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नितिन नबीन के पोस्टर की चर्चा
शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य के अवसरों से वंचित लोगों को चुनाव के दौरान क्षेत्रीय अस्मिता और पहचान के नाम पर प्रभावित करने की कोशिश होती रहती है। छत्तीसगढ़ में भाजपा के प्रभारी और बिहार सरकार में मंत्री नितिन नबीन वहां बांकीपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं। उन्होंने अपना एक पोस्टर सोशल मीडिया पर शेयर किया है, जिसमें बताया गया है कि बिहार में डोमिसाइल लागू हो गया है। 10 लाख नौकरियों के साथ 50 लाख लोगों को रोजगार दिया गया है और अब एक करोड़ लोगों का लक्ष्य है। मगर, इससे भी बड़े अक्षरों में लिखा गया है कि बिहार में अब पहला हक़ सिर्फ बिहारियों का है।
कुछ डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर इस पोस्टर पर उनके एक बयान का वीडियो जारी कर तंज कसा जा रहा है। छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में भी स्थानीयता एक मुद्दा था, उनसे सवाल किया गया था कि छत्तीसगढिय़ावाद के बारे में क्या कहेंगे? वीडियो में नितिन नबीन कहते हुए दिख रहे हैं कि छत्तीसगढिय़ावाद आपके शब्दों में है। हम तो भारतीय हैं और भारतीयवाद को लेकर चलते हैं। एक भारत, श्रेष्ठ भारत को मानते हैं।
जाहिर यही होता है कि चुनाव के दौरान जरूरत के अनुसार रुख बदला जा सकता है।
हुदहुद से मोंथा तक का संयोग
सभी दो दिन पहले बंगाल की खाड़ी में आए तूफान मोंथा के असर, और आंध्रप्रदेश में हुए नुकसान का आंकलन किया जा रहा है। हालांकि जान के कम नुकसान का संतोष था लेकिन संपत्ति का अधिक नुकसान हुआ है। इसी दौरान बात आई दोनों तूफान के समय राज्य में सत्तासीन दल के राजनीतिक संयोग और दुर्योग का। बताया गया कि 11 वर्ष पहले अक्टूबर 2014 में आंध्र में आए तूफान हुदहुद के समय भी चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी सरकार थी। और उसके बाद वह उड़ गई।
मोंथा के समय भी भाजपा के साथ त्रिकोणीय गठबंधन में नायडू ही हैं। हुदहुद से 8000 करोड़ का नुकसान हुआ था तो मोंथा से 5600 करोड़ का आंकलन है। उस वक्त बाबू ने हुदहुद को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की थी। इस चर्चा में मोंथा प्रभावित दूसरे पड़ोसी राज्य ओडिशा भी आया। छत्तीसगढ़ इससे अछूता रहा। जहां हुदहुद के समय नवीन पटनायक की सरकार थी जो पिछले वर्ष तक रही। और अब मोंथा के समय मांझी की भाजपा सरकार। और केंद्र में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री और गृह मंत्री राजनाथ सिंह रहे। इस बार अमित शाह गृह मंत्री। हुदहुद से निपटने राहत बचाव की कमान स्वयं मोदी ने संभाला था। इस बार बिहार चुनाव की वजह से राज्यों पर छोड़ दिया गया। शुक्र है बड़ा नुकसान नहीं पहुंचा।
कोयले के ट्रकों के सामने हाथी दल

सघन और जैव विविधता से समृद्ध हसदेव अरण्य वन क्षेत्र हाथियों का प्राकृतिक रहवास और आवाजाही का रास्ता है । अब उनके क्षेत्र में हजारों हेक्टेयर क्षेत्र में अड़ानी कंपनी खनन कर रही है । हाथी लगातार खनन क्षेत्र के आसपास मौजूद रहते हैं। सोशल मीडिया में एक वीडियो क्लिप पोस्ट वायरल हुई है जिसमें बताया गया है कि इसी इलाके में बीती रात हाथियों ने कोयले से भरे ट्रकों को ही रोक दिया। हाथियों ने यह तो नहीं पहचाना होगा कि ये कोयला उनके रहवास को उजाडक़र निकाला गया है, लेकिन यह जरूर महसूस हो रहा होगा कि जिस जंगल में वे सुकून से वर्षों से रहते आए हैं अब वह खत्म हो रहा है। उन्हें सुरक्षित ठौर के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है।


