भारत में चुनाव अब एक तरह की बाधा दौड़ बन गए हैं। बिहार के लोगों ने मतदान प्रक्रिया को सुरक्षित रखकर दूसरा चरण पार किया है, अब सही मतगणना सुनिश्चित कर तीसरी बाधा को पार करना होगा।”
राजग गठबंधन में पांच दल शामिल हैं, हालांकि 243 सदस्यीय विधानसभा में अधिकांश सीटों पर जद(यू) और भाजपा ने समान रूप से 101-101 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे।
श्रवण कुमार, जो 1995 से लगातार नालंदा सीट जीतते आ रहे हैं, ने कहा, “मुख्यमंत्री की लोकप्रियता बेजोड़ है, लेकिन महिला मतदाताओं में जो उत्साह देखने को मिला, वह मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना की वजह से भी हो सकता है।”
यह योजना चुनाव घोषणा से कुछ सप्ताह पहले शुरू की गई थी, जिस पर विपक्ष ने “मतदाताओं को लुभाने” का आरोप लगाया था। जद(यू) के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “यह नतीजे न केवल विपक्ष बल्कि हमारे कुछ सहयोगियों को भी चौंका देंगे, जिन पर हम पूरी तरह भरोसा नहीं कर सकते थे।”
उन्होंने कहा, “जब जन सुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर ने दावा किया कि जद(यू) की सीटें 25 से नीचे चली जाएंगी, तब हमारे कार्यकर्ता चौकन्ने हो गए और अब नतीजे सबके सामने होंगे।”
पटना स्थित ए.एन. सिन्हा सामाजिक अध्ययन संस्थान के सहायक प्रोफेसर और राज्य की राजनीति के विश्लेषक विद्यार्थी विकास ने कहा, “मेरे मत में इस चुनाव में जो दो दल सबसे अच्छा प्रदर्शन करेंगे वे हैं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और जद(यू)। यह विरोधाभासी लग सकता है, लेकिन वास्तविकता यही है। राजद को पुरानी पेंशन योजना बहाल करने के वादे का फायदा मिलेगा, जबकि जद(यू) अपने पारंपरिक जनाधार के कारण मजबूत स्थिति में रहेगा।”
उन्होंने आगे कहा, “हालांकि जद(यू) को कुछ नुकसान भी हो सकता है क्योंकि कानून-व्यवस्था पहले जैसी नहीं रही और नौकरशाही का प्रभाव बढ़ा है। वहीं भाजपा ने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में नीतीश कुमार की घोषणा को लेकर जो देरी की, उससे उसने खुद को नुकसान पहुंचाया।” (भाषा)


